इंदौर मध्य प्रदेश
आचार्य श्री वीररत्नसूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री पद्मभूषणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदिठाणा 22 का
स्वर्णिम चातुर्मास वर्ष 2023 दिनांक – 24/08/2023
अंतरिक्ष का खोजी विज्ञानी, अंतर्मन का खोजी ज्ञानी
मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने आज चंद्रयान और आत्मा की विशेषताओं का बहुत सटीक एवं सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जो स्थिरता को त्याग कर अस्थिरता को पाना चाहता है वह दोनों को ही खो देता है। न तो उसके पास वर्तमान में मौजूद है वह रह पाता है और जो नहीं मिला उसके पाने के प्रयास भी विफल हो जाते हैं। जो अंतरिक्ष में खोज करता है वह विज्ञानी और जो आत्मा के अंदर खोज करता है वह ज्ञानी है। किसी मिशन की सफलता के लिये निम्न चार मुख्य तत्व होते हैं।
1. आकर्षण : जैसे चंद्रमा पर जाने का आकर्षण उत्पन्न हुआ यह जानने के लिये कि, वहाँ पर क्या-क्या अद्भुत है ऐसे ही आत्मा का आकर्षण भी आवश्यक है। भौतिक आकर्षण को प्राप्त करने के लिये विज्ञानी बनना है तो आत्मा के आकर्षण के लिये ज्ञानी बनना है। जैसे सेकड़ों वैज्ञानिकों ने सालों कड़ी मेहनत करके चंद्रयान की सफलता हासिल की यदि हमने भी ऐसे प्रयास किये होते तो आत्मा का कल्याण अवश्य हो जाता। आत्मा के आकर्षण से ही अंदर की गुणों को खोजा जा सकता है।
2. निरीक्षण : चंद्रयान का सतत निरीक्षण रखा जा रहा है कि वह कहीं भटके नहीं। जब तक आत्मा के पास नहीं पहुँच जाते तब तक हमको भी आत्म-निरीक्षण करते रहना है कि, वह सही रास्ते पर जा रही है या नहीं। आत्मा का चेक-अप लगातार आवश्यक है कि वह अपनी सही अवस्था में है या नहीं इसलिये स्व-निरीक्षण भी बहुत आवश्यक है। तप से ही आत्मा का निरीक्षण संभव है।
3. नियंत्रण : चंद्रयान पर इसरो का नियंत्रण है जिससे वह सुचारु रूप से कार्य करता रहे और इच्छित अभियान पूर्ण हो। ठीक इसी तरह परमात्मा की आज्ञा के अनुसार आत्मा पर नियंत्रण रखना है जिससे मोक्ष का अभियान सफल हो सके। हमें आत्मा में उतरना है एवं आत्मा को आत्मा में ही रखना है।
4. निरंजन : चंद्रयान से चंद्रमा की सफल खोज से पूरे देश को आनंद हुआ। आत्मा के गुणों की खोज सबसे अहम खोज है जिससे हमको जबरदस्त आनंद की प्राप्ति होगी। आत्मा का स्वभाव अमरता प्राप्त करना है क्योंकि जाते हुए जीवन और आयुष को कोई नहीं रोक सकता है।
चंद्रयान बाह्य लाभ है तो आत्मा अभ्यंतर लाभ है। चंद्रयान चंद्रमा पर उतरा भारत का मिशन सफल, हम आत्मा में उतरे, प्रभु आज्ञा का मिशन सफल।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘जो प्राप्त है वो पर्याप्त है, नहीं तो सब समाप्त है”
राजेश जैन युवा ने बताया की
इस अवसर पर निलेष पोरवाल, रवि बाठीयाँ, राहुल कोठारी, उषा रांका, अंगूरबाला व कई पुरुष व महिलायें उपस्थित थीं।
राजेश जैन युवा 94250-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी
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