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राजकरण पटेल, पेशा – शिक्षक, विभाग – स्कूल शिक्षा विभाग। एक एक व्यक्ति की सामान्य पहचान है, जिसके आधार पर जन सामान्य अनुमान लगाएगा

चित्र कूट

राजकरण पटेल, पेशा – शिक्षक, विभाग – स्कूल शिक्षा विभाग। एक एक व्यक्ति की सामान्य पहचान है, जिसके आधार पर जन सामान्य अनुमान लगाएगा ये एक ऐसा सभ्य व्यक्ति होगा जो न केवल अनुशासन प्रिय होगा बल्कि आमजनों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में होगा। लेकिन नहीं, ऐसा तो बिलकुल ही नही है। इसकी राजकरण की पहचान ऐसा शिक्षक जो न केवल फूहड़ है बल्कि इसकी हरकतें गुंडे मवालियों से कमतर नहीं है, जो शिक्षा विभाग की छवि धूमिल कर रहा है। नैतिकता के आधार पर इसे शिक्षकीय दायित्व से हटा दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों कह रहे, आइए वो बताते हैं। ऊपर दो फोटो दिख रहीं है। एक में कुछ बच्चे जमीन में बैठे है और एक व्यक्ति दो कुर्सियों में लोफड़ की तरह बैठा है। दूसरी फोटो में एक व्यक्ति दूसरे पर हमला करता दिख रहा है, जो एक सड़कछाप गुंडे से कम नजर नही आ रहा। इन दोनो तस्वीरों में लोफड़ और सड़क छाप गुंडा नजर आने वाला व्यक्ति ही राजकरण पटेल है जो स्कूल शिक्षा विभाग का कर्मचारी है। और इन दोनो फोटो के सामने आने के बाद भी विभाग इस गुंडे के कृत्यों पर मौन बैठा है। घर में भी जब पति पत्नी झगड़ते हैं लेकिन छोटे बच्चे के आने पर चुप हो जाते हैं, लेकिन ये राजकरण पटेल विद्यालय परिसर में गुंडों की तरह मारपीट करने के साथ निर्लज्जता भरी गलियां मासूम बच्चों के सामने निकाल रहा है। क्या संदेश गया होगा उस वक्त उन मासूम बच्ची पर को विद्यालय में पढ़ाई करने आए होंगे। अब आइए इन फोटो की कहानी भी बता दें। राजकरण पटेल पढ़ाई के नाम पर बच्चो को छत पर ले जाकर खुद धूप सेंकते गप्पे मारते हैं। ये दृश्य सामने आने के बाद मीडिया हाइप बनता है। इससे राजकरण अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होने की बजाय फोटो खींचने वाले पर नाराजगी बना लेते हैं। अगले दिन एक स्थानीय पत्रकार इसी विद्यालय में कवरेज में पहुंचता है तो पटेल जी का गुस्सा पुरानी अपनी फोटो को लेकर फूट पड़ता है। अपना आपा खो देते हैं और संस्था के वरिष्ठ लोगो की मौजूदगी में पत्रकार को गाली देते हुए मारपीट शुरू कर देते हैं। इस घटना के बाद लगता है की पहली लाइन में दिया गया परिचय उचित था। शायद नहीं। लेकिन उचित तो ये है की डीईओ को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए जो शैक्षणिक अमले के लिए उदाहरण बने।

रिपोर्ट- अरुण साहू

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