डिंडौरी मध्य प्रदेश
जिले के शहपुरा नगर के पशु चिकित्सालय में अब एक दुखद परिस्थिति दिख रही है. यहां के पशु अस्पताल की हालत बेहद निराशाजनक है।
यहां पर न तो चिकित्सक की कोई उपस्थिति है और न ही पशुओं के इलाज की आवश्यकता को ध्यान में रखा जा रहा है. यहां के अस्पताल के अंदर की स्थिति को देखकर शायद आप भी हैरान हो जाएंगे कि यह पशु अस्पताल है या फिर कोई ऐतिहासिक धरोहर. स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां डॉक्टर तो पदस्थ हैं लेकिन वह कभी-कभी ही आते हैं, यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है। यहां पर पशुओं के इलाज के लिए अस्पताल के अंदर न तो उपयुक्त उपकरण हैं और न ही विशेषज्ञ चिकित्सक।
पशु चिकित्सालय में पदस्थ स्टाफ के नदारत रहने की शिकायत जब पत्रकारों को मिली तो उन्होंने इसकी पड़ताल करने के लिए पशु चिकित्सालय शहपुरा का दौरा किया, जिसमें उन्हें उपस्थिति रजिस्टर सहित बहुत सी कमियां मिलीं।
पशु चिकित्सालय में पशु विभाग के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी भी जनता को नहीं मिल रही है। पशु चिकित्सालय में जब अपने मवेशियों का इलाज कराने जाते है। तो पशु चिकित्सालय मे चपरासी के अलावा और कोई दूसरा कर्मचारी उपस्थित ही नहीं रहता चपरासी द्वारा पूछने पर वता दिया जाता है की आज डॉक्टर साहब नहीं आए।
बुधवार को पशु चिकित्सालय शहपुरा में जब पत्रकारों की टीम सुबह 10:00 बजे पहुंची तो अस्पताल से सभी डॉक्टर नदारत मिले। सिर्फ स्टाफ के रूप में शिवनंदन दुबे पशु एंबुलेंस के ड्राइवर वहां पर उपस्थित मिले।
उपस्थिति पंजी रजिस्टर में मिली गड़बड़िय
शाहपुरा पशु चिकित्सालय में रखे उपस्थिति पंजी को जब देखा गया तो उसमें लगभग 19 महीना से लगातार पूरे स्टाफ की 100% उपस्थित देखने को मिली। पूरे स्टाफ के द्वारा ना तो रविवार को छुट्टी ली गई और ना ही किसी त्योहार में जबकि यहां के लोगों के द्वारा अक्सर यह कहा जाता है कि जब भी हम पशु चिकित्सा ले जाते हैं तो हमें वहां पर कोई भी डाक्टर उपस्थित नहीं मिलते हैं अब यह भी अपने आप में एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। वही उपस्थिति पंजी में पत्रकारों को यह भी देखने को मिला कि गुरुवार की भी उपस्थिति पंजी रजिस्टर में दर्ज थी इस पर जब अस्पताल कि जिम्मेदारों से पूछा गया तो वह गोल-गोल जवाब देते हुए गलती से साइन हो जाने की बात कहते नजर आए।
निजी डॉक्टर करते हैं पशुओं का इलाज
वर्तमान स्थिति में, पशु अस्पताल की कमजोर हालत के कारण स्थानीय लोग मजबूरी में निजी डॉक्टरों की सहायता ले कर ही अपने पशुओं का इलाज करवा रहे हैं। पशु चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञों की कमी के चलते पशु अस्पताल की सुविधाएँ भी नहीं हैं. प्राथमिकता के कारण, लोग अपने पशुओं के इलाज के लिए निजी डॉक्टरों की सहायता ले रहे हैं। पहले जब यह पशु अस्पताल बनाया गया था, तब लोगों की उम्मीद थी कि वे अपने पशुओं को आसानी से इलाज करवा सकेंगे. हालांकि, आजकल की स्थिति यह दिखाती है कि यह सपना बेहद दूर है।
ग्रामीण क्षेत्र से आए पशुपालक घंटो करते हैं इंतजार
शहपुरा पशु चिकित्सालय में डॉक्टर भी पदस्थ हैं और दवाइयां भी उपलब्ध है। बावजूद इसके पशुपालकों को सहूलियत नहीं मिल पा रही है। दूर दराज से आने वाले पशुपालकों को या तो दिन भर बैठकर इंतजार करना पड़ता है या फिर निराश होकर लौट जाना पड़ता है। और फिर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है जिसमें न केवल उनके पशु की शामत आ जाती है बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
इनका कहना है
शहपुरा पशु चिकित्सालय में उपस्थित पंजी सहित अन्य अवस्थाओं को लेकर जब डिंडोरी के डिप्टी डायरेक्टर एचपी शुक्ला से पूछा गया तो उनका कहना था कि आपके द्वारा मुझे जानकारी मिली है यदि किसी तरह की अटेंडेंस में गड़बड़ी उनके द्वारा की गई है तो इसकी जांच कर कार्यवाही की जाएगी
रिपोर्ट अखिलेश झारिया
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