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विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम


डॉ. कपिल जैन, वित्त विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधकिय अध्ययन संस्थान, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
इंदौर मध्य प्रदेश
वर्तमान समय में अमेरिका सहित पूरे विश्व की निगाहें भारत पर है । ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा चुनावी वर्ष के दौरान प्रस्तुत किया गया यह बजट और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है । यह मोदी सरकार की दूरगामी योजनाओं को लेकर भविष्य की नीतियों को तो दर्शाता ही है साथ ही सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने के प्रति अपने आत्मविश्वास को भीं दिखाता है। वैसे तो बजट में सामान्य करदाताओं को खुश करने का प्रयास अवश्य किया गया है लेकिन फिर भी 15 लाख से अधिक आय पर अब भी 30% की दर से आयकर देय है जबकि इसके 18 से 20 लख रुपए होने का अनुमान था । वहीं दूसरी ओर अब अनुमानित कराधान हेतु एमएसएमई के लिए टर्नओवर की ऊपरी सीमा 2 करोड रुपए से 3 करोड रुपए तथा पेशेवरों के लिए सकल प्राप्तियों की सीमा 50 लाख से बढ़कर 75 लख रुपए कर दी गई है! निसंदेह इस कदम से उद्यमिता एवं विकास को नई ऊर्जा प्राप्त होगी । बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना के बजट में 80000 करोड़ तथा जल जीवन मिशन हेतु 70 हजार करोड रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। वहीं प्रधानमंत्री किसान योजना में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। परंतु आश्चर्यजनक रूप से मनरेगा, जिसके लिए भारत पूरी दुनिया में जाना जाता है, इस योजना हेतु किए गए प्रावधान में 32.9% की कमी अर्थात ₹70000 करोड रुपए की कटौती प्रस्तावित है। संभवत ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि शायद भारतीय नागरिकों की इस योजना पर निर्भरता पहले की तुलना में काम हो गई है। वर्तमान परिपेक्ष को देखते हुए हर बार की ही तरह इस बार भी बजट में रक्षा पर अधिक ध्यान देते हुए 6 लाख करोड रुपए का अतिरिक्त प्रावधान प्रस्तावित किया गया है जो की कुल बजट का 13.2 प्रतिशत है । सरकार द्वारा बजट में स्टार्टअप, लघु उद्योग, आयकरदाताओं, सरकारी समितियां इत्यादि सभी के लिए कुछ न कुछ जरूर किया गया है। कुल व्ययों में वृद्धि होने के बावजूद बजट में प्रभावी पूंजीगत व्ययों में लगभग 17.7% की वृद्धि इस बात का घोतक है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट लोकलुभावन ना होते हुए पूर्ण रूप से देश की अधोसरंचना एवं आर्थिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित किया गया है।
लेखक डॉ कपिल जैन, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधकिय अध्ययन संस्थान, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में मैनेजमेंट साइंस के प्रोफेसर है।

रिपोर्ट अनिल भंडारी

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