राष्ट्रीय समाचार
लखनऊ
हाथरस में स्वयंभू भोला बाबा सूरजपाल के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मृत्यु हो गई और, इससे लगभग 3 गिने लोग घायल हो गए। और फिर शुरू हो गया दोषारोपण का दौर। प्रत्यक्षदर्शी हों या नेता या मीडिया सब जुट गए आरोप प्रत्यारोप में। और बाबा हो गए हैं फ़रार । वैसे इस बाबा की कहानी भी एक बड़ी मनोहर कहानी है। एक रिटायर्ड पुलिस वाला जिसकी खुद की अलग से सिक्योरिटी थी, जो खुद अपराध में लिप्त था, हमारे देश की जनता विशेषकर महिलाओं की धार्मिक भावनाओं को लुभा कर बाबा बन गया।
यह बताया जा रहा है कि बाबा के सत्संग स्थल पर आते समय बाबा के सेवादारों के द्वारा लोगों को हटाने से यह भगदड़ मच गई। पर बहुत से प्रश्न अनुत्तरित हैं। पहले तो यह कि इस सत्संग के आयोजन के लिये निश्चित ही प्रशासन से अनुमति ली गई होगी। जहां हज़ारों लोग इकट्ठा हो रहे हों , क्या उस स्थल पर पूरे इंतज़ाम हैं कि नहीं इसको सुनिश्चित करना क्या प्रशासन की ज़िम्मेवारी नहीं थी। क्या इस प्रकरण में स्थानीय पुलिस थाने, स्थानीय प्रशासन, विद्युत ऐजेंसी और जल प्रदाय एजेंसी से अनुमति नहीं ली गई होगी। पर क्या इन ऐजेंसियों ने पैसा खाकर अनुमति देने की काग़ज़ी कार्यवाही के अलावा स्थल का विस्तृत निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया?
निश्चित ही प्रशासन और पुलिस की इस हादसे में पूरी ज़िम्मेवारी है और राम राज्य और गुड गवर्नेंस के प्रचारित पुरोधा मुख्यमंत्री योगी जी ने अभी तक कलेक्टर , एसपी व स्थानीय एसडीएम और थानेदार को सस्पेंड तक नहीं किया , जबकि ये सभी अधिकारी इसके हक़दार हैं। प्रधानमंत्री और बड़े बडे नेता भी संसद में राहुल बनाम मोदी के मनोरंजन में लगे हैं। आमजनता के दुख पर दिखावटी शोक दिखा कर जल्द ही ये सब भूल जाऐंगे अगले हादसे तक, और रह जाऐंगे हमेशा की तरह बहुत सारे ज्वलंत प्रश्न हमेशा की तरह अनुत्तरित ।
( राजीव खरे राष्ट्रीय ब्यूरो)
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