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Home Policewala ’’रीपा’’ के ’’प्रोडक्ट’’ पहुंचे हाट-बाजार ग्राहकों का मिल रहा है प्रतिसाद  ।
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’’रीपा’’ के ’’प्रोडक्ट’’ पहुंचे हाट-बाजार ग्राहकों का मिल रहा है प्रतिसाद  ।

छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा

किसी भी योजना के मूल उद्देश्य का ठोस क्रियान्वयन ही उस योजना की सफलता का आधार है। दंतेवाड़ा जिले में स्थापित राज्य की महत्वपूर्ण महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना (रीपा) के उद्देश्य एवं लक्ष्यों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है। शुरूआती दौर में पार्क में निर्मित होने वाली सामग्रियों और उत्पादों को शासकीय कार्यालयों में मांग अनुरूप विक्रय किये जा रहे थे। इसके अलावा थोक विक्रेताओं के यहां भी बिक्री की जा रही थी। अब इसके प्रोडक्ट के विक्रय को विस्तारित करते हुए जन सामान्य को सुलभ करने के उद्देश्य से स्थानीय हाट बाजारों में भी सामग्रियों को उतारा गया है। इस कड़ी में आज मुख्यालय के साप्ताहिक बाजार स्थल में ’’रीपा’’ के विभिन्न प्रोडक्ट जैसे पेपर कप, गोबर पेंट, टोरा तेल, विभिन्न किस्मों के जैविक चावलों के पैकेट, मिलेट अन्न, गुड़ चिक्की जैसी अन्य सामग्रियां विक्रय के लिए उपलब्ध कराई गई। इस संबंध में जिला के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला रीपा नोडल अधिकारी नितेश कुमार देवांगन नें बताया कि जिले में प्रत्येक विकासखंड में 2 ’’रीपा’’ का चयन किया गया है इस प्रकार जिले में कुल 8 स्थान भैरमबंद,  जारम,  झोडि़याबाड़म, बड़े कारली,  नकुलनार,  मैलावाड़ा, बड़े गुडरा, मोखपाल ’’रीपा’’ हेतु चयनित हैं, जिसमें वर्तमान में 25 गतिविधियां संचालित की जा रही है जिनसे जिले के 200 से अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकेगा । आगामी समय में प्रत्येक ’’रीपा’’ में कम से कम 50 हितग्राहियों को रोजगार प्राप्त हो सके ऐसा प्रयास किया जाएगा। वर्तमान में जिले के औद्योगिक पार्क अतंर्गत 94 महिला समूह और 110 युवाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है। साथ ही अब तक जिले के ’’रीपा’’ में 24 लाख से अधिक की सामग्री का उत्पादन किया जा चुका है इस प्रकार जिले कें 4 विकास खंडों में कुल 8 ’’रीपा’’ में अलग अलग गतिविधि जैसे-गोबर पेंट, बायोफर्टिलाइजर और बायो पेस्टीसाइड,  चिक्की, चॉक, फाइल पैड, टोरा तेल, ईमली ब्रिक, बटन मशरूम, अण्डा उत्पादन, विभिन्न प्रकार के चावल, आदि का उत्पादन किया जा रहा है।

इस प्रकार उम्मीद की जा सकती है कि इन पार्को में स्व सहायता समूहों और युवाओं द्वारा निर्मित की जा रही सामग्रियां अपनी शुद्धता और गुणवत्ता के चलते जनमानस में पैठ बनाकर अपना एक ब्रांड स्थापित करेगी। और अंत में इसका पूरा लाभ उन श्रमजीवी महिला समूहों को मिलेगा जो अपने अथक परिश्रम से इन सामग्रियों का निर्माण कर हमें घर बैठे उपलब्ध करा रही हैं ।
( दंतेवाड़ा ब्यूरो)

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