रायपुर
बिच्छू का जहर विश्व के कई देशों में एक गंभीर समस्या है। भारतीय लाल बिच्छू अपने जानलेवा डंक के कारण, दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छुओं में से एक है। बिच्छू के जहर और उसके उपचार के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान और चिकित्सा की ज़रूरत होती है।आम तौर पर
इसके लिये अल्फा 1- एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए), जैसे कि प्राज़ोसिन, का उपयोग एएसए के साथ मिलाकर बिच्छू के डंक से प्रभावित रोगियों के उपचार के लिए किया जाता है। नसों के अंदर से दी जाने वाली घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), बिच्छू के डंक के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है, पर यह चिकित्सा भी बहुत ज़्यादा प्रभावी नहीं है और इसकी कई सीमाएं हैं।
इस लाल बिच्छू के जहर एम. टैमुलस विष (एमटीवी) से उत्पन्न विषाक्तता और संबंधित प्रभावों को रोकने के लिए वाणिज्यिक घोड़े के एंटी-बिच्छू एंटीवेनम (एएसए), अल्फा1-एड्रेनोसेप्टर एगोनिस्ट (एएए) और विटामिन-सी की कम खुराक से युक्त एक नया फॉर्मूलेशन (टीडीएफ) तैयार किया गया है, जो बिच्छू के डंक से पीड़ित रोगियों के इलाज में मदद कर सकता है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ-साथ तेजपुर विश्वविद्यालय एनआईईएलआईटी, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने इस दवा का आविष्कार किया है।
इस दवा के असर का परीक्षण पहली बार कैनोरहाब्डिस एलिगेंस पर किया गया था, यह एक मुक्त-जीवित निमेटोड मॉडल है, जो कि एक इनविवो पशु मॉडल के विकल्प के रूप में है। यह परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा।
इस शोध में निदेशक प्रोफेसर आशीष मुखर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एमआर खान, आईएएसएसटी से आईपीडीएफ डॉ अपरूप पात्रा, तेजपुर विश्वविद्यालय से डॉ भबाना दास और उपासना पुजारी और एनआईईएलआईटी, गुवाहाटी से डॉ एस महंत शामिल थे जिन्होंने ने पहली बार प्रमाणित किया कि सी. एलिगेंस, न्यूरोटॉक्सिक बिच्छू के जहर के खिलाफ, दवा के अणुओं की न्यूट्रलाइजेशन क्षमता की जांच के लिए एक अच्छा मॉडल जीव हो सकता है।
नोवेल टीडीएफ ने कुशलतापूर्वक भारतीय लाल बिच्छू के जहर को बेअसर कर दिया, रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि, अंग ऊतक क्षति, नेक्रोसिस और विस्टार चूहों में फुफ्फुसीय एडिमा को उत्प्रेरित किया, जो वाणिज्यिक एएसए, एएए और विटामिन सी की तुलना में बहुत बेहतर है। यह उपचार बिच्छू के डंक के खिलाफ प्रभावी उपचार की बहुत आशा जगाता है और इससे दुनिया भर में लाखों रोगियों की जान बचाई जा सकेगी।
( राष्ट्रीय ब्यूरो)
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