न्यू जर्सी अमेरिका
जब कोई देश गुलाम होता है तो उस देश के नागरिकों के मन में देशभक्ति मतलब देश की आजादी की लड़ाई पूर्णकालिक रूप से लड़ना होता है, गुलामी से आजादी पाना ही देशभक्ति होती है लेकिन स्वतन्त्रता मिल जाने के बाद उन्हे समझ में नही आता कि अब तो हम आजाद हो गए है अब किससे लड़ना है, अब देशभक्ति के मायने क्या है , देशभक्ति की भावना कभी मरती नही है लेकिन किसी स्पष्ट उद्देश्य के अभाव में सुप्तावस्था में चली जाती है।
अपने देश के नागरिक होने के नाते हमारे मन में अपने देश के लिए कई प्रकार की अच्छी और बुरी दोनों तरह की विभिन्न भावनाएं निरंतर उमड़ती रहती है लेकिन इन सबमें सबसे सशक्त भावना होती है देशभक्ति की भावना । अपने देश से प्रेम करना, उसका सर्वोपरि सम्मान करना और सदा उसका कल्याण सोचना देशभक्ति कहलाता है, एक सच्चा देशभक्त अपने देश को एक महान देश बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहता है। एक देशभक्त नागरिक देश के प्रति समर्पित, साहसी और मजबूत इरादों वाला होता है । देशभक्ति विभिन्न रूपों में आती है और प्रत्येक नागरिक देशभक्ति की भावना को स्थायी रूप से अपनाए यह एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र का निर्माण करने के लिए आवश्यक है। हमें यह अनुभूति होनी चाहिए कि मैं ही राष्ट्र निर्माण के लिए उपयुक्त व्यक्ति हूं। मेरे द्वारा सम्पन्न किया गया प्रत्येक कार्य राष्ट्र निर्माण में सहयोगी होना चाहिए। मुझे राष्ट्र विरोधी कार्य से स्वयम को दूर रखना चाहिये।
जाति, धर्म, सम्प्रदाय, भाषा, भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक झुकाव, आदि अनेकों प्रकार के विभिन्न छोटे-छोटे हिस्सो में बंटे हम भारतीय नागरिक जब भी देशभक्ति की बात आती है तो ना जाने कैसे हम सब एक हो जाते है, भारतीय हो जाते हैं, यह चमत्कार कैसे होता है यह कोई नही जानता, यह एक अद्भुत बात है कि भारत देश का प्रत्येक नागरिक देशभक्त कहलाना पसंद करता है और देशद्रोही कहलाने की बजाय जीवन त्याग करना पसन्द करता है । सामान्यतया देश भक्ति से हमारा मतलब मिलिटरी (सेना) में भर्ती होने से होता है, सीमा पर युद्ध करने से होता है, पाकिस्तान को क्रिकेट में हराने से होता है, चीनी सामान का बहिष्कार करने से होता है, इंग्लैंड से हमारा पुराना सामान वापस लाने से होता है, पाकिस्तान युद्ध पर बनी फिल्म देखकर तालिया बजाने से होता है, राष्ट्रगीत या राष्ट्रगान गाते समय खड़े होने से होता है, एक आम नागरिक इससे या इसी तरह की अन्य बातों से परे जाकर देशभक्ति के बारे में ज्यादा नहीं सोचता है ।
हमें स्वतंत्र हुए लगभग 75 वर्ष होने जा रहे हैं और अब हमें देशभक्ति को नए ढंग से परिभाषित करने के बारे में गंभीरता से सोच विचार करने की महती आवश्यकता है, हमें यह समझना होगा कि केवल सेना या पोलिस में या अन्य सुरक्षा एजेंसियों में काम करते हुए देश के दुश्मनों से संघर्ष करते हुए शहीद हो जाना ही देशभक्ति नहीं है, देशप्रेम प्रकट करने के लिए सैनिक बनाना ही एकमात्र उपाय नही है क्योंकि हर कोई तो सैनिक नही बन नही सकता। एक आजाद और सशक्त देश के नागरिकों के लिए देशभक्ति के मायने क्या होना चाहिए इसके लिए एक विस्तृत सोच विचार की आवश्यकता है क्योंकि आजकल हम अपने निजी कामों मे इतने व्यस्त हैं कि हम अपने देश को सम्मान देना भूल गए हैं। किसी देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए उस देश की एकता और अखंडता अति महत्वपूर्ण है। कोई भी देश तभी उन्नति कर पाता है जब उस देश के नागरिक एकजुट हों। एकता के सूत्र में बंधे मजबूत देश को सम्पूर्ण विश्व सम्मान की दृष्टि से देखता है, देश के अंदरूनी विवाद व देश के नागरिकों का आपस में लड़ना, गृह कलह आदि देश के विकास में बाधा खड़ी करते हैं, देश को कमजोर करते हैं।
