सम सामयिक लेख
कटनी
दुनिया की वर्तमान पीढ़ी को यह पता तो चल ही गया है कि कोई भी देश एक व्यक्ति और उसकी टीम के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता भारत में नरेन्द्र मोदी हों रूस में पुतिन हों अमेरिका में ट्रंप या बुश हों चीन में शी चिनपिंग हों आदि। दुनिया को किसी भी प्रकार के युद्ध के भरोसे भी नहीं छोड़ा जा सकता। किसी भी विचार या व्यवस्था को जबरन लोगों पर लागू करने के दिन भी समाप्त हो गए हैं। पूरी दुनिया में लोगों के सामने स्वयं के अस्तित्व का सवाल मुंह बाये खड़ा हो गया है।
सन 1980 से ही गायत्री परिवार संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने यह कहना शुरू कर दिया था कि दुनिया दुर्बुद्धि का शिकार होती जा रही है और इस से बचने का एक ही उपाय है कि मनुष्यों को सद्बुद्धि की ओर उन्मुख किया जाए।
आज सद्बुद्धि एवं शांति की बात करने वाले लोग जन-जन तक पहुंचने की कोशिश कम कर रहे हैं खुद की पीठ ज्यादा थपथपा रहे हैं। ज्यादा पढ़े लिखे बुद्धिमान विद्वान कहलाने वाले लोग सेमिनार एवं वेवीनार में अपने उद्गार प्रगट कर संतोष का अनुभव कर रहे हैं। शांति की स्थापना राजतंत्र के माध्यम से करने पर विश्वास करने वाले लोग अतीत काल के महाभारत की ओर विश्व को ले जा रहे हैं जहां तमाम तमाम बड़ी आबादी समाप्त हो गई और बच गए केवल युद्ध में भाग न लेने वाले भील आदिवासी लोग। इस युग में तो भील आदिवासियों को भी अपने अस्तित्व के लिए युद्ध करने पर मजबूर कर दिया गया है ।
हथियारी हवस रूस युक्रेन इजरायल फिलिस्तीन हिंदुस्तान पाकिस्तान चीन ताइवान ईसाई इस्लाम आदि नामों से अपना सुरसा मुख- विस्तार करती ही जा रही है। संतों के नाम पर दुकान चलाने वाले लोगों के वाक्जाल में समुदाय के समुदाय भ्रमित होकर ना मालूम किस सुबह के इंतजार में अंधेरे के पक्षपाती होते जा रहे हैं। भारत की धार्मिक भाषा में कहें तो लोग माया के आधीन होकर अपने आपको भूले हुए हैं। जानबूझकर अंगारा मुट्ठी में बंद किए हुए आनंद की झूठी अनुभूति में अपना सब कुछ जलाने के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं। रक्त पिपासु शाकाहारी होने का दावा कर रहे हैं।
विकसित चेतना पृथ्वी उपग्रह को विनाश की ओर ले जाएगी या उसे विकसित चेतना के समुच्चय बोधक रहवासियों का स्थान बनायेगी यह यक्ष प्रश्न गुरु पूर्णिमा पर्व पर आचार्य श्रीराम शर्मा जी जैसे अनेकानेक सद्बुद्धि के पक्षधर योगी संत महात्मा समाज सुधारक वैज्ञानिकों के अनुयायियों के समक्ष उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा है।
गायत्री परिवार संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने वधभविष्यवाणी करते हुए कहा था कि “इक्कीसवीं सदी उज्जवल भविष्य”,, “21वीं सदी नारी सदी” ।। 21वीं सदी का एक चौथाई भाग बीतने के कगार पर खड़ा है और दुनिया युद्ध के मुहाने पर। अब कहा जा रहा है कि 2024 महायुद्ध को समर्पित होने की कगार पर खड़ा विकट अट्टहास के साथ 2025 की अगवानी करना चाहता है वहीं दूसरी ओर नारी समूह अपनी एवं विश्व की अस्मिता बचाने समूहबद्ध हो रहा है। महायोगी अरविंद, आचार्य श्रीराम शर्मा के कथनों को ध्यान में रखते हुए देखा जाय तो सूक्ष्म जगत में वह तैयारी हो चुकी जो पृथ्वी वासियों को सन्मार्ग की ओर उन्मुख करके महाविनाश विभीषिका को टाल देगी और इसका स्थूल प्रमाण अमेरिका में कमला हैरिस का राष्ट्रपति बनना होगा। भारत में हिंसा के पक्षधर संगठन अब शांति की बातें करने लगे हैं जिन लोगों ने एक व्यक्ति को आगे बढ़ाकर पुरातन कालीन मनुवादी व्यवस्था भारत में लागू करने की अपनी इच्छा आकांक्षा को पूरा होने के कगार तक पहुंचा दिया अब वही लोग एक व्यक्ति के भस्मासुर हो जाने की आशंका से आशंकित ‘बुद्धं शरणं गच्छामि’ स्टाइल की बातें करने लगे हैं। भारत में 2026 एक नये मशाल प्रकाश वर्ष रूप में उपस्थित होना चाहता है। गायत्री परिवार का मातृशक्ति सम्मेलन यदि वैज्ञानिक आध्यात्मिक आभा से आलोकित हो सका मनुवादी सोच की गिरफ्त से बाहर आ सका तो वह भी विश्व शांति की ओर बढ़ते चेतना प्रवाह को सहायक गति देगा।।हर वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व आध्यात्मिक वैज्ञानिक समन्वय की ओर लोगों को गतिशील करे यही शुभेच्छा उज्जवल भविष्य हेतु आवश्यक है।।
( लेखक श्री सुधीर कुमार खरे, मोबाइल:-9404038766. कटनी का एक जाना पहचाना नाम हैं । ये गायत्री परिवार से जुड़े हैं एवं “मन आंदोलन” के संयोजक हैं)
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