बातें कुछ हटके –
मैं शिवभक्त हूं परंतु मुझे मालूम नहीं कि मैं शिवभक्त हूं कि नहीं। यह तो मुझे कम्मू कालिया के चौराहे पर लगाए होर्डिंग के बाद समझ में आया।
दरअसल पिछले सोमवार को हमारे इंदौर में भूतेश्वर महादेव की सवारी निकली थी। ऐसी सवारियों के समय, सवारी के रास्ते पर बड़े-बड़े होर्डिंग लगाने की परंपरा शहर में है।
कम्मू कालिया प्रदेश के कॅबिनेट मंत्री का खासमखास है इतना कि जब-जब मंत्रीजी कम्मू के गले में हाथ डालते हैं, तस्वीर कम्मू फेसबुक पर पोस्ट कर देता है,” तू तो मेरा छोटा भाई है ” के टाइटल के साथ। मुझे मालूम है कि है भी।
परंतु मुझे यह मालूम नहीं कि मैं शिवभक्त हूं और यदि हूं तो कबसे हो गया?
देखा जाए तो खुद कम्मू से बड़ा शिवभक्त मैंने आज तक नहीं देखा। मुझे मार्कंडेय की कहानी आज भी याद है इसलिए कि मेरे घर के देवघर की दीवार पर उनसे संबंधित एक सुंदर सी पेंटिंग बनी हुई थी और पहली बार उनका परिचय मेरी माताजी ने कराया था।
” हा जो लहान मुलगा आहे, हे मार्कंडेय ऋषि आहे।” फिर वह पूरा इपिसोड उन्होंने बताया। वह यहां लिखना मेरी पोस्ट को थोड़ा लंबा खीचेगा।
दो दिन पहले कम्मू ने मेरा अपने मोबाइल से फोटू खींचा था। मुझे फोटो को फोटू लिखना प्यारा लगता है इसलिए कि इसमें थोड़ा मालवी एक्सेंट आ जाता है। हम इंदौरी वैसे भी मालवी कहलाते हैं।
मेरे मालवी एक्सेंट को पहली बार सुधारा था मेरे मित्र बेदी ने। जब मैं, में कहता था तो वह मुझे सुधारा करता था,
” में नहीं मैं बोल पाता था जब सही एक्सेंट में तो एक दो बार तो इस बात के लिए टपली भी खाई है।
तो दो दिन पहले कम्मू ने यह कहते फोटू हेडवा लिया था,” गुरु आपकी फोटू चाहिए।”
मुझे नहीं मालूम था कि कम्मू मेरी फोटू का उपयोग कहां और कैसे करेगा?
आज जब सुबह सुबह एक कटाउट पर अपने छोटे से फोटू को देखा। नीचे लिखा था शिवभक्त तो जानकर आश्चर्य हुआ कि पता नहीं मैं कब शिवभक्त हो गया। वैसे यह कम्मू की महानता ही कहीं जाएगी कि शिवभक्त वह खुद है परंतु लिख मुझे रहा है।
कम्मू को शिवभक्त ऐसे ही नहीं लिख रहा हूं। कम्मू की उम्र है सिर्फ पचपन साल परंतु वह अबकि बार बावनवीं कांवड़ उठाने वाला था। था इसलिए लिखा क्यूंकि दो ही दिन पूर्व एक एक्सीडेंट में अपना दाहिना पैर तुड़वा चुका इसलिए अबकि बार कांवड़ उठाना संदेहास्पद है।
यह गणित शायद आपके पल्ले ना पड़े कि पचपन उम्र में बावन कांवड़ कैसी तो आपको बता दूं कि भारत में जितने भी प्रसिद्ध शिव मंदिर है, सभी जगह कम्मू ने कांवड़ डालकर ही दर्शन किया है।
इतना ही नहीं कम्मू ने महाकाल से कहा कि मुझे बेटा हो और आप याद रहे तो कम्मू के बेटे का जन्म भी महाशिवरात्रि के दिन हुआ। इसलिए यदि कम्मू ने लिखवाया कि मैं शिवभक्त हूं,तो हूं।
( लेखक- पुरुषोत्तम पांडे )
हिंदुत्व और सनातन का ज्ञान रखने वाले पुरुषोत्तम पांडे, पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर , सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ हैं और एक समाज सेवी भी ।
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