इंदौर मध्य प्रदेश
आचार्य श्री वीररत्नसूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री पद्मभूषणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदिठाणा 22 का
स्वर्णिम चातुर्मास वर्ष 2023 दिनांक – 26/08/2023
दिनाँक 27 अगस्त को आयोजित होगी भगवान पार्श्वनाथ की शक्रस्तव की पूजा
श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का अभिषेक प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक होगा। यह अद्भुत एवं अनूठा अनुष्ठान है श्रावक, समाज, संस्था एवं शासन की शांति के लिये किया जाता है इससे एक नई प्रभावी ऊर्जा का सभी में संचार होता है। मुनिवरऋषभरत्न विजयजी म.सा. ने यह भी बताया कि, शुभ संकेत,संभावनायेँ एवं द्रण संकल्प से ही ईश्वर प्राप्त होते हैं कल को भूलाकर, वर्तमान सुधारों एवं भविष्य को संवारों तब ही परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना जाग्रत होगी और उनको प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। इस विशिष्ठ अनुष्ठान के लाभार्थी श्री सुरेन्द्रजी, प्रीतेंद्रजी एवं जितेंद्रजी मेहता परिवार रोहिडा वाले हैं। राजेश जैन युवा ने बताया की इस अवसर पर श्री दिलीप शाह ने आगामी 3 सितंबर एवं उसके बाद की धार्मिक गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। श्री मुकेशजी पोरवाल ने सभी तपस्वी साध्वियों, लाभार्थी की अनुमोदना की एवं श्रीसंघ के प्रति आभार प्रदर्शित किया। अतुल जैन, हेमंतराज जैन, अरविंद गांधी, साधना जैन, संगीता सहित कई पुरुष व महिलायें उपस्थित थीं।
शुभ संकेत,संभावनायेँ एवं द्रण संकल्प से ही ईश्वर प्राप्त होते हैं
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने आज समझाया कि, जीवन में परिवर्तन का कैसे प्रवेश करवाया जाये। जिन शासन वर्तमान काल के घोर अंधेरे में प्रकाश की लकीर के समान। परमात्मा का शासन मिला है उसको छोड़ना नहीं है क्योंकि जो मिला उसकी सुरक्षा करो और जो नहीं मिला है उसकी चिंता छोड़ो। कोई भी कार्य परिणाम को ध्यान में रखकर किया जाता है जिससे वांछित फल की प्राप्ति हो सके। हम थोड़े (जड़) के लिये बहुत कुछ (धर्म) छोड़ रहे हैं। जीवन को खोना नहीं है
जीवन में परिवर्तन के लिये चार तत्व आवश्यक है
1. संकेत अच्छे मिलना चाहिये – जिस पर परमात्मा की कृपा एवं आशीर्वाद है उसको अच्छे विचार आते हैं यह अच्छे भाव हमारे जाग्रत होने का संकेत हैं। तप, दान, शील एवं भाव से जुड़ने पर ही शुभ भाव जागेंगे और भगवान में जितना आकर्षण बड़े उतने भाव बढ़ते हैं वो भी अच्छे संकेत हैं। जब अच्छे संकेत मिलने लगते हैं तो यह समझना चाहिये कि परमात्मा की कृपा बरस रही है। विभिन्न उदाहरण देकर मुनिवर ने यह तत्व समझाया।
2. संभावना अच्छी होना चाहिये – अच्छे संकेत मिलने के बाद अच्छी संभावना बनाना आवश्यक है। जैसे गुरु भगवंत के प्रवचन के समाचार मिलने पर (अच्छे संकेत) उनके श्रवण के लिये वहाँ पहुँचना अच्छी संभावना है। तप के भाव आये यह संकेत है और गुरु भगवंत से पच्चखान लेना संभावना है। अच्छे संकेतों का संभावना में परिवर्तन ही जीवन परिवर्तन है।
3. संकल्प द्रण होना चाहिये – ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता, टूट जाये वह संकल्प नहीं होता। संकल्प हमेशा मजबूत होना आवश्यक तभी जीत की कल्पना की जा सकती है। संकल्प और विकल्प साथ-साथ नहीं चल सकते हैं क्योंकि हार के विकल्प होते हैं जीत के नहीं। यदि विकल्प की मंशा मन में रखी तो हार निश्चित है। संकल्प की मजबूती पर ही सफलता निर्भर करती है। चंद्रयान की सफलता मजबूत संकल्प का परिणाम है। परमात्मा को पाने का संकल्प द्रण होगा तभी उनकी प्राप्ति होगी।
4. समर्पण श्रेष्ठ होना चाहिये – मन का अर्पण करना ही समर्पण है। समर्पण का सबसे अच्छा दृष्टांत मूर्ति का पत्थर जो शिल्पी को समर्पित है चाहे कितनी भी चोट लगे वह सह लेगा। मन की भावनाओं का अर्पण ही समर्पण। जीवन को भी देव गुरु के चरणों में समर्पित करें तभी आपका कल्याण होगा। बिना समर्पण को कोई निर्माण संभव नहीं है। चरित्र निर्माण परमात्मा को समर्पण से ही संभव है।
उपरोक्त चारों तत्वों से यही प्रेरणा मिलती है कि इनका पालन हमारे जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘अतीत को भूलो, वर्तमान सुधारो व भविष्य को संवारों”
राजेश जैन युवा ने बताया की –
इस अवसर पर दिलीप शाह ने कल किये जाने वाले तिलकेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के शक्रस्तव अभिषेक के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। इस विशिष्ठ अनुष्ठान के लाभार्थी सुरेन्द्र, प्रीतेंद्र एवं जितेंद् मेहता परिवार रोहिडा वाले हैं। मुकेश पोरवाल ने सभी तपस्वी साध्वियों की अनुमोदना की एवं श्रीसंघ के प्रति आभार प्रदर्शित किया। अतुल जैन, हेमंतराज जैन, अरविंद गांधी, साधना जैन, संगीता सहित कई पुरुष व महिलायें उपस्थित थीं।
राजेश जैन युवा 92450-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी
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