इंदौर मध्य प्रदेश
सनातन काल से ही परमात्मा व इंसान को जन्म देने वाली माता ही- विभानंद जी
बच्चो ओर युवाओ ने मातृ-पितृ वंदन किया तो महिलाओं ने गर्भ में पल रहे शिशु को दिए संस्कार
-धर्म जाति और समाज की उपलब्यिों और सेवा कार्यों की लगी प्रदर्शनी, चंद्रगुप्त मौर्य के परिवार व मौर्य साम्राज्य की गाथा का वर्णन किया
-गर्भस्थ शिशु को 9 नहीं 12 महीने का संस्कार मिलना चाहिए, पंचमहाभूथ को पंच तत्व जोड़ा जाता है, आयुर्वेदिक, वैदिक और वैज्ञानिक तरीके के गर्भ संस्कार के बारे में जाना
नारी सम्मान को समर्पित लगाई गई झांकी पर सेल्फी लेने वालों की भीड़ उमड़ी, कल्पना चावला, रानी लक्ष्मी बाई, दुर्गा, लता मंगेशकर की प्रतिकृतियों के साथ युवतियों ने ली सेल्फी
आज होगा पांच दिवसीय सेवा मेले का समापन, जाति-बिरादरी, मठ-मंदिरों और एनजीओं के प्रतिनिधियों का होगा सम्मान
इन्दौर 1 दिसंबर। हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान द्वारा आयोजित नारी शक्ति को समर्पित सेवा मेले के चतुर्थ दिवस का दिन बहुत खास रहा। मेले में पहले सत्र की शुरुआत मातृ पितृ वंदन कार्यक्रम से हुई। तेजी से पाश्चात्य संस्कृति की तरफ भागते युवाओं ने आज न केवल अपने माता-पिताओं को आसन पर विराजमान किया बल्कि दीप प्रज्वलित कर पाद-पक्षालन करते हुए पूरे परिवार ने सामूहिक रूप से चरणों पर कुमकुम अक्षत और पुष्प समर्पित कर उनकी आरती की। लालबाग पैलेस में हुए इस मातृ-पितृ पूजन का यह अविस्मरणीय पल न केवल माता-पिताओं की आंखें नाम कर गया बल्कि जब परिवार के छोटों से लेकर बड़ों ने व परिवार की महिलाओं ने जब पूजन के बाद अपने माता-पिता के चरण स्पर्श किए तो उन्होंने दिल से सभी को आशीर्वाद भी दिया। कार्यक्रम का आगाज ध्रुपद समूह द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति के साथ गणेश वंदना कर किया गया। वंदना के पहले मुख्य अतिथियों ने अपने-अपने उद्बोधन दिए और उसके बाद मातृ-पितृ भक्ति का परिचय एलईडी स्क्रीन के माध्यम से बताया गया। हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान सचिव विनोद बिड़ला एवं मातृ-पितृ वंदन प्रकल्प प्रभारी मनीष निगम ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संत ध्यान योगी पूज्य उत्तम स्वामी जी महाराज, राष्ट्रीय संयोजक गुणवंतसिंह कोठारी, कीर समाज प्रदेश अध्यक्ष कोमलसिंह बानीया, मौर्य समाज के जयदीप वर्मा, यादव समाज के श्री गुलशन यादव थे। कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता के पूजन के साथ की गई। वहीं मंच पर सभी अतिथियों का स्वागत दुपट्ट व प्रतीक चिन्ह भेंट कर मनीष निगम, सत्येंद्र शर्मा, अश्विनी राठौर, मनीष बिसानी, तावसेजी द्वारा किया गया। अतिथि स्वागत भाषण विनोद बिड़ला ने दिया एवं गणेश वंदना की प्रस्तुति द्रुपद समूह द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति देकर की गई। वहीं सेवा मेले की गतिविधियों की जानकारी गुणवंतसिंह कोठारी ने दिया। मातृ-पितृ वंदन कार्यक्रम में स्वामी उत्तम स्वामी महाराज ने कहा कि संस्कारों की परम्परा केवल भारत में ही है अन्य देशों में नहीं है। ईश्वर को तो हमने देखा नहीं लेकिन अगर आपने अपने माता-पिता को देख लिया तो समझो भगवान को देख लिया। माता-पिता ईश्वर का ही रूप होते