नई दिल्ली
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान दोहरी नागरिकता को लेकर संभावना पर चर्चा की। उनके अनुसार, इसे लेकर सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियां हैं, और यह सोच-समझकर ही फैसला किया जा सकता है। दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों को दोनों देशों में संपत्ति पर मालिकाना हक होता है, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। विदेशी सेवाओं में नौकरी प्राप्त करना, राजनीतिक अधिकारों का उपयोग करना, और विभिन्न नौकरी क्षेत्रों में सुरक्षा प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। जयशंकर का बयान ने इस मुद्दे पर चर्चा को और बढ़ा दिया है, जब समाज में इसकी मांग बढ़ रही है और लोग इसके लाभ-हानियों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
दोहरी नागरिकता एक स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति एक ही समय में दो अलग-अलग देशों की नागरिकता रखता है। इससे उसे दोनों देशों के नागरिक के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। यह कई देशों में स्वीकृति प्राप्त करने वाला है, लेकिन भारत में इसका प्रावधान नहीं है।
दोहरी नागरिकता के लाभों में से एक है कि व्यक्ति को उसकी दोनों देशों में संपत्ति पर पूरा हक होता है। उसे वहां चुनौतियों का सामना करते हुए भी संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसके अलावा, दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों को उन दोनों देशों में बिना किसी वीजा या वर्क परमिट के कहीं भी काम करने और आने-जाने का अधिकार होता है। इससे उन्हें उन दोनों समाजों में सामाजिक और आर्थिक रूप से सम्बंधित होने का अनुभव होता है।
हालांकि, भारत में दोहरी नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है, ओसीआई (ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया) कार्ड धारकों को भी यहां आने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके बावजूद, दोहरी नागरिकता की मांग में भारत में विवाद है, और विदेश मंत्री ने इसे लेकर सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों की बात की है। वह यह भी बताए बिना रहे कि किस देश के नागरिकों को यह सुविधा दी जाए, इस पर विचार किया जा रहा है।
( राजीव खरे स्टेट ब्यूरो चीफ़ छत्तीसगढ़ एवं राष्ट्रीय उप संपादक)
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