डबरा
ब्लाक शिक्षा विभाग के पिछोर थाना क्षेत्र में लगातार आए दिन भीषण एक्सीडेंट होते आ रहे हैं और हाल ही में रविवार के दिन जबलपुर में एक स्कूली बस में अचानक से आग लगी थी उसके बावजूद भी ग्वालियर जिला का परिवहन विभाग और शिक्षा विभाग के कानो पर जू तक नहीं रेंगती। दरअसल पिछोर के एक प्राइवेट स्कूल में ग्रामीण क्षेत्र के पढ़ने वाले छात्रओ को लाने ले जाने के लिए स्कूल प्रबंधक ने ई _ रिक्शा की व्यवस्था की है लेकिन इधर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियां निभाते नजर नही आ रहा हैं, आज ग्रामीण क्षेत्र की खबर कवरेज के दौरान देखने को मिला कि एक ई-रिक्शा में लगभग 16 स्कूली बच्चों से खचाखच भरा हुआ है और ई_रिक्शा का चालक तेज़ रफ़्तार और लापरवाही से रोड़ पर ले जा रहा था। तभी उसे रोका और रिक्शा की छत पर बैठे बच्चो और नीचे बैठे बच्चो से बातचीत की तो हैरत करने वाली बात सामने आई सभी स्कूली बच्चों ने बताया की प्रबंधक से कई बार बोला है कि सर हमें आने-जाने में काफी समस्या होती है दूसरी गाड़ी का इंतजाम किया जाए लेकिन प्रबंधन ने बच्चो की एक ना सुनी और बस के स्थान पर ई_ रिक्शा में बैठने को हम मजबूर हैं। इस घोर लापरवाही का जिम्मेदार स्कूल प्रबंधन के साथ स्थानीय प्रशासन भी है। प्रशासन स्कूली वाहनों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा रहा है। गनीमत यह रही की कोई भी बच्चा ई _रिक्शा की छत से नीचे नहीं गिरा और समय रहते हैं इसको रोक कर रिक्शा संचालक को समझाएं दी की आप रिक्शा को धीरे चलाए तब कही जा कर रिक्शा चालक माना।
प्रशासन आखिरी किस अनहोनी का कर रहा है इंतजार…?
वैसे तो परिवहन विभाग और स्थानीय प्रशासन स्कूली बसें पर लगातार कार्रवाई करते रहना चाहिए। लेकिन प्रशासन कार्रवाई के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता अक्सर देखने को मिलता है कि प्राइवेट स्कूली बसों में सीट से अधिक संख्या में बच्चो को भीड़ बकरियों की तरह भर दिए जाते हैं लेकिन बच्चों के माता-पिता भी इस और कोई ध्यान नहीं देते हैं और ना ही कोई शिकायत करते हैं। इसी का फायदा स्कूल प्रबंधन और स्कूली बसों के साथ ई रिक्शा वाले भी उठाते हैं।
अब देखना होगा की ऐसे स्कूलों पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी क्या कार्यवाही करते है और कब तक।
रिपोर्ट- ओमबाबू प्रजापति
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