हवाई यात्रा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसी वजह से सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन कभी-कभी सुरक्षा तंत्र को गुमराह करने के लिए झूठी सूचनाओं का सहारा लिया जाता है, जिनमें से सबसे गंभीर है बम की झूठी जानकारी देना। यह न केवल यात्री और विमान स्टाफ के लिए चिंता का कारण बनता है, बल्कि हवाई अड्डों की गतिविधियों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। बम की झूठी सूचना देने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं और इसका तत्काल समाधान खोजना आवश्यक है।
अक्सर हवाई अड्डों पर या उड़ान के दौरान ऐसी खबरें आती हैं कि किसी विमान में बम रखा गया है। यह सूचना जैसे ही संबंधित सुरक्षा अधिकारियों तक पहुंचती है, तत्काल सुरक्षा प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं। हवाई अड्डों पर आपातकालीन स्थिति घोषित होती है, विमान को रोका जाता है, यात्रियों और उनके सामान की विस्तृत जांच की जाती है, और कई बार विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग भी कराई जाती है। इसके बावजूद, जब जांच के बाद पता चलता है कि बम की सूचना झूठी थी, तब तक हवाई अड्डे का परिचालन कई घंटों तक बाधित हो चुका होता है। इससे यात्रियों को मानसिक तनाव के साथ-साथ समय और धन का नुकसान होता है।
बम की झूठी सूचनाएं कई कारणों से दी जाती हैं। कुछ लोग जानबूझकर आतंक का माहौल पैदा करने की कोशिश करते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह एक मजाक या व्यक्तिगत दुश्मनी की वजह से होता है। कई बार प्रतियोगी कंपनियां या आतंकवादी संगठन भी ऐसी अफवाहें फैलाते हैं ताकि हवाई अड्डे की गतिविधियों को बाधित किया जा सके या विमान को किसी लक्ष्य से दूर किया जा सके।
कई मामलों में, यह उन यात्रियों द्वारा किया जाता है जो किसी कारणवश उड़ान में देरी करना चाहते हैं या फिर अपनी किसी व्यक्तिगत परेशानी से परेशान होकर ऐसा कदम उठाते हैं। हाल के कुछ वर्षों में सोशल मीडिया और मोबाइल टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऐसी घटनाओं की सूचना देना आसान हो गया है, जिससे यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है।
बम की झूठी सूचनाओं से सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव सुरक्षा पर पड़ता है। हर बार जब ऐसी सूचना मिलती है, तो सुरक्षा बलों को पूरी गंभीरता से काम करना पड़ता है। यह संसाधनों का भारी नुकसान है क्योंकि हर बार आपातकालीन प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए भारी खर्च और समय लगता है।
1.मानव संसाधन का दुरुपयोग: सुरक्षाकर्मी, पुलिस, बम निरोधक दस्ते और अन्य आपातकालीन सेवाओं को तुरंत सक्रिय किया जाता है, भले ही सूचना झूठी हो। इससे वास्तविक आपात स्थितियों में उनकी उपस्थिति और तत्परता प्रभावित हो सकती है।
2.वित्तीय हानि: ऐसी घटनाओं के कारण विमानों की देरी या उड़ान रद्द होने से हवाई अड्डों और एयरलाइंस को भारी वित्तीय नुकसान होता है। यात्री पुनर्निर्धारित उड़ानों का खर्च, हवाई अड्डे की गतिविधियों में बाधा, और सुरक्षा जांच की अतिरिक्त लागतों से बड़ी वित्तीय हानि होती है।
3.समय की बर्बादी: झूठी सूचना के कारण यात्रियों और स्टाफ का समय बर्बाद होता है। यात्रियों को उड़ान देरी का सामना करना पड़ता है और उन्हें लंबे समय तक जांच प्रक्रियाओं का हिस्सा बनना पड़ता है।
4.मानसिक तनाव: ऐसी झूठी सूचनाएं यात्रियों और हवाई अड्डे के स्टाफ के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं। बम की सूचना किसी को भी मानसिक रूप से परेशान कर सकती है, खासकर जब ऐसी स्थिति विमान के अंदर होती है।
बम की झूठी सूचनाओं से निपटने के लिए सरकार और हवाई अड्डे की सुरक्षा एजेंसियों ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, इन घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए और भी कई समाधान अपनाने की आवश्यकता है।
1.कानूनी कड़े प्रावधान: बम की झूठी सूचनाएं देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वर्तमान में कई देशों में ऐसे अपराधियों को भारी जुर्माना और कारावास की सजा दी जाती है। भारत में, ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं जो उन्हें भारी जुर्माने और जेल की सजा का सामना करने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन इसके बावजूद ऐसे अपराधियों की संख्या में कमी नहीं आई है। इसलिए, कानूनी प्रक्रिया को और भी कड़ा और प्रभावी बनाना जरूरी है।
2.सुरक्षा तकनीक का उन्नयन: हवाई अड्डों पर अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना बम की झूठी सूचनाओं का जल्दी और प्रभावी ढंग से पता लगाने में मदद कर सकता है। उच्च स्तरीय स्कैनर, बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली और बम डिटेक्शन तकनीकों को लगातार अपग्रेड करने की जरूरत है ताकि बिना किसी देरी के सही जानकारी प्राप्त हो सके।
3.सोशल मीडिया निगरानी: सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलने वाली झूठी सूचनाओं को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करना जरूरी है। सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की स्थापना की जा सकती है, जो तुरंत कार्रवाई कर सके।
4.यात्रियों की जागरूकता: यात्रियों को यह समझाना भी जरूरी है कि बम जैसी अफवाहें फैलाना कितना खतरनाक हो सकता है। इसके लिए हवाई अड्डों पर जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं, जिसमें यात्रियों को इस तरह की गतिविधियों से बचने की सलाह दी जा सके।
5.सुरक्षा बलों की प्रशिक्षण: सुरक्षा बलों को इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उनका प्रशिक्षण ऐसा होना चाहिए कि वे जल्दी और सही तरीके से स्थिति का आकलन कर सकें और समय रहते सही कदम उठा सकें।
विमानों में बम रखने की झूठी सूचनाएं एक गंभीर समस्या हैं, जिससे हवाई यात्रा की सुरक्षा और संचालन बाधित होते हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इसके समाधान के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, फिर भी इस समस्या का जड़ से समाधान करने के लिए कठोर कानूनी कार्रवाई, उन्नत तकनीक और यात्रियों की जागरूकता की आवश्यकता है। जब तक झूठी सूचनाओं पर सख्त नियंत्रण नहीं लगाया जाता, तब तक हवाई अड्डों और विमानों की सुरक्षा पर खतरा मंडराता रहेगा।
( राजीव खरे स्टेट ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़)
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