छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में तखतपुर-मुंगेली-पंडरिया सड़क की बदहाल स्थिति पर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में लिया है। अदालत ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सचिव को निर्देश दिया है कि आचार संहिता समाप्त होते ही सड़कों की मरम्मत का कार्य तेजी से शुरू किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।
तखतपुर-मुंगेली-पंडरिया मार्ग पर गड्ढों की भरमार से राहगीरों, वाहन चालकों और स्थानीय नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे आमजन की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने कई बार सड़कों की मरम्मत की मांग उठाई, लेकिन अब तक प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
सड़क की जर्जर हालत को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर लिया। अदालत ने साफ किया कि जनता को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है, और सड़कों की बदहाली को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
इस समय प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण सड़कों की मरम्मत का काम स्थगित है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया समाप्त होते ही लोक निर्माण विभाग को युद्धस्तर पर मरम्मत कार्य शुरू करना होगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस सड़क से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं, जिनमें स्कूली बच्चे, व्यापारी और ग्रामीण शामिल हैं। गड्ढों के कारण कई बाइक सवार गिरकर घायल हो चुके हैं, वहीं भारी वाहनों को भी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन जल्द हरकत में आएगा।
विषय के जानकारों का कहना है कि सड़क निर्माण और मरम्मत में लापरवाही की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। समय पर मरम्मत नहीं होने से न केवल आमजन को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, बल्कि सरकारी धन का भी नुकसान होता है। यदि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए और समय-समय पर मॉनिटरिंग हो, तो इस तरह की समस्याएं उत्पन्न ही नहीं होंगी।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को निर्धारित की है। उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान पीडब्ल्यूडी द्वारा कोर्ट को सड़कों की मरम्मत को लेकर कार्ययोजना प्रस्तुत की जाएगी। अगर विभाग इस पर ठोस कार्यवाही नहीं करता है, तो अदालत आगे और कड़े निर्देश दे सकती है।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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