सरवाड़/अजमेर
लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए हमें जनमत को साथ लेना होगा-सुशील शर्मा
संविधान,लोकतंत्र और न्यायपालिका की रक्षा का दायित्व है आईएएल का-कुणाल रावत
अधीनस्थ न्यायालयों में प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी जानी चाहिए-डॉ.मनोज आहूजा
जयपुर (डॉ.मनोज आहूजा )शहर के तारक भवन में शनिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स की जयपुर इकाई की ओर से संविधान,लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चेयरमेन जी एस राठौड़ ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज देश के हालात काफ़ी विकट हैं। देश की संवेधानिक संस्थाओ का खुलकर दुरूपयोग किया जा रहा है इन सबको देखने के बावजूद भी आज अगर आप द्रोणाचार्य बनकर अंधे बने रहोगे और चुप रहोगे तो आने वाली पीढ़ी आपको कभी माफ़ नहीं करेगी।हमें इसका खुलकर विरोध करना चाहिए। संविधान की रक्षा करना हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदार है।इससे पूर्व एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव कुणाल रावत ने सेमीनार में उपस्थित बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के चेयरमैन जीएस राठौड़ का बतौर मुख्य अतिथि के तथा पूर्व चेयरमैन सैयद हसन का मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व चेयरमैन सुशील शर्मा का कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में अभिनन्दन किया।तथा बताया कि आईएएल अधिवक्ताओं की एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था है जिसके नेतृत्व में केरल में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भी इसी मुद्दे पर चर्चा की जाएगी क्योंकि आज देश के संविधान,लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की महत्ती आवश्यकता है जिसका बीड़ा आई ए एल ने उठाया है।कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित बार कॉन्सिल ऑफ़ राजस्थान के पूर्व अध्यक्ष सैयद हसन ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान की मूल भावना को बदलने का कुत्सिक प्रयास किया जा रहा है जिसे रोकने की हम सबकी जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि रिटायर्ड जजों को आयोग वगैरह का अध्यक्ष बनाया जाना बिलकुल गलत है।इस सम्बन्ध में प्रस्ताव पास करने की महत्ती आवश्यकता है।देश कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बार कॉन्सिल ऑफ़ राजस्थान के पूर्व अध्यक्ष सुशील शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए हमें जनमत का साथ लेना होगा। समाज में इन मुद्दों को ले जाकर जनमत एकत्रित करना होगा,अपनी बात को और संविधान के प्रावधानों को आम जनता के बीच ले जाना होगा।देश में फ़ैल रहे जहरीले वातावरण को रोकने की आवश्यकता है,लोकतंत्र बचेगा तभी न्यायपालिका बचेगी और तभी हमारा अस्तित्व कायम रहेगा।हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष महेन्द्र शांडिल्य ने कहा कि हमारे प्रदेश की न्यायपालिका सशक्त व स्वतंत्र है।उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थो के चलते विचार बदलते रहते हैं।कार्यक्रम में अजमेर जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए एडवोकेट मनोज आहूजा ने कहा कि आज देश की न्यायपालिका पर लगातार आक्रमण हो रहे हैं।जजेज के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं।कॉलेजीयम सिस्टम में सुधार होना आवश्यक है,अधीनस्थ न्यायालय के अधिवक्ताओ को भी जज बनाया जाना चाहिए।तथा भृष्ट और निकम्मे जजों की छंटनी करनी चाहिए तभी न्यायपालिका में सुधार होगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी रह सकेगी।जोधपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए एडवोकेट द्वारकेश व्यास ने कहा कि संविधान के संघात्मक ढांचे को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है जिसे रोकने के लिए हमें आगे आना होगा। तानाशाही करने वालों को रोकना होगा।कैट के बार अध्यक्ष विजय दत्त शर्मा ने कहा कि हमें अधिकारों के साथ साथ संविधान में दिए गए कर्तव्यों का भी ध्यान रखना होगा।सेमिनार में सीकर बार के पूर्व अध्यक्ष सूरज भान सिंह,दी बार एसोसिएशन जयपुर के महासचिव मनोज शर्मा सहित कई वकीलों ने अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व उपाध्यक्ष मनू भार्गव,कार्यकारिणी सदस्य सुनील कुमार शर्मा,एडवोकेट देवेंद्र चौहान,एडवोकेट अंकिता मिश्रा,आशुतोष स्वामी,राधिका महरवाल,धृति शर्मा,प्रमोद अग्रवाल, राजाराम चौधरी,कविता भाटी,मीनल, मनोज आहूजा,सुमित खण्डेलवाल, रामेश्वर शर्मा,पंकज जैन,गजेंद्र राठौड़, आराधना स्वामी,अनुपमा शर्मा,यश चतुर्वेदी सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए अधिवक्ता मौजूद रहे।इसके साथ ही कार्यक्रम में कई जनसंगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।जिनमें सवाई सिंह,राहुल गौतम,तारासिंह सिद्धू,नरेन्द्र आचार्य,सुनीता चतुर्वेदी,रमेश शर्मा,विनय चतुर्वेदी आदि शामिल रहे।सेमिनार में बड़ी संख्या में युवा वकीलों ने संविधान की पालना पर अपने विचार व्यक्त भी किये।कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् उपस्थित मेहमानों के सानिध्य में लंच का आयोजन भी किया गया।
रिपोट शिवशकर वैष्णव
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