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बाल अपराध निवारण एवं उनके संरक्षण हेतु बाल कल्याण अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों के लिए किया गया प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 

इंदौर मध्य प्रदेश
पुलिस अधिकारीगण हुए, किशोर न्याय अधिनियम- 2015 एवं पॉक्सो एक्ट के विभिन्न प्रावधानों से रूबरू।
इन्दौर-दिनांक 09 दिसंबर 2023- बाल अपराध निवारण, उनकी सुरक्षा व देखभाल तथा उनके बेहतर संरक्षण के उद्देश्य से शासन द्वारा विभिन्न कानूनी प्रावधान एवं योजनाएं संचालित की जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार, पुलिस आयुक्त नगरीय इंदौर श्री मकरंद देऊस्कर के मार्गदर्शन में इन्दौर पुलिस द्वारा बाल अपराधों की रोकथाम व संरक्षण तथा इससे संबंधित जागरूकता लाने हेतु समय-समय पर कार्यशाला व अन्य विभिन्न कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में आज दिनांक 09.12.23 को, अति. पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) इंदौर मनोज कुमार श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन में, इंदौर शहर की विशेष पुलिस किशोर ईकाई के अधिकारीगण, बाल कल्याण अधिकारीगण, नगरीय क्षेत्र के विभिन्न थानों के थाना प्रभारीगणों के लिए, किशोर न्याय (देखभाल एवं सरंक्षण) अधिनियम-2015 व पॉक्सो एक्ट हेतु एक कार्यशाला का आयोजन पुलिस पुलिस कमिश्नर कार्यालय के सभागार में किया गया।
    उक्त कार्यशाला मे पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) इंदौर  जगदीश डावर, प्रधान न्यायाधीश किशोर न्याय बोर्ड  नेहा बंसल, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष  पल्लवी पोरवाल, अति. पुलिस उपायुक्त (महिला सुरक्षा शाखा) प्रियंका डूडवे, सहायक पुलिस आयुक्त (महिला सुरक्षा/मुख्यालय)  अपूर्वा किलेदार,  सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पुरुषोत्तम कौरव सहित, जिला इन्दौर की विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, विभिन्न थानों के थाना प्रभारी तथा अन्य पुलिस के प्रशिक्षणार्थी अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहें।
कार्यशाला की शुरूआत करते हुए अति.पुलिस उपायुक्त (महिला सुरक्षा) द्वारा कार्यशाला के विषय व रूपरेखा के बारें में विस्तृत रूप से बताते हुए, बच्चों के हितो के लिये कार्यरत् संस्थाओं व विभिन्न कानूनी प्रावधानों के बारें में परिचयात्मक जानकारी दी गयी।
इस अवसर पर पुलिस उपायुक्त श्री जगदीश डावर ने कहा कि किसी भी देश व समाज का भविष्य ये बच्चे ही है। वर्तमान परिदृश्य में समाज में विभिन्न कारणों से कई विकृतियां आ रही है, जिसका सीधा असर हमारे इन बच्चों पर पड़ता है। अतः इन विकारों से इन बच्चों को बचाते हुए, इनके हितों की रक्षा एवं इनका संरक्षण हम सभी का सर्वप्रथम नैतिक कर्तव्य हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गो के साथ पुलिस/प्रशासन व न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी को बालक/बालिकाओं के लिये जे.जे. एक्ट में जो प्रावधान है, उनका ध्यान रखते हुए अन्य संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए, आवश्यक कार्यवाही करने के लिये सभी को प्रयासरत् रहना चाहिए।
नेहा बंसल ने कहा कि, जो बच्चें किसी भी प्रकार के अपराध की दुनिया में अग्रसर हो जाते है, उनको वापस से समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये विशेष रखरखाव व देखरेख की जरूरत होती है, इन्हीं बातों को बताते हुए उन्होनें इन नए एक्ट में बाल अपराधों की विवेचना किस प्रकार की जाए आदि बातों पर प्रकाश डाला।
वहीं पल्लवी पोरवाल द्वारा हमारा पीड़ितों के साथ व्यवहार कैसा हो इस बात पर प्रकाश डालते हुए, बच्चों के संरक्षण हेतु शासन की विभिन्न योजनाओं और उनके क्रियान्वयन संबधी आदि की जानकारी दी।
 श्री पुरुषोत्तम कौरव द्वारा पॉक्सो एक्ट व जे.जे. एक्ट के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए, इनके क्रियान्वयन में पुलिस व प्रशासन की भूमिका के संबंध में चर्चा की गयी।
इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा सभी को बाल अपराध की रोकथाम एवं उनके निवारण हेतु कानूनी प्रावधान जे.जे. एक्ट, पॉक्सो एक्ट आदि के बारें में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए कहा कि, बच्चें अपराधिक जगत में प्रवेश न करे व उनके साथ कोई अपराध हो तो हम क्या करें व क्या नहीं, ये ही हमें इन बच्चों के लिये बनाये गये नये कानून सिखाते है। अतः हमें सर्वप्रथम बच्चों के संरक्षण के लिये, उनको पारिवारिक माहौल प्रदान कर, उनकी समस्याओं को सुनना व समझना है। साथ ही बाल अपराध को रोकने एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के पुनर्वास आदि के लिये किये जाने वाले प्रयासों, बाल भिक्षावृत्ति एवं बाल श्रम की रोकथाम हेतु उठाये जाने वाले आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की गयी।
इस दौरान कार्यशाला में आये प्रशिक्षणार्थी द्वारा उपस्थित अतिथियों से बाल अपराध निवारण व उनके संरक्षण के दौरान दैनिक कार्य में आने वाली विधिक परेशानियों के समाधान के संबंध में भी चर्चा कर अपनी जिज्ञासाओं का शमन किया।
रिपोर्ट अनिल भंडारी

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