छत्तीसगढ़ रायपुर
गौठानों में गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी निर्माण की इकाईयां तेजी से स्थापित की जा रही हैं। जिससे आत्मनिर्भर गांव की कल्पना साकार हो रही हैं साथ ही गौठानों से गांव के लोगों को रोजगार के साथ ही उनकी तरक्की के लिए नए-नए अवसरों का निर्माण हो रहा है। जिले के जरवाय गौठान में डिस्टेंपर, इमल्शन पेंट के साथ ही पुट्टी का भी निर्माण हो रहा है।
बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट लोगों के जेब के साथ साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। गोबर पेंट की उपयोगिता और गुणवत्ता को जन जन तक पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी शासकीय विभाग, निगम, मंडल एवं स्थानीय निकायों में भवनों के रंग रोगन के लिए गोबर पेंट का उपयोग अनिवार्यतः करने के निर्देश दिए है। उनके निर्देश का पालन करते हुए रायपुर नगर निगम भवनों की पुताई भी प्राकृतिक पेंट से की गई है। इस पेंट की खास बात यह है की इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट से कम है साथ ही गोबर से निर्मित होने के कारण रासायनिक पेंट की तुलना में इसमें महक भी नहीं की आती जिससे यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है।
यह पेंट भारत सरकार की संस्था राष्ट्रीय प्रशिक्षण शाला के द्वारा प्रमाणित भी किया गया है। साथ ही यह एन्टी बैक्टीरिया, एंटीफंगल, इको-फ्रेंडली, नॉन टॉक्सिक है। इस पेंट में हैवी मेटल्स का उपयोग नहीं किया गया है साथ ही गोबर से निर्मित होने की वजह से यह नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर की तरह कार्य करता है। यह पेंट पर्यावरण के अनुकूल है साथ ही इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट की तुलना में 30 से 40 फीसदी कम है। यह बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों के पेंट की तरह लगभग 4 हजार रंगों में भी उपलब्ध है।
रायपुर के जरवार गौठान में गोवर्धन स्व सहायता समूह की महिलाएं गोबर से प्राकृतिक पेंट बना रही हैं। यहां के गोबर से बने पेंट का उपयोग सबसे पहले रायपुर नगर निगम के भवन की पुताई के लिए किया गया था। सरकारी भवनों के अलावा आम लोगों के द्वारा भी यह पेंट पसंद किया जा रहा है। रायपुर के अलावा 0अन्य जिलों में भी स्थानीय लोगों ने इस पेंट का उपयोग किया है वहीं राजधानी में भी बहुत से लोग इस पेंट से अपने घरों की पुताई कर चुके है।
प्राकृतिक पेंट बनाने के लिये गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है। इस तरल को 100 डिग्री तापमान में गरम करने से बने अर्क को पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है। गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है। गोवर्धन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित यह पेंट महिलाओं की आय का जरिया तो है ही साथ ही महिलाओं की अलग पहचान बना रहा है।
बाजार में मिलने वाले अधिकतर पेंट में ऐसे पदार्थ और हैवी मेटल्स मिले होते है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपए प्रति लीटर से शुरू होती है पर गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट की कीमत 150 रुपए से शुरू है। गोबर से बने होने के कारण इसे बहुत से फायदे भी है जैसे यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाता है और तापमान नियंत्रित करता है।
( रायपुर ब्यूरो)
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