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बांग्लादेश: बदलती सत्ता और भारत की कूटनीतिक चुनौती

 

बांग्लादेश,जो लंबे समय से भारत का मजबूत साथी रहा है, अब चीन के प्रभाव में आता दिखाई दे रहा है। शेख हसीना की 15 साल की सत्ता, जो देश को इस्लामी कट्टरपंथ से दूर रखने में सफल रही, अंततः चीन की आर्थिक ताकत के सामने कमजोर पड़ गई। हसीना सरकार ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, जिसके परिणामस्वरूप GDP में 317% की वृद्धि और निर्यात में 300% का इजाफा हुआ। इसके बावजूद, बढ़ती बेरोजगारी और राजनीतिक असंतोष ने सरकार को कमजोर कर दिया।

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन ने भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है, खासकर जब श्रीलंका और मालदीव जैसे पड़ोसी देश पहले ही चीन के प्रभाव में आ चुके हैं। भारत, जो बांग्लादेश की आर्थिक सफलता के बावजूद, उसके राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता को रोकने में असमर्थ रहा, अब अपने पड़ोसियों को चीन के प्रभाव से बचाने में विफल हो रहा है।

चीन ने बांग्लादेश की अस्थिरता का फायदा उठाते हुए अपने “वन बेल्ट, वन रोड” पहल को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता परिवर्तन का समर्थन किया। अब, बांग्लादेश की सत्ता सेना के हाथों में है, और चीन अपने हितों के लिए नई सरकार को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा। इस बदलाव ने भारत के लिए एक कठिन चुनौती पेश की है, क्योंकि उसकी विदेश नीति पाकिस्तान तक ही सीमित नजर आ रही है।

अंततः, भारत को अपनी कूटनