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विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई के उपलक्ष्य में भावी पीढ़ी की साँसों के आरक्षण के लिए आज करे प्रकृति का संरक्षण….

इंदौर मध्य प्रदेश
मानव जीवन प्रकृति पर आश्रित है। प्रकृति एक विराट शरीर की तरह है। जीव-जन्तु, वृक्ष-वनस्पति, नदी-पहाड़ आदि उसके अंग-प्रत्यंग हैं। इनके परस्पर सहयोग से यह वृहद शरीर स्वस्थ और सन्तुलित है। जिस प्रकार मानव शरीर के किसी एक अंग में खराबी आ जाने से पूरे शरीर के कार्य में बाधा पड़ती है, उसी प्रकार प्रकृति के घटकों से छेड़छाड़ करने पर प्रकृति की व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है। प्रकृति के साथ दुश्मन की तरह नहीं, वरन दोस्त की तरह काम करना चाहिए। हम दिनों दिन पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं, जिसके परिणाम भविष्य में घातक हो सकते हैं। प्रकृति के साथ अनेक वर्षों से की जा रही छेड़छाड़ से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखने के लिये अब दूर जाने की जरूरत नहीं है।हम देखते हैं कि हमारे जीवन के तीनों बुनियादी आधार वायु,जल एवं मृदा आज खतरे में हैं।जब की हमे यह ज्ञात होना चाहिए कि प्राकृतिक संसाधन सिर्फ हमारे आज के लिए नही बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी की विरासत भी है।उनकी जिंदगी और स्वास्थ्य से जुड़ा अहम हिस्सा भी है उक्त उदगार पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में मालवमंथन द्वारा हनुमंत वाटिका कालानी नगर, एयरपोर्ट रोड इंदौर में आयोजित हर्बल फर्स्ट एड बॉक्स(औषधीय पौधों) के रोपण कार्यक्रम में व्यक्त किए वहीं कार्यक्रम की संयोजक रजनी बंडी ने बताया व्यक्ति को कही बहार निकलने से पहले अपने घर एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में ही पूरी जिमेदारी से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए ऐसा करने से प्रकृति चिंता बहुत कुछ हद तक कम हो सकती है। उसी का संदेश देते हुए हमने आज कालानी नगर महिला मंडल और रहवासियों के साथ औषधीय पौधों का रोपण किया कार्यक्रम में सुमन जोशी, शुभांगी जैन,सारिका गंगवाल, मधु पंचोलिया,सीमा गोयल,जया सोनी उपस्थित रही।

   

रोपित औषधीय पौधों में… गिलोय,अशवगंधा ,पत्थरचट्टा,हड़जोड़, पीपरमेंट, अडूसा, पारिजात, पान, चमेली, एलोविरा, लेमनग्रास, मरवा, इन्सुलिन, इस्ट्रीवीया, लाजवंती,लोगतुलसी,आंवला, बेलपत्र,आजवाइन, सिंदूर, बारामासी, मीठा नीम, निर्गुन्डी, कपूर तुलसी,शतावर
इलाइची, नागरमोथा, अकरकरा, सर्पगंधा,सिताब प्रमुख थे।

रिपोर्ट-अनिल भंडारी 94250 59410

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