Policewala
Home Policewala सड़क सुरक्षा का संकट: ट्रैफ़िक नियम पालन को शर्मिंदगी और नियम तोड़ने को साहस और गर्व के प्रतीक के रूप में देखे जाने की भावना बदल कर सख्त सुधारों की जरूरत।
Policewala

सड़क सुरक्षा का संकट: ट्रैफ़िक नियम पालन को शर्मिंदगी और नियम तोड़ने को साहस और गर्व के प्रतीक के रूप में देखे जाने की भावना बदल कर सख्त सुधारों की जरूरत।

रायपुर 28 जनवरी 2025

भारत में सड़क हादसे हर साल लाखों लोगों की जान ले रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023 में करीब 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में पौने 2 लाख लोगों की जान गई। जबकि ग़ैर सरकारी आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में सड़क दुर्घटनाओं और इनमें मरने वालों की संख्या और भी ज़्यादा बढ़ गई। सबसे दुखद पहलू यह है कि इनमें से अधिकांश मृतक 15-34 वर्ष के युवा थे। यह समस्या केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी यातायात व्यवस्था की विफलता और समाज में नियम पालन की उदासीनता को उजागर करती है।

जिस देश में एक ट्रैफिक सिपाही मामूली चालान काटने पर दबाव का सामना करता हो, और जहाँ ट्रैफिक नियम तोड़ने को साहस और गर्व के प्रतीक के रूप में देखा जाता हो, वहाँ सड़क हादसे होना लाज़मी है। लोग हेलमेट, सीट बेल्ट और स्पीड लिमिट जैसे बुनियादी नियमों का पालन करना अपनी प्रतिष्ठा के खिलाफ मानते हैं। वहीं, प्रशासन और पुलिस भी रसूखदारों के दबाव और वीआईपी संस्कृति के चलते प्रभावी कदम उठाने में विफल रहते हैं।

सड़क हादसों के मुख्य कारणों में अत्यधिक गति और ख़तरनाक चालन, नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना, ट्रैफ़िक नियमों का पालन न करना, नशे की हालत में गाड़ी चलाना, ओवरलोडिंग और नियमों की अनदेखी, लंबी दूरी के वाहनों में ड्राइवरों की थकान, सार्वजनिक वाहनों की फिटनेस और अनदेखी और लोगों यहाँ तक कि पैदल व दो पहिया चलाने वाले लोगों में भी सड़क पर लापरवाही से चलना है।

सार्वजनिक वाहनों, स्कूल बसों और मालवाहकों की फिटनेस जांच अक्सर औपचारिकता बनकर रह जाती है। हर साल इनकी पूरी और सख्त जांच अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि सड़क पर केवल सुरक्षित वाहन ही चलें। माता-पिता अपने बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति देकर न केवल उनकी जान को खतरे में डालते हैं, बल्कि यह गंभीर कानून उल्लंघन भी है। ऐसे मामलों में अभिभावकों पर भी दंड लगाया जाना चाहिए। लंबी दूरी के ड्राइवरों को आराम के बिना वाहन चलाने के लिए मजबूर किया जाता है। नशे की हालत में वाहन चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मालवाहक और सार्वजनिक वाहनों में क्षमता से अधिक भार और सवारी भरना दुर्घटनाओं को आमंत्रण देता है। यह कानून का गंभीर उल्लंघन है, और इसे रोकने के लिए सख्त जुर्माने और कार्रवाई की जरूरत है।

समाधान और सुधार के लिए आवश्यक है कि ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाए। इसके लिए यह ज़रूरी है कि अभिभावकों, स्कूलों और समाज में ट्रैफिक नियमों के पालन की भावना को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं और नियम पालन करने वालों को प्रोत्साहित किया जाए।
ट्रैफिक पुलिस और नागरिकों को भी प्रोत्साहन की व्यवस्था होना चाहिए । ट्रैफिक नियमों का पालन करने वाले चालकों को इनाम और प्रमाणपत्र दिए जाने चाहिए। साथ ही, नियमों का पालन कराने वाले ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को भी सम्मानित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें रसूखदारों के दबाव का सामना करने में हौसला मिले।
लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सख्त किया जाना चाहिए।आरटीओ कार्यालयों को दलालों से मुक्त किया जाना ज़रूरी है। यह सर्वविदित है कि आज देश के आरटीओ ऑफिसों में दलालों का वर्चस्व है। अनफिट वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र मिलना, बिना किसी ड्राइविंग टेस्ट और ट्रैफ़िक नियमों के ज्ञान के लाइसेंस बन जाना कुछ ऐसे बड़े कारण हैं जो सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी के लिये ज़िम्मेदार हैं।
इसके लिये यदि गलत लाइसेंस बनता है या वाहन को ग़लत फिटनेस प्रमाणपत्र मिलता है तो तो संबंधित अधिकारी पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। लापरवाह व ख़तरनाक ड्राइविंग करने वालों के लाइसेंस पर रिमार्क लगाया जाना चाहिए और यदि यह गलती बार-बार हो, तो लाइसेंस सस्पेंड करते हुए ऐसे चालकों को पुनः प्रशिक्षण के बाद ही ही नया लाइसेंस दिया जाए, जिसमें उनकी पुरानी गलती का रिकॉर्ड भी दर्शाया हो।सार्वजनिक और निजी वाहनों की हर साल फिटनेस जांच अनिवार्य की जानी चाहिए। जांच में किसी भी लापरवाही पर सख्त दंड का प्रावधान हो।लापरवाही या ख़तरनाक ढंग से वाहन चलाने वालों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। जुर्माना, लाइसेंस निलंबन, और ड्राइविंग क्लासेस अनिवार्य रूप से लागू की जानी चाहिए।

सड़क सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेदारी है, लेकिन नागरिकों की भूमिका इससे कम नहीं है। हर व्यक्ति को अपने वाहन की फिटनेस और नियम पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
अविभावकों का यह दायित्व है कि उनको नाबालिगों को वाहन चलाने से रोकना चाहिए। हेलमेट, सीट बेल्ट और स्पीड लिमिट जैसे नियमों का पालन करना अनिवार्य होना चाहिए।

भारत में सड़क हादसों को रोकने के लिए सख्त कानून और प्रभावी कार्यान्वयन के साथ-साथ समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। यदि नियम पालन को गर्व और लापरवाही को शर्मिंदगी का विषय बनाया जाए, तो यह स्थिति बदली जा सकती है। सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत की सड़कों पर हर व्यक्ति सुरक्षित रहे और हर युवा अपने सपनों को साकार कर सके।

( राजीव खरे ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़ )

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

रायपुर कलेक्टर ने किया मतस्य और पीएचई विभाग का औचक निरीक्षण 

रायपुर 29 जनवरी 2025।   कलेक्टर डॉ गौरव सिंह ने विगत दिवस...