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सामाजिक अशांति और आर्थिक अस्थिरता की ओर जाती दिख रही युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी

देश में कामकाजी लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की आबादी को छोड़कर आगे बढ़ रही है। भारत में युवा बेरोज़गारी की दर बहुत अधिक है। आई एल ओ की रिपोर्ट के अनुसार देश की कुल रोज़गार आबादी में 83 प्रतिशत युवा हैं। आज देश का हर तीसरा युवा न तो शिक्षा में है और न नौकरी पेशा और न ही अपना कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण हासिल कर रहा है देश के 40 प्रतिशत युवाओं ने मैट्रिक तक की शिक्षा भी हासिल नहीं की है सिर्फ़ 4 प्रतिशत युवा ही ऐसे हैं जिनकी पहुँच व्यावसायिक प्रशिक्षण तक है।
आमतौर पर यह समझा जाता है कि शिक्षा और प्रशिक्षण नौकरी के अवसरों की गारंटी होते हैं। पर आश्चर्यजनक बात यह है कि हमारे देश में शिक्षित व्यक्तियों में बेरोज़गारी ज़्यादा है। देश की कुल बेरोज़गार आबादी में 66 प्रतिशत बेरोज़गार आबादी शिक्षित युवाओं की है। रोज़गार की कमी के चलते युवा दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। विश्व बैंक ने यह चिंता जतायी है कि भारत को अपने जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाने के लिए नौकरी के ज़्यादा से ज़्यादा अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। यदि देश में रोज़गार के अवसर बढ़ाए नहीं जाते हैं, तो देश के सामने आर्थिक अस्थिरता का संकट पैदा हो सकता है, साथ ही बेरोजगारों युवाओं की बड़ी आबादी सामाजिक अशांति को जन्म दे सकती है।

( राजीव खरे- राष्ट्रीय उप संपादक)

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