प्रभुपाल चौहान
उत्तर प्रदेश में 3 दशकों तक अपने खौफ से व्यापारियों और लोगों में दहशत पैदा करने वाले मुख्तार अंसारी पर अब कोर्ट का शिकंजा कस चुका है। उसे अब गैंगस्टर एक्ट का दोषी करार दिया गया। और 10 साल की सजा सुनाई गई इसके साथ ही₹500000 का जुर्माना भी लगाया गया है। माफिया मुख्तार अंसारी पर दिल्ली से लेकर गाजीपुर और वाराणसी तक संगीन धाराओं में 60 मुकदमे दर्ज है।
माफिया मुख्तार अंसारी और गाजीपुर के मोहम्मदाबाद के
महरूपुर निवासी अताउर रहमान उर्फ बाबू के खिलाफ महावीर प्रसाद रूंगटा ने 1 दिसंबर 1997 को भेलूपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। अगवा किए गए नंदकिशोर के भाई महावीर का आरोप था कि 5 नवंबर 1997 को शाम 5:00 बजे टेलीफोन पर मुख्तार ने धमकी दी थी। पुलिस ने मामले की छानबीन भी की लेकिन मामले में नामजद ₹500000 के इनामी अताउर रहमान उर्फ बाबू को पुलिस आज तक नहीं पकड़ सकी। इस मामले की जांच सीबीआई ने भी की थी। जानकारों के अनुसार अपहरण की घटना को अंजाम देने के बाद उसने नेपाल में शरण लेली।
मुख्तार पर आरोप यह था कि उसने अताउर रहमान उर्फ बाबू को दुबारा बुलवाया और 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करवाई। इसके बाद तो उसकी दहशत पूर्वी यूपी में बढ़ती चली गई। मुख्तार के नाम से कई कारोबारी खौफ खाते थे। वाराणसी के कई कारोबारियों से वह रंगदारी वसूलता था।
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