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शहपुरा क्षेत्र में अवैध ब्लास्टिंग चरम पर, प्रशासन बना मौनदर्शक — एक बड़ी दुर्घटना का इंतजार?

डिंडौरी मध्यप्रदेश

डिंडौरी (शहपुरा)
आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले के शहपुरा विकासखंड में विगत 5–6 महीनों से हो रही अवैध ब्लास्टिंग ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन की भूमिका को भी कठघरे में ला खड़ा किया है। जिला और तहसील प्रशासन की नाक के नीचे भारी मात्रा में विस्फोटकों का उपयोग लगातार हो रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं — या तो वे अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं, या फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

जांच के बिना विस्फोटक का उपयोग, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
गौरतलब है कि भारत-पाक युद्ध जैसे हालातों में जहां विस्फोटकों की सघन जांच के बाद ही उपयोग की अनुमति दी जाती है, वहीं शाहपुरा में बिना किसी वैधानिक अनुमति के खुलेआम विस्फोटकों का उपयोग किया जा रहा है। यह स्थिति प्रशासनिक तंत्र की घोर लापरवाही को दर्शाती है। विस्फोटकों की जांच किए बिना उनका परिवहन और उपयोग एक गंभीर आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।

364.706 करोड़ की जल जीवन मिशन परियोजना में हो रहा नियमों का उल्लंघन
यह अवैध ब्लास्टिंग “जल जीवन मिशन” के तहत मध्य प्रदेश जल निगम द्वारा संचालित शहपुरा-मेहंदवानी जलप्रदाय योजना के अंतर्गत ग्राम ढोडा में हो रही है। इस परियोजना के तहत 316 ग्रामों को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का कार्य, गुजरात की मेसर्स तीर्थ गोपीकांन कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। परंतु कंपनी और इसके ठेकेदारों ने बिना किसी विधिक अनुमति या शॉर्ट फायर परमिट के महीनों से लगातार भारी ब्लास्टिंग कर स्थानीय लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीणों के अनुसार, उनके घरों में दरारें आ चुकी हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद कंपनी ने कोई संज्ञान नहीं लिया।

प्रशासनिक उदासीनता या मिलीभगत?

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि जब उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों से जवाब माँगा, तो उन्हें रसूखदार नेताओं के नाम बताकर डराया गया और नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए कार्य जारी रखा गया। स्थानीय पुलिस और राजस्व विभाग को इस गैरकानूनी गतिविधि की जानकारी होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। दोनों विभागों के अधिकारियों ने “जांच करने” और “कार्रवाई जल्द होगी” जैसे औपचारिक जवाब दिए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात स्पष्ट होती है — जिले और तहसील प्रशासन की सतर्कता और सजगता केवल कागजों तक सीमित रह गई है। यदि इस तरह विस्फोटकों का उपयोग बिना अनुमति खुलेआम किया जाता रहा, तो यह न केवल ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि आने वाले समय में किसी बड़ी त्रासदी का कारण भी बन सकता है।

इनका कहना है
मैं एक बार जाकर जांच करके आता हूं क्योंकि मुझे इसके पहले भी शिकायत मिली है और वहां से एक आदमी भी मेरे पास आया था। कल मैं जांच के उपरांत ही किसी कार्रवाई के नतीजे में पहुंचूंगा।

ऐश्वर्या वर्मा
एसडीएम, शहपुरा

रिपोर्ट-अखिलेश झारिया

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