ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन ने जिले और उच्चाधिकारियों को लिखा पत्र
10 दिन के अर्जित अवकाश संग्रहण का नियम फिर बनाया जाए
मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश से सभी शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए 1 मई से 31मई तक के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया है। मात्र एक माह के ग्रीष्मकालीन अवकाश मिलने पर भी जहां विशिष्ठ संस्थाओं में 20 दिन तक समर कैंप आयोजित किए जाने के आदेश हुए हैं, वहीं मई माह में शिक्षकों के लिए 5- 5दिन के जबलपुर में प्रशिक्षण भी आयोजित किए जा रहे हैं । शिक्षकों के लिए लगातार घटते जा रहे ग्रीष्म अवकाश को लेकर जहां एक ओर आक्रोश पनप रहा हैं वहीं दूसरी ओर ग्रीष्म अवकाश में अवकाश से वंचित कर शिक्षकों से काम तो ले लिया जाता है पर अधिकारी अर्जित अवकाश स्वीकृत कर सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि नहीं करते हैं। जैसे तैसे प्रविष्टि हो भी गई तो अवकाश नगदीकरण के समय सक्षम अधिकारी के स्वीकृति आदेश मांगे जाते हैं और जब शिक्षक ऐसे आदेश नहीं दे पाता है तो फिर फिफ्टी फिफ्टी का खेल शुरू होता है और शिक्षक मजबूर होकर इस खेल में शामिल हो जाता है। वर्तमान में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मंडला द्वारा सीएम राइज, पीएम श्री, उत्कृष्ट और मॉडल विद्यालयों में 1मई से 20 मई तक समर कैंप आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं। उक्त आदेश लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किए गए पत्र के संदर्भ पर जारी किए हैं। देखने वाली बात ये है कि ग्रीष्मावकाश में शैक्षणिक संवर्ग के शिक्षकों को अवकाश से वंचित किए जाने की स्थिति में नियमानुसार अर्जित अवकाश की पात्रता का उल्लेख न तो लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र में है और न ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी हुए आदेश में है।
उल्लेखनीय है कि मप्र शासन वित्त विभाग द्वारा 2008 से शैक्षणिक संवर्ग के शिक्षकों के लिए वर्ष में 10 दिन के अर्जित अवकाश संग्रहण के नियम को भूतलक्षी प्रभाव से समाप्त कर नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के अनुसार शैक्षणिक संवर्ग के शिक्षकों को विश्रामावकाश में अवकाश से वंचित किए जाने पर 30 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन उतने ही दिन का अर्जित अवकाश देने का नियम है। उक्त आदेश के संदर्भ में जिले के अधिकारियों को अपने आदेश में अर्जित अवकाश के पात्रता होने का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिए। देखा जाए तो ग्रीष्मावकाश में अवकाश से वंचित करने का आदेश कलेक्टर स्तर से ही होना चाहिए क्योंकि 15 दिन तक अर्जित अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार कलेक्टर को है, जिले के अन्य अधिकारी को नहीं है। 15 दिनों से अधिक स्वीकृति का अधिकार विभाग के कमिश्नर को है। लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र के अनुसार 20 दिनों से अधिक भी समर कैम्प का निर्णय विद्यालय अपने स्तर पर ले सकता है। अब यदि कोई स्कूल 20 दिनों से अधिक समर कैम्प चलाने का निर्णय लेता है तो पहले उसे सक्षम अधिकारी से अर्जित अवकाश की पात्रता देने की गारंटी शिक्षक को देनी चाहिए। सभी शिक्षकों को भी यह ध्यान देना चाहिए कि यदि विश्रामावकाश में उन्हें रोका जाता है तो ड्यूटी में जाने से पहले अर्जित अवकाश की गारंटी करा लेना चाहिए। देखा यह भी जाता है कि प्राचार्य अक्सर ग्रीष्मावकाश में शिक्षकों की बदल बदल कर ड्यूटी लगा देते हैं यह गलत है, प्राचार्य गैर विश्रामावकाश अधिकारी की श्रेणी में आते हैं उन्हें वर्ष में 30 दिन के अर्जित अवकाश की पात्रता होती है जिसकी स्वीकृति के लिए किसी सक्षम अधिकारी की आवश्यकता नहीं होती है। ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष डी के सिंगौर ने जहां जिले के अधिकारियों को पत्र लिखकर अर्जित अवकाश के उल्लेख के बिना विश्रामावकाश में अवकाश से वंचित न करने की मांग की है वहीं तदाशय का पत्र लोक शिक्षण संचालनालय और राज्य शिक्षा केंद्र को भी लिखा है। उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में यह भी मांग की है कि शिक्षकों को पूर्व की ही भांति 10 दिन के अर्जित अवकाश संग्रहण का लाभ दिया जाए क्योंकि सक्षम अधिकारी के बगैर निचले स्तर के कोई भी अधिकारी विश्रामावकाश में आदेश कर देते हैं और शिक्षकों को उसका लाभ नहीं मिल पाता हैसाथ ही स्वयं की या परिजनों की शादी विवाह या परिजनों की मृत्यु आदि के अवसर पर शिक्षकों को 10- 12 दिनों के अवकाश की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें अवकाश नहीं मिलता है।
मंडला से अशोक मिश्रा की रिपोर्ट
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