इंदौर मध्य प्रदेश
इंदौर मध्य प्रदेश विचारते है कि, स्वजीवन का एक मूल्यवान साल मैंने गँवा दिया_। अब मुझे कुछ शुभ कार्य करने चाहिए। ‘सालगिरा’ शब्द आप थोड़ा सोचो तो आपकी आँखें खुल जायेंगी… आत्मा जग जायेगी…। अपने आयुष्य में से एक ‘साल’ ‘गिरा’- न्यून हुआ अर्थात् सालगिरा। जन्मदिन हमारे लिये इसलिए महत्वपूर्ण है कि चिंतन की चिंगारी से आप संभलकर सावधान बन सकते हो। महान् पुण्यराशि से प्राप्त इस मानवजीवन को पौद्गलिक-जड़ सामग्री के सुखों में व्यर्थ गँवाना नहीं है। पदार्थों के आकर्षण, प्राप्ति तथा संरक्षण में जीवन व्यर्थ न जाए उसके लिये सावधान बनना है। जीवन में प्रगति के लिये पाँच कदम हैं :-
प्रथम कदम – जैसा दोगे वैसा मिलेगा : – मेरे पास जो आएगा वह खुश होकर ही जायेगा। संसार का नियम है जैसा बोओगे वैसा फल मिलेगा ठीक इसी तरह जैसा लोगों को दोगे वैसा ही वापस मिलेगा। यदि हम सुख चाहते हैं तो दूसरों को भी सुख देना पड़ेगा।
दूसरा कदम – देवगुरु के प्रति लगाव : हमारा लगाव देव-गुरु के प्रति सौ प्रतिशत होना चाहिए।
तीसरा कदम समर्पण भाव : एक ऐसा कल्याण गुरु या मित्र होना चाहिए जिस पर पूर्ण समर्पण भाव हो वहाँ किसी प्रकार का लॉजिक-तर्क नहीं
चतुर्थ कदम भावना : भावना से उदार बनना है..। कोई भी निर्णय दिल से लिया गया हो दिमाग से नहीं। पैसे जिसके पास..वह श्रीमंत है यह संसारी लोगों की पहचान है। आँसू जिसके पास…वह आध्यात्मिक जगत में श्रीमंत है।
पाँचवा कदम – सन्मान : सन्मान…गुणों में, आराधना में जो आगे उनके प्रति पूर्ण सन्मान भाव रखना।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘मानव जन्म परमात्मा का परम उपकार है”
श्री राजेश जैन युवा ने जानकारी दी कि, आज प्रवचनकार मुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी ने आज 40 वें वर्ष में प्रवेश किया उसका उत्सव मनाया गया। सरल एवं हंसमुख स्वभाव वाले मुनिवर ने ज्ञान की बहुत ऊंचाई को पाया है और 1 दिसंबर-23 गणिवर की पदवी से सुशोभित किया जायेगा। आज आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वीररत्नसूरीश्वरजी महाराजा के द्वारा लिखित पुस्तक “वीर से महावीर तक” का विमोचन किया गया।
राजेश जैन युवा 94250-65959 रिपोर्ट अनिल भंडारी
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