जबलपुर मध्यप्रदेश।
जबलपुर| नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में विगत 14 मार्च से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का समापन हो गया| भागवत कथा के अंतिम दिवस कथावाचक शिव मंदिर कचनार सिटी (बड़े शंकर जी) के मुख्य आचार्य एवं मां दक्षिणेश्वरी धाम के संस्थापक सुरेंद्र दुबे शास्त्री महाराज ने सुदामा चरित्र सहित अन्य प्रसंगों पर अपने प्रवचन दिए| शास्त्री जी ने जेल के बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप किसी भी अपराध के सजा में जेल के अंदर हैं, इस बात को लेकर दुखी मत होइए| बल्कि आगे जितना भी समय जेल में बिताएंगे, उस सजा की समय अवधि को सजा की अवधि न मानकर भगवान की भक्ति कीजिए| क्योंकि जेल में होने के कारण आपको घर, परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, नौकरी आदि से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना होता है| इसलिए इस अवधि का भरपूर उपयोग करते हुए भगवान की भक्ति करके अपने जीवन को सार्थक बना लीजिए| भगवान की भक्ति के लिए इससे अच्छा कोई स्थान नहीं मिलेगा|
जेल अधिकारियों ने सुरेंद्र शास्त्री जी का किया सम्मान-
कथा के समापन पर कथावाचक सुरेंद्र दुबे शास्त्री महाराज का शॉल, श्रीफल एवं पुष्पमाला भेंट कर जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने सम्मान किया| व्यासपीठ का पूजन एवं आरती उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश, राकेश मोहन उपाध्याय, रूपाली मिश्रा, सहायक जेल अधीक्षक अंजू मिश्रा ने किया| कथा में पंडित नीरज शास्त्री, भजन गाईका कविता सिन्हा, मनोज सहित जेल के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे|
रात 12 बजे से बनना शुरू हो गया था भोजन भंडारा-
श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीयों में भंडारे का आयोजन किया गया| भंडारे में जेल अधिकारी-कर्मचारियों सहित करीब 3000 बंदियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया| जेल के खानसामाऔ ने रात्रि 12 बजे से ही जेल की पाकशाला में भोजन बनाना शुरू कर दिया था|इसके बाद कथा के समापन पर सभी को सब्जी, पूरी, रायता, सलाद, दाल, मीठा आदि का वितरण किया गया| जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर सहित सभी अधिकारी कर्मचारियों एवं जेल के बंदियों ने प्रसाद ग्रहण किया|
संवाददाता नरेश चौधरी की रिपोर्ट
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