यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा संघर्ष न केवल यूरोप, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। इस विवाद ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को उलझा दिया है और शीत युद्ध के बाद से सबसे बड़े भू-राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। इस स्थिति में, भारत का संभावित भूमिका निभाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है। एक तटस्थ और विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में भारत की स्थिति इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में सहायक हो सकती है।
भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ ऐतिहासिक और कूटनीतिक संबंध हैं। रूस के साथ भारत के दशकों पुराने घनिष्ठ संबंध रहे हैं, जो शीत युद्ध के समय से ही मजबूत हैं। रक्षा, ऊर्जा, और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच गहरा सहयोग है। दूसरी ओर, भारत और यूक्रेन के बीच भी अच्छे संबंध रहे हैं, विशेषकर रक्षा और कृषि के क्षेत्र में। इन संबंधों ने भारत को इस विवाद में एक संतुलित दृष्टिकोण रखने की अनुमति दी है।
भारत ने अब तक यूक्रेन-रूस विवाद में तटस्थता बनाए रखी है, जो उसकी कूटनीति की प्रमुखता को दर्शाता है। भारत ने संघर्ष के दौरान किसी भी पक्ष का सीधा समर्थन नहीं किया है, जो उसे एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करता है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी संतुलित रुख अपनाया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत संघर्ष को बढ़ाने के बजाय शांति स्थापना में विश्वास रखता है।
भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, और उसकी आवाज़ अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अधिक महत्व रखती है। भारत का आर्थिक और सैन्य विकास, साथ ही उसकी कूटनीतिक क्षमता, उसे वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। भारत ने पहले भी अपने शांतिपूर्ण और मध्यस्थ दृष्टिकोण से वैश्विक संकटों में योगदान दिया है, जैसे कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन और हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के मामले में।
रूस और यूक्रेन के बीच इस विवाद ने अमेरिका और यूरोप के साथ रूस के संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया है। भारत, जो अमेरिकी और यूरोपीय देशों के साथ भी अच्छे संबंध रखता है, इस विवाद में एक संतुलित और तटस्थ दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकता है। भारत के इस संतुलन को बनाए रखते हुए समाधान की दिशा में प्रयास करना सभी संबंधित पक्षों के लिए लाभकारी हो सकता है।
भारत की भूमिका कई रूपों में हो सकती है। सबसे पहले, भारत शांति वार्ता के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है। भारत की तटस्थता और प्रतिष्ठा उसे एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करती है। दूसरे, भारत रूस पर अपने प्रभाव का उपयोग करके उसे वार्ता की मेज पर ला सकता है, जबकि यूक्रेन के साथ भी संचार बनाए रख सकता है। तीसरे, भारत अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ मिलकर एक बहुपक्षीय समाधान का प्रस्ताव रख सकता है, जो संघर्ष के दोनों पक्षों की सुरक्षा और संप्रभुता की गारंटी दे।
इस संघर्ष को सुलझाने में भारत की सक्रिय भागीदारी उसके वैश्विक प्रभाव को और मजबूत करेगी। यह न केवल भारत की वैश्विक स्थिति को ऊंचा उठाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भारत एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। इसके अलावा, यह भारत के लिए पश्चिम और रूस के साथ अपने संबंधों को और अधिक संतुलित करने का अवसर भी प्रदान करेगा।
यूक्रेन-रूस संघर्ष को सुलझाने में भारत की संभावित भूमिका न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है। एक तटस्थ, विश्वसनीय, और सम्मानित शक्ति के रूप में, भारत इस विवाद को शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह समय है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कूटनीतिक कौशल का उपयोग करे और इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक रचनात्मक योगदान दे।
( राजीव खरे- अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो)
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