है। माता-पिता की सेवा पुरुषार्थ के रूप में नहीं बल्कि परिक्रमा के ससमान की जाना चाहिए जैसे श्री गणेश जी ने की थी। वहीं गुणवंत कोठारी ने कहा की मातृ-पितृ की सेवा व आशीष से हमें सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है जो बाजार में किसी भी दुकान पर नहीं मिलती। मातृ-पितृ पूजन में ठाकुर परिवार के कोई 31 सदस्य एक साथ गाजे-बाजे के साथ शामिल हुए। इनके अलावा कुमावत परिवार के भी 30 सदस्यों ने सामूहिक रूप से माता-पिता का पूजन करने के साथ उनका वंदन किया व आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राधिका माहेश्वरी द्वारा किया गया एवं मंच से स्वस्तिवाचन एवं पूजन की विधि पंडि़त श्री विकास तिवारी द्वारा संपन्न करवाई गई।
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान चेयरमेन विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा एवं प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि रविवार को दो सत्रों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए। पहले सत्र में जहां उत्तम स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में मातृ-पितृ वंदन कार्यक्रम हुआ तो वहीं दोपहर के सत्र में मातृत्व सम्मान का आयोजन किया गया। जिसमें पांच हजार गर्भवती महिलाओं को दिव्य संतान प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन दिया गया। मातृत्व सम्मान समारोह के संयोजक पं. योगेंद्र महंत ने बताया कि मुख्य वक्ता स्वामी विभानंद महाराज ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए गर्भ में पलने वाले बच्चे की किस प्रकार से देखभाल की जाए की वह एक तेजस्वी संतान बने। उन्होंने कहा कि सनातन काल से पुरातन काल में भी परमात्मा को जन्म देने वाली माता ही थी और आज भी बच्चे को जन्म देने वाली माता ही है। आपने गर्भस्थ शिशु के विकास काल में बरतने वाली सावधानियों को बताया। हुकुमचंद सांवला ने दिव्य संतान प्राप्ति के बारे में बताया। डॉ अनिल गर्ग, जामनगर गुजरात की डॉ करिश्मा नरवानी ने फिल्म के माध्यम से आध्यात्मिक व वैज्ञानिक कारणों को समझाया वहीं सूरत की हिना बहन ने भी गर्भस्थ शिशु की जानकारी दी। मातृत्व सम्मान में मुख्य अतिथियों का स्वागत पं. योगेंद्र महंत, गुणवंतसिंह कोठारी, मंजूषा राजस जौहरी, सरस्वती पेंढ़ारकर एवं सपना नीमा द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र में आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ो बसों से गर्भवती महिलाओं को कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षित लाने की व्यवस्था की गई है। 5000 गर्भवती महिलाओं ने दिव्य संतान प्रकल्प के माध्यम से 9 नहीं 12 महीना के गर्भ संस्कार के तरीके सीखे। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित साधु संतों ने गर्भवती महिलाओं पर मंत्र उच्चारण कर पुष्पवर्षा की। दिव्य संतान प्रकल्प प्रभारी डॉक्टर अनिल गर्ग एवं कार्यक्रम के संयोजक योगेंद्र महंत ने जानकारी देते हुए बताया कि गर्भ में भ्रूण के पैदा होने के 3 महीने पहले से ही संस्कार की प्रक्रिया शुरू की जाती है जो बच्चे के जन्म के 9 महीने में पूर्ण होने के बाद खत्म होती है। मातृत्व सम्मान में पं. रामचरण महाराज, पवनदास महाराज, यजत्रदासजी महाराज, चेतन्य स्वरूप महाराज, योगेशदास जी महाराज, अण्णा महाराज सहित सैकड़ों की संख्या में बटुक महाराज व संत उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान डॉ. जगदीश जोशी ने ध्यान योग अभ्यास के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन विनोद बिड़ला ने किया।
