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रोहित शर्मा और आर. अश्विन: क्रिकेट में उलटी गाथा

भारतीय क्रिकेट हमेशा से ही प्रतिभा और नेतृत्व का गढ़ रहा है। हाल के वर्षों में दो नाम, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन, भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रमुख चेहरों में से रहे हैं। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि जिसे शायद अब खेल को अलविदा कहना चाहिए था, वह कप्तान बना हुआ है, और जिसे नेतृत्व संभालना चाहिए था, वह सन्यास लेकर खेल को छोड़ चुका है।

रोहित शर्मा, एकदिवसीय और टी20 फॉर्मेट में अपने अति-आक्रामक बल्लेबाजी और ‘हिटमैन’ के नाम से मशहूर, वर्तमान में भारतीय टीम के कप्तान हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी उम्र, फिटनेस और फॉर्म सवालों के घेरे में है। 2023 विश्व कप के दौरान उनकी कप्तानी और बल्लेबाजी में गिरावट देखने को मिली। यह कहना गलत नहीं होगा कि उनका प्रदर्शन टीम के लिए उतना निर्णायक नहीं रहा जितना कि होना चाहिए था।

ऐसी स्थिति में, कई क्रिकेट प्रशंसक और विशेषज्ञ मानते हैं कि रोहित शर्मा को अब सन्यास लेकर अपने करियर को सम्मानजनक तरीके से विराम देना चाहिए था। उनकी कप्तानी में टीम को एक स्थिर दिशा की बजाय अक्सर असमंजस में देखा गया है।

दूसरी ओर, आर. अश्विन, भारतीय टीम के सबसे चतुर और तकनीकी रूप से समृद्ध गेंदबाजों में से एक, हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ले चुके हैं। अश्विन न केवल एक उत्कृष्ट गेंदबाज हैं, बल्कि उनकी क्रिकेट समझ और रणनीतिक कौशल भी अद्वितीय हैं। अश्विन को हमेशा एक ऐसा खिलाड़ी माना गया जो कप्तानी की जिम्मेदारी को समझ सकते थे और टीम को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते थे।

लेकिन अश्विन को नेतृत्व की वह भूमिका कभी नहीं मिली जिसके वह हकदार थे। टेस्ट क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड और उनके रणनीतिक योगदान को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्यों उन्हें कप्तानी की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई।

भारतीय क्रिकेट में यह स्थिति विरोधाभास को दर्शाती है। अश्विन, जो खेल को रणनीतिक रूप से समझते थे और एक प्राकृतिक नेता हो सकते थे, वह खेल को अलविदा कह चुके हैं। वहीं, रोहित शर्मा, जिनके प्रदर्शन और नेतृत्व दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, अब भी कप्तान बने हुए हैं।

भारतीय क्रिकेट के लिए यह समय है कि वह अपने फैसलों पर पुनर्विचार करे। नए खिलाड़ियों को मौका दिया जाए, और नेतृत्व के लिए उन व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया जाए जो वास्तव में इसके योग्य हैं। रोहित शर्मा को अपनी विरासत को सम्मानपूर्वक समाप्त करने पर विचार करना चाहिए, जबकि अश्विन जैसे खिलाड़ियों की जगह भरने के लिए युवाओं को तैयार करना होगा।

यह विडंबना ही है कि जिसे सन्यास लेना चाहिए, वह कप्तान बना हुआ है, और जिसे कप्तान होना चाहिए था, वह सन्यास लेकर चला गया। भारतीय क्रिकेट को इस स्थिति से सीखना होगा और भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण तैयार करना होगा

( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक )

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