इस शब्द “देश + भक्ति” का वास्तविक अर्थ समझने के लिए पहले देश की परिभाषा को जानने का प्रयास करते है और उस सुपरिभाषित देश की भक्ति की बात बाद में करेंगे, एक देश क्या होता है, देश कैसे बनता है, कौन बनाता है देश को, इस तरह के कई सवाल है जिनके उत्तरों में छुपी है देश की परिभाषा , जैसे भगवान का मतलब कोई तस्वीर, मूर्ति या मंदिर या अन्य कोई इमारत नही होता है और उन प्रतीकों की पूजा का मतलब भक्ति नहीं होता है वैसे ही देश का मतलब कोई जमीन का टुकड़ा नहीं होता और उसकी रक्षा का मतलब देशभक्ति नहीं होता है, जैसे घर बनता है घर में रहने वालों से उसी तरह देश बनता है देशवासियों से, देश के समस्त नागरिक मिलकर ही देश का निर्माण करते है, अच्छे नागरिक अच्छा देश बनाते है और बुरे देशवासी एक बुरे देश को परिभाषित करते हैं, मजबूत देशवासी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करते है और कमजोर नागरिक एक कमजोर देश का, कोई देश कितना उन्नत है यह उस देश के नागरिकों के आचरण से जाना जाता है, तो देश मतलब हुआ उस देश के निवासी और उनका आचरण । आइये अब देशभक्ति की बात करते हैं, हम नागरिकों का एक दूसरे के प्रति सदव्यवहार देशभक्ति है, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं सांप्रदायिक सौहार्द का भाव रखना देशभक्ति है, नागरिकों का उत्थान ही देश का उत्थान है अतः एक दूसरे के उत्थान में मदद करना देशभक्ति है, उन्नत नागरिक ही उन्नत देश का निर्माण करते हैं अतः आपसी सहयोग से सबको उन्नत करना देशभक्ति है, देश का हर नागरिक वो जहां भी हो, जो भी दायित्व उसके पास हो वो अपना अपना कार्य पूर्ण सामर्थ्य और ईमानदारी से अन्य नागरिकों की बेहतरी का भाव रखकर करे यह देशभक्ति है । हम वो कार्य करे जिससे देश की उन्नति हो यह देशभक्ति है।
जैसे एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का प्रतिदान दे यह देशभक्ति है, विद्यार्थी अपना चित्त अध्ययन में और ज्ञानार्जन में लगाये यह देशभक्ति है, एक व्यापारी अपना व्यापार ईमानदारी से करे ग्राहनों को उत्कृष्ट वस्तुओं की उपलब्धता उचित मूल्य पर निश्चित करे यह देशभक्ति है, एक ग्राहक बिना टेक्स का और निम्न गुणवत्ता के सामान का बहिष्कार करे यह देशभक्ति है, एक वाहन चालक यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाये यह देशभक्ति है, वाहन में बैठी सवारियां वाहन चालक को नियम तोड़ने को प्रेरित ना करे यह देशभक्ति है, चुनाव के समय राजनेता मतदाता को प्रलोभन ना दें यह देश भक्ति है और हम बगैर भय या लालच के सही उम्मीदवार चुने यह देशभक्ति है, सोशल मीडिया पर बगैर सोचे समझे या सत्यता को जाँचे अफवाहे ना फैलाये यह देशभक्ति है, सरकारी या गैरसरकारी कर्मचारी पूर्ण कुशलता और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करे यह देश भक्ति है, उन विभागो या संस्थानो से सेवा प्राप्त करने वाले नागरिक अपना हित साधने के लिए, अपना काम बारी से पहले करवाने के लिए, गलत काम की सजा से बचने के लिए, सरकारी और गैरसरकारी संस्थानो में कार्य करने वाले कर्मचारियो को भ्रष्ट ना बनाए यह भी देशभक्ति है, इनसे उलट कार्य करने से देश कमजोर होता है और देश को कमजोर करने के कार्य को देशद्रोह भी कहा जा सकता है, बात कहने का मतलब यह है कि देश का हर नागरिक स्वयम को देशभक्त कह सकता है यदि वो अपना कार्य भलीभांति कर रहा है, चाहे वो एक सफाईकर्मी हो, टेक्नीशियन हो, दर्जी हो, नाई हो, प्लमबर हो, सरकारी या गैरसरकारी कर्मचारी हो, पायलट हो, डॉक्टर हो वकील हो, पानी पुरी का ठेला लगाता हो या चाय की गुमटी ही क्यों ना चलाता हो, अन्यथा कमजोर नागरिक एक कमजोर देश का ही निर्माण कर सकते हैं ।
आज हमें यह विचार करना चाहिए कि हम कैसा देश चाहते है, व्यापक सोच रखने वाले, मजबूत इरादे वाले, सुशिक्षित, चरित्रवान, बुद्धिमान, योग्य, सकारात्मक सोच वाले ईमानदार नागरिकों से बना एक सशक्त भारत या अयोग्य, बेईमान, कमजोर, लालची, धूर्त, अशिक्षित, आपराधिक सोच वाले भ्रष्ट नागरिकों से बना एक कमजोर राष्ट्र।
आईये आज इस गणतन्त्र दिवस पर हम शपथ ले कि हम अपने कर्तव्य का पालन देशभक्ति की भावना से करेंगे और एक मजबूत और गौरवशाली भारत का निर्माण करेंगे, अपने बच्चो को एक अच्छा मनुष्य और उत्कृष्ठ नागरिक बनाएँगे जो आगे चलकर सशक्त भारत की नींव रखेंगे और भारत को उसका खोया हुआ गौरव पुनः लौटाकर विश्व का अग्रणी और सिरमौर देश बनाएँगे। रिपोर्ट अनिल भंडारी
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