गर्भावस्था से ही शिशु संस्कारित होना जरूरी- डॉ अनिल गर्ग ने बताया कि भ्रूण के निर्माण के साथ ही चेतना आ जाती है और तब से ही बच्चा अपने आसपास के वातावरण से सीखने का काम शुरू कर चुका होता है। इसलिए 12 महीने लगातार तीन-तीन महीने के कार्यक्रम के आधार पर संस्कारवान बनाया जाता है। हर 3 महीने का एक चार्ट तैयार किया जाए और उसी आधार पर बच्चों को पोषण के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाएं तो एक उत्कृष्ट समाज की स्थापना की जा सकती है। गर्भकाल के दौरान महिलाओं को लड़ाई झगड़ा कल से दूर रहकर अपने आप को खुश रखना संस्कृत रखना और उत्कृष्ट व्यक्तित्व के निर्माण के लिए तैयार करने के प्रकल्प किए जाने चाहिए मोबाइल फोन टेलीविजन और अन्य मादक पदार्थ धूम्रपान जैसेलक्षणों से दूर रहना चाहिए।
गायत्री परिवार की 100 महिलाएं बसों से पहुंची कार्यक्रम स्थल तक – दिव्य संतान प्रकल्प द्वारा एक कदम-दिव्य संसार की और मातृत्व सम्मान समारोह में अलग-अलग क्षेत्रों से महिलाओं को घरों से आयोजन स्थल तक लाने के लिए बस की व्यवस्था की गई थी… सेकड़ों बसों से हजारों मातृशक्तियां यहाँ पहुंची एवं सभी महिलाओं को गर्भ संस्कार के दौरान क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए इसकी जानकारी डाक्टरों द्वारा दी गई… कार्यक्रम में गायत्री परिवार से जुडी महिलाओं को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था… गायत्री परिवार की 100 से अधिक महिलाओं ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की।
हिंदुत्व के लिए संगठित होने के साथ ही एकता का परिचय- लालबाग सेवा मेले में सेवा स्टाल क्षेत्र में जाति-बिरादरी, मठ-मंदिरों के लगभग 200 से अधिक स्टाल लगाए गए हैं। इन स्टालों में सभी समाजों ने सालभर की गतिविधियों के साथ ही अपने समाज के इतिहास से आने वाले मेहमानों को परिचित करवा रहे हैं। समाजों ने अपने-अपने आराधयों के फ्लेक्स लगाने के साथ ही उनकी वीरता और शौर्य की कहानी भी यहां बयां की जा रही हैं… सेवा स्टाल संयोजक मनीष निगम एवं प्रचार प्रमुख जवाहर मंगवानी ने बताया कि में उज्जैन से अंकित ग्राम सेवा आश्रम का स्टाल लगाया गया हैं जिसमे उन्होंने भगवान की पोषकों के साथ ही आरती व पूजन करने विशेष थाली बनाई हैं… इस पूजन की थाली को आकर्षक आर्टिफिशियल फूलों से सजाया भी गया हैं… मेले में सेवा भारती, आध गौड़ ब्राह्मण सेवा न्यास, श्रीश्री विधाधाम, एम फार सेवा, मालवा प्रान्त समदृष्टि क्षमता विकास, शहीद उधम सिंह संवेदना सेवा समिति, श्री अमर सेवा आश्रम एवं पारमार्थिक ट्रस्ट, समस्त सिंधी समाज, नमो-नमो शंकरा, कीर समाज सेवा संगठन, सहजयोग परिवार, नेपाली संस्कृति परिषद, श्री गुरू सिंध सभा, महामंडलेश्वर दादू महाराज संस्थान, आनंदम केंद्र भंडारे वाले साईं मंदिर, सार्वजनिक साईंनाथ मंदिर समिति, श्री दत्त माऊली सद्गुरु अण्णा महाराज संस्थान, अखिल भारतीय नाथ योगी समाज, विश्व हिन्दू परिषद, ईश्वर प्रेम आश्रम, गोंदवले धाम, अखिल भारतीय नाथ योगी समाज, बंजारा जन विकास समिति, यादव अहिर समाज, श्री चन्द्रवंशीय यादव समाज, सरयूपारीण ब्राह्मण समाज, विश्व ब्राह्मण समाज, कायस्थ समाज, श्री मांग मातंग समाज, राठौर समाज, कुशवाह समाज, श्री देवांग कोष्टी समाज, बलाई महासंघ, हैहय क्षत्रिय कलचुरी समाज, भाट समाज, लोधी समाज, राठौर रायल्स सोशल वेलफेयर सोसायटी, श्री राठौर तीर्थ धाम (उज्जैन), संस्था महाकाल सेवा फाउंडेशन, गुजराती समाज, श्री अग्रसेन महासभा श्रीश्री रविशंकर विधा मंदिर, दिव्य संतान प्रकल्प सहित अन्य समाजो के स्टाल लगाए गए हैं।
राठौर समाज ने की आम नागरिकों से अपील – नारी शक्ति को समर्पित सेवा मेले में श्री सकल पंच राठौर समाज ने भी अपना स्टाल लगाया हैं। स्टाल के माध्यम से समाज की गतिविधियों के साथ ही मातृशक्तियों द्वारा लव जिहाद विषय पर आयोजित सम्मेलन की झलकियों से भी लव जिहाद जैसे गभीर विषय पर आम लोगों को जागरूक किया जा रहा हैं। वहीं स्टाल के बाहार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर लगाने के साथ ही उनसे विश्व सहायता दिवस घोषित करने की अपील की हैं। उन्होंने मेले में आने वाले मेहमानों से भी आग्रह किया कि वह भी विश्व सहायता दिवस को घोषित करने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाये और सेल्फी लेकर अपने फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री को टैग करें जिससे हमारी बात उन तक पहुंचाई जा सके।
आध्यात्मिक झोन में वीरों के शौर्य के साथ ही उनके इतिहास से हो रहे रूबरू – पांच दिवसीय सेवा मेले में अलग-अलग झोन बनाए गए हैं। इन झोनो में आध्यात्मिक, सामाजिक, आत्म निर्भरता, नारी सशक्तिकरण, विधि प्रकोष्ठ, महिलाओं की कार्यशाला सहित सुबह से शाम तक विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। मेले में आध्यात्मिक झोन में जहां इंदौर के प्रसिद्ध मंदिरों और महेश्वर घाट की प्रतिकृति भी यहां आने वाले मेहमानों का मन मोह रही हैं। आध्यात्मिक झोन में ही नारी शक्ति को समर्पित भारत की वीरांगनाओं की झांकी भी बनाई गई हैं जो सभी का ध्यानाकर्षण कर रही हैं। झांकी में देवी अहिल्या बाई, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई सहित अन्य वीरांगनाओं को दिखाया गया हैं।
लालबाग में बसा छोटा सा गांव – सेवा मेले में महिलाओं ने सील बट्टे की चटनी और मक्के की रोटी का स्वाद इंदौरियों को चखने को मिल रहा हैं। सेवा मेले में लगे इस छोटे से गांव में पुरुषों के साथ ही गांव की महिला अपने हाथों से मसाले पीसकर सभी मेहमानों को स्वादिष्ट भोजन परोस रही हैं। गांवो का माहौल देने के लिए खाटों की व्यवस्था भी बैठने के लिए की गई हैं। इस छोटे से गांव में ज्वार, मक्का, बाजरा की तीन प्रकार की रोटियां और पंचभेली दाल, गुड़, बेसन का स्वाद यहां आने वाले लोगो को लेने को मिल रहा हैं। सुबह से गांव के माहौल की शुरुआत यहां हो जाती हैं जो मध्य रात्रि तक बरकरार रहती हैं। सैकड़ों लोगों की भीड़ भी यहां उमड़ती हुई आपको देखने को मिल जाएगी। गो सेवा समिति द्वारा यह गांव बसाया गया हैं जिसमे 50 लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
रिपोर्ट अनिल भंडारी
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