भारत की दिग्गज और जीवट महिला पहलवान विनेश फोगाट ने सिर्फ़ दो दिन पहले ही पचास किलो वर्ग स्पर्धा के फाइनल में प्रवेश करके करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था। पूरे देश को उनसे सोने के पदक की उम्मीद थी । विनेश इतिहास रचने जा रही थीं, पर वजन के नियम के कारण मात्र सौ ग्राम अधिक वजन होने के चलते उन्हें पेरिस ओलंपिक में अयोग्य घोषित कर दिया गया, उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।विनेश अब इस ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीत सकेंगी।
फिर भी आज देश उनके साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विनेश का हौसला बढ़ाया है और कहा कि वह भारत का गौरव हैं। पेरिस ओलंपिक में निराशा के बावजूद विनेश के सामने तमाम स्वर्णिम अवसर हैं। विनेश की जीत प्रशंसनीय थी और उन्होंने देश के लोगों का दिल जीता। लेकिन उन्हें उनकी मेहनत का फल नहीं मिला।
भारतीय दल ने विनेश के वजन को 50 किलो तक लाने के लिए थोड़ा समय मांगा था, लेकिन असफल रहे। रेसलिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में यह नियम है कि खिलाड़ी को उसी भार वर्ग में खेलने की इजाजत मिलती है जिसे उसने चुना है। हर स्पर्धा से पहले चिकित्सा जांच और वजन किया जाता है, और असफल होने पर खिलाड़ी को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाता है।
विनेश के मामले में भी आईओसी ने ऐसा ही फैसला लिया है, लेकिन भारतीयों के लिए यह असहनीय है। हर भारतीय के लिए यह फैसला कष्टदायक है। कुछ लोग इसे पश्चिमी देशों द्वारा विकासशील देशों के खिलाड़ियों के साथ भेदभाव मानते हैं और भारत सरकार से कड़ा विरोध दर्ज कराने की मांग कर रहे हैं। यह घटना दिल तोड़ने वाली है और भारत को ओलंपिक संघ से विरोध दर्ज कराना चाहिए। दुखी विनेश फोगाट ने गुरुवार को संन्यास का एलान कर दिया।
हालांकि, विनेश और भारतीय खेल दल के स्तर पर भी लापरवाही हुई है। वजन की निगरानी बेहद सावधानी से होनी चाहिए थी। लड़कियों के लिए वजन घटाना कठिन होता है, लेकिन विनेश ने कठिन प्रयास किए थे। बहरहाल, विनेश जहां तक पहुंचीं, वह किसी मेडल जीतने से कम नहीं है। इस घटना का एक सबक यह है कि हमें वैश्विक स्पर्धाओं के नियमों को गंभीरता से लेना चाहिए।
राजीव खरे
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