इंदौर मध्य प्रदेश वन स्टॉप सेंटर पर दर्ज हो रहे प्रकरणों में पूर्ण प्रयास रहता है की परिवार टूटने से बच जाए, लेकिन साथ ही इस बात पर भी पूरी संवेदनशीलता से काम किया जाता है की महिला को किसी भी जज तरह की प्रताड़ना, हिंसा से समझौता न करना पड़े।
समय समय पर प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहार अपने अधिनस्थों को संवेदनशीलता से महिलाओं के मसले हल करने के लिए मार्गदर्शन कर प्रेरित करती हैं।
एक प्रकरण में वीना ने आवेदन कर सहायता की गुहार लगाई।
बताया की पिता नहीं हैं,छोटा भाई और एक छोटी बहन है। दो साल से बेटे के साथ मायके रहा रहीं हूं।
बेटा ट चार साल का हो गया है।
पति ने मुझपर हाथ उठाया था, सास छोटी छोटी बातों पर ताने देती थी।
मेरी बुआ ने मेरी शादी करवाई थी, मेरे ससुराल के करीब ही रहती है, इसलिए कोई झगड़ा होता है तो वही मेरे ससुराल आती हैं मेरे ससुराल वालों को समझाने।
पति को बुलाया गया , पति का पक्ष जाना गया। फिर शुरू हुआ परामर्श का दौर। वीना ने बताया की शुरू में पति का फोन आता था बाद में कभी नहीं आया। पूछने पर की तुमने लगाया, बिना ने कहा नही।
बहुत सारी बातें दोनो की तरफ से हुई थी, जिनमे इगो का सबसे बड़ा खेल था।
सभी पक्षों पर विस्तार से चर्चा होकर अंततः टूटने की कगार पर खड़े रिश्ते को नए सिरे से जिंदा करने की पहल हुई।
दोनों पति पत्नी की शिकायतों और जिन बातों से दोनो आहत थे
उन पर चर्चा कर दोनो के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया गया।
अंत में भी दोनो अड़े थे,पत्नी चाहती थी की पति लेने आए , पति कह रहा था की खुद घर छोड़कर गई है, खुद आए।
इन दो वर्षों में वीना के सास ससुर दो बार बहु कोनलीन आए थे पर वीना नही गई, क्योंकि पति साथ नही आया था, पति इसलिए नहीं आ रहा था क्योंकि साली और सास ने उसे धमकाया था और कहा था कि पिटवा देंगे तुम्हे।
आखिर यह तय हुआ की वीना की मां सम्मानपूर्वक जमाई को आने के लिए कहें, और दामाद आकार सामान्य होकर, खुशी खुशी पत्नी को लेकर जाए।
इस तरह दो साल से अलग रह रहे पति पत्नी एक हुए।
सफलता की कहानी -2
आंख की रोशनी कमज़ोर होने और पति से झगड़े के कारण रो रो कर बेहाल महिला पहूंची जन सुनवाई:वन स्टॉप सेंटर ने उबारा मानसिक संत्रास से
सुभद्रा की आंखों की रोशनी अत्यधिक कमजोर होने से वह परेशान थी, साथ ही बड़े बेटे की शादी के बाद वह अलग हो गया, पति आए दिन गाली गलौज करता हैंl, छोटा बेटा भी मेरे पक्ष में नहीं बोलता, आए दिन मेरे भाई को बीच में लाते हैं, अब मुझे फैसला चाहिए, अब मेरी सहन शक्ति से बाहर हो गया है, पति ने मेरा गला दबाया, मुझे कहा की दरवाजा तोड़ दूंगा,अब मेरी बर्दाश्त से बाहर है।
जनसुनवाई में ही प्रकरण को सुन वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहार कोअनुमान हो गया की महिला मानसिक रूप से अत्याधिक परेशान है, उसे साइकोलॉजिकल सपोर्ट की जरूरत है केस तुरंत ही उसी दिन वन स्टॉप सेंटर परामर्श के लिये भेजा गया।
केस वर्कर सुश्री शिवानी ने केंद्र की सारी औपचारिकता पूरी कर, सुभद्रा के परिवार पति दोनों बेटों को बुलाया और सभी का कथन लेकर प्रकरण तुरंत परामर्शदात्री सुश्री अलका फणसे को परामर्श के लिए सोपा गया।सुभद्रा पूरे समय रोती रहीं।
फिर संयुक्त परामर्श सत्र शुरू हुआ। पूरा परिवार ही बहुत सुलझा हुआ था, पति सरकारी स्कूल में शिक्षक थे, किसी बात पर विवाद हुआ, सुभद्रा ने पति का फोन छीन लिया, पति के स्कूल की जानकारी उसमे थी। उन्होंने धमका दिया की फोन दे दे नही तो दरवाजा तोड़ दूंगा, तुझे मार दूंगा, सुभद्रा बहन के पास पहुंची , वह सुभद्रा को जनसुनवाई में ले आई।
दोनो बेटों का कहना था कि मां बहुत गुस्सा करती है।
पिताजी को भी हम समझाते हैं मां को कुछ मत बोला करो, पर मां भी चुप नहीं रहती, पिताजी एक कहते हैं तो मां दो।
