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स्मार्टफोन की लत: बच्चों पर मानसिक और शारीरिक प्रभाव और समाधान

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आजकल माता-पिता अपने बच्चों की मोबाइल फोन की लत को लेकर काफी चिंतित हैं। स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों की एकाग्रता, नींद, और सामाजिक कौशल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद, जब ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य हो गई थी, बच्चों का स्मार्टफोन उपयोग तेजी से बढ़ गया। इससे न केवल उनकी शैक्षणिक क्षमता में कमी आई है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।

स्मार्टफोन की लत बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों में मोटापा, अनिद्रा, आंखों की समस्याएं, और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बिताने से बच्चों की आँखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, और उनमें आक्रामकता और मानसिक तनाव के लक्षण भी उभर सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, स्मार्टफोन की लत बच्चों में नशे की तरह काम करती है, जिससे उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है। इससे उनका मानसिक विकास बाधित होता है, और वे सामाजिक मेलजोल से कटने लगते हैं। मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों को वर्चुअल दुनिया में डूबा देता है, जिससे वे वास्तविक जीवन में मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता का सामना करते हैं।

अभिभावकों का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों को स्मार्टफोन की लत से बचाने के लिए सक्रिय कदम उठाएं। यहां कुछ प्रभावी उपाय दिए जा रहे हैं:

1. *स्क्रीन टाइम सीमित करें*: बच्चों के मोबाइल उपयोग के लिए समय निर्धारित करें। उदाहरण के लिए, भोजन के समय और सोते समय फोन से दूर रहें। इससे बच्चों को नियमितता और अनुशासन का महत्व समझने में मदद मिलेगी।

2. *स्कूलों में मोबाइल का उपयोग सीमित करें*: स्कूलों में भी मोबाइल के उपयोग पर कड़ा नियंत्रण होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यूके सरकार ने इंग्लैंड के सभी स्कूलों में स्कूल के घंटों के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर बैन लागू करने की सलाह दी है।

3. *टेक-फ्री जोन बनाएं*: घर के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि डाइनिंग रूम और बेडरूम, को टेक-फ्री जोन बनाएं। इससे बच्चों का सामाजिक और पारिवारिक संबंध मजबूत होगा और उन्हें स्क्रीन से ब्रेक मिलेगा।

4. *अन्य गतिविधियों में शामिल करें*: बच्चों को आउटडोर खेल, पढ़ाई, और परिवार के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होगा।

5. *अभिभावक खुद रोल मॉडल बनें*: माता-पिता खुद भी फोन का उपयोग सीमित करें और बच्चों के सामने सही उदाहरण पेश करें। जब बच्चे देखेंगे कि उनके माता-पिता भी तकनीक का संतुलित उपयोग कर रहे हैं, तो वे भी इस दिशा में प्रेरित होंगे।

इन उपायों से बच्चों की मोबाइल लत को नियंत्रित किया जा सकता है, और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। समय पर सही कदम उठाकर अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित और खुशहाल बना सकते हैं।

( राजीव खरे- राष्ट्रीय ब्यूरो

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