रायपुर 25 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ के तिल्दा क्षेत्र में स्थित संजय केमिकल फैक्ट्री में हाल ही में लगी भीषण आग ने औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हादसे में 15 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 25 से अधिक लोग घायल हैं। यह घटना तब हुई जब फैक्ट्री में ज्वलनशील रसायनों के भंडारण टैंक में विस्फोट हो गया, जिससे आग ने पूरे संयंत्र को अपनी चपेट में ले लिया।
आग इतनी भयावह थी कि दमकल कर्मियों को आग बुझाने में 12 घंटे से अधिक का समय लगा। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी की गई थी, जिसके चलते यह त्रासदी हुई।
सूत्रों के अनुसार, तिल्दा स्थित संजय केमिकल संयंत्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल की घोर अनदेखी की जा रही थी वहाँ सुरक्षा व्यवस्थाएं न के बराबर थीं।
यहाँ तक कि फैक्ट्री में आग बुझाने के लिए आधुनिक फायर फाइटिंग उपकरण भी नहीं थे। पुराने अग्निशमन यंत्र खराब पड़े थे।
वहां ज्वलनशील रसायनों का असुरक्षित भंडारण के स्पष्ट संकेत थे।केमिकल टैंकों को बिना किसी मानक सुरक्षा उपायों के खुले में रखा गया था।
वहां आपातकालीन निकासी मार्ग नहीं था। फैक्ट्री के कई हिस्सों में इमरजेंसी एग्जिट ब्लॉक या बंद पाए गए, जिससे मजदूर अंदर फंस गए।
इतना ही नहीं संजय कैमिकल में अलर्ट सिस्टम का अभाव था तथा विस्फोट से पहले मजदूरों को आग के खतरों से आगाह करने के लिए कोई अलार्म सिस्टम काम नहीं कर रहा था।
हादसे में जान गंवाने वाले ज्यादातर मजदूर ठेका श्रमिक थे। उनकी न तो कोई बीमा पॉलिसी थी और न ही कंपनी ने उन्हें सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए। देश में यह एक बहुत बड़ी विडंबना है कि आजकल सरकारी हो या गैरसरकारी , संस्थानों में ठेका प्रथा से स्टाफ़ व श्रमिकों का नियोजन किया जाता है। इससे अपने चहेतों को रखना तो आसान हो जाता है पर पर्याप्त अनुभव, ज्ञान और प्रशिक्षण के ऐसी जगहों पर इन कर्मियों पर ख़तरा भी मँडराता रहता है। कई मजदूरों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कंपनी के प्रबंधन ने कभी सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित नहीं किया।उन्होंने यह तक बताया कि उन्हें ज्वलनशील रसायनों के खतरे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।इससे
कंपनी प्रबंधन की लापरवाही स्पष्ट तौर से दिखाई देती है , जिस पर लीपापोती के प्रयास में प्रबंधन जुट गया है। फैक्ट्री के मालिकों और प्रबंधन ने इस त्रासदी को “तकनीकी गड़बड़ी” कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की। लेकिन प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ कि यह घटना सुरक्षा मानकों की जानबूझकर की गई अनदेखी का परिणाम थी। सूत्रों के अनुसार, संजय केमिकल ने सुरक्षा ऑडिट के लिए पिछले तीन वर्षों से कोई पहल नहीं की।आग लगने के बाद कंपनी के शीर्ष अधिकारी मौके से फरार हो गए।
स्थानीय प्रशासन और श्रम विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं।क्योंकि फैक्ट्री का नियमित निरीक्षण नहीं किया गया था तथा
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने के बावजूद कंपनी के खिलाफ पहले कभी कार्रवाई नहीं की गई।ग़ौरतलब है कि तिल्दा क्षेत्र में 50% से अधिक औद्योगिक इकाइयां सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करतीं। संजय केमिकल इसका एक उदाहरण है। क्या इस दुर्घटना के लिये संबंधित सरकारी विभाग के अधिकारी दोषी नहीं माने जाने चाहिए ।औद्योगिक हादसों में यह देखा गया है कि कंपनियों के मालिक और बड़े अधिकारी अक्सर सजा से बच जाते हैं।पिछले 10 वर्षों में छत्तीसगढ़ में हुए औद्योगिक हादसों में दर्ज 200 मामलों में से केवल 12 में दोषियों को सजा मिल सकी है।मजदूर संगठनों का कहना है कि जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे हादसे बार-बार होते रहेंगे।
इस हादसे के बाद यह जरूरी हो गया है कि औद्योगिक सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए जाएं।
इसके लिये सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य किया जाना चाहिए , तथा फैक्ट्रियों का समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट होना चाहिए। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए तथा हादसों के लिए जिम्मेदार प्रबंधन और मालिकों यहाँ तक कि सरकारी नियमों के पालन में लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों को फबी आपराधिक सजा दी जानी चाहिये ।मजदूरों का बीमा और प्रशिक्षण का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिये । ठेका मजदूरों के लिए सुरक्षा बीमा और नियमित और पर्याप्त प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना ज़रूरी है ।औद्योगिक इकाइयों की सुरक्षा जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी बनाई जानी चाहिए ।
तिल्दा स्थित संजय केमिकल हादसा न केवल औद्योगिक सुरक्षा की खामियों का उदाहरण है, बल्कि प्रशासन और कंपनियों की लापरवाही का नतीजा भी है। अगर अब भी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं। मजदूरों की जिंदगी को सुरक्षित रखने के लिए सरकार, कंपनियों और समाज को मिलकर प्रयास करना होगा।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़ )
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