हम सब भी बहुत परेशान है।
सुभद्रा का कहना था हां मेरे पति ने ही मुझे सिखाया, थैंक्यू same to u, इसलिए वो एक गाली देते तो मैं दो देकर थैंक्यू सेम टू यू बोलती।
परामर्शदात्री के अनुसार महिला बहुत परेशान जरूर आई थी पर यह आज तक का सबसे अलग मसाला था।
बुडी मीठी नोक झोंक के चलते झगड़े बड़ा रूप लेने लगे थे।
अथक प्रयासों से , परामर्श के कई सत्रों के बाद सुभद्रा सामान्य हो सकी।
पति को भी समझाया गया की इस उम्र में उन्हे आपकी बोली बुरी बात सहने की क्षमता नही है, आप कोई अपशब्द न कहे, सुभद्रा नाराज हो तो आप चुप हो लो।
बड़े बेटे को भी मां को रोज फोन लगाने और उनकी पूछ परख करने की सलाह दी गई।
सुभद्रा ने कहा की अब इस उमर में क्या करूंगी, कोई केस नहीं करना , ऐसे थोड़े छोड़ दूंगी पति को।
अंत में हंसी मजाक करते हुए सुभद्रा पति और बेटों के साथ रवाना हुई, साथ ही पूरे osc परिवार को छोटे बेटे की शादी का अग्रिम आमंत्रण भी देकर गई, डा . परिहार को धन्यवाद दिया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी:
श्री रामनिवास बुधौलिया
सफलता की कहानी -3
ऐसा भी होता है- महिला हेल्प लाइन के माध्यम आए प्रकरणों में भी वन स्टॉप सेंटर पर हो रहा त्वरित समाधान
रुचि ने महिला हेल्प लाइन पर संपर्क किया और मदत की गुहार लगाई।
महिला हेल्प लाइन ने मामला इंदौर का देख तुरंत वन स्टॉप सेंटर को संपर्क किया।
वन स्टॉप सेंटर ने रुचि से संपर्क कर उसे सहायता के लिए वन स्टॉप सेंटर बुलाया और उसकी समस्या विस्तार से जानी।
प्रशासक डा. वंचना सिंह परिहर ने मामले का संज्ञान लिया और रुचि की विचलित मानसिक स्थिति को देखते हुए उसे सांत्वना दी। उसे समाधान का आश्वासन दिया।
फिर केस वर्कर शिवानी श्रीवास ने विस्तारपूर्वक रुचि का कथन लिया और मामले को जन रुचि की बड़ी बहन शुचि और पिता को भी बुलाया गया।
सभी के कथन होने पश्चात प्रकरण अलका फणसे को परामर्श के लिए सोपा गया।
सुची उच्च शिक्षित होकर मानसिक रोग से ग्रस्त थी।
अतः अपना व्यवसाय नही कर पा रही थी।
रुचि की मां का देहांत कई वर्षों पहले हो चुका था। मां की लाडली होने से उसे अकेलेपन ने घेर लिया और उसे लगने लगा की पिता उससे प्यार नही करते और सिर्फ शुचि को ही प्यार करते हैं।
शुचि द्वारा रुचिबके साथ मानसिक प्रताड़ना, अपशब्द कहना,मारपीट करना, उसका सामान फेंक देना, सभी जारी था।
पिता बेटियों के झगड़े से परेशान थे, रिटायरमेंट के बाद भी काम कर रहे थे।
अच्छे ओहदे पर होने से कोई आर्थिक समस्या नहीं थी।
रुचि की बुआ भी साथ रह कर घर की सारा काम सम्हाल रही थी। पिता ने बताया की रुचि कई बार अलग अलग करियर के लिए कोचिंग ली लेकिन बीच में ही छोड़ देती है। मैं कब तक इनके पीछे परेशान होऊं।
शुचि की बीमारी के कारण उसे कुछ बोलता नही, क्योंकि वो वायलेंट हो जाती है।
यही समस्या है।
तब तीनों का एकल और संयुक्त सत्र हुआ, शुचि को आहत किए बिना, युक्तिगत समाधान निकाला गया।
रुचि को भी रियलाइज करवाया गया की अगर तुम सामान्य होकर भी 30 साल तक की उमर में स्वयं को किसी क्षेत्र में स्थापित नही कर पाई हो तो अब तुम्हे खुद को चैलेंज कर प्रतियोगी परीक्षा निकलना होगी।
उसके लिए पिता के दूसरे घर में परीक्षा तक रहकर शांति से परीक्षा की तैयारी करने का समाधान निकाला गया जिसपर सभी सहमत हुए। साथ ही शुचि को अपने चिकित्सक की सलाह पर चलने, अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने, योग और मेडिटेशन करने और दूसरी कोपिंग स्ट्रेटजीज पर भी चर्चा की गई।
इस तरह साधनपूर्वक परिवार रवाना हुआ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी:
रामनिवास बुधौलिया रिपोर्ट अनिल भंडारी
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