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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: गठबंधन, जातीय समीकरण और नेतृत्व की जद्दोजहद

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महाराष्ट्र, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में है। यह चुनाव नवंबर 2024 के मध्य में हो सकते हैं, और इसका प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ने की उम्मीद है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं, ने 48 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, एनडीए समर्थित सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट, और अजित पवार का राकांपा गुट) ने केवल 17 सीटों पर सफलता पाई थी।

हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव की तरह ही परिणाम दें। विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे, सीटों का बंटवारा और क्षेत्रीय समीकरण अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। एमवीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर आंतरिक खींचतान चल रही है। कांग्रेस 120 सीटों पर दावा कर रही है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां लोकसभा चुनावों में उसका प्रदर्शन अच्छा रहा। वहीं, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद पवार) भी अपनी-अपनी सीटें सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। विदर्भ और मुंबई क्षेत्र में कांग्रेस और शिवसेना के बीच मतभेद बने हुए हैं।

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ महायुति में भी सीट बंटवारे और नेतृत्व के मुद्दों को लेकर संघर्ष है। लोकसभा चुनावों में एकनाथ शिंदे गुट का प्रदर्शन अच्छा रहा था, लेकिन अजित पवार की राकांपा को सीमित सफलता मिली थी। भाजपा के भीतर अजित पवार के भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर असंतोष है, और इस कारण भाजपा-आरएसएस के बीच भी मतभेद सामने आए हैं। वहीं, देवेंद्र फडणवीस की उपमुख्यमंत्री पद पर पदानवति ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है, जिससे भाजपा के भीतर नेतृत्व के सवाल खड़े हो रहे हैं।

चुनाव में जातिगत समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मराठा राजनीति का पुनरुत्थान इस चुनाव का एक अहम पहलू हो सकता है। इसके अलावा, भाजपा को मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना योजना’ की तर्ज पर शुरू की गई ‘लाडली लड़की योजना’ से महिलाओं के समर्थन की उम्मीद है, जिसने मध्य प्रदेश में भाजपा को बड़ा लाभ पहुंचाया था।

एमवीए और महायुति दोनों ही गठबंधन नेतृत्व के मुद्दों से जूझ रहे हैं। कांग्रेस और शिवसेना दोनों ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कर सकती हैं। शरद पवार ने नेतृत्व के मुद्दे को चुनाव के बाद तय करने का सुझाव दिया है। वहीं, राजनीतिक चर्चाओं में यह भी संभावना जताई जा रही है कि शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर सकते हैं, हालांकि पवार अपने पत्ते फिलहाल खोलने के मूड में नहीं हैं।

( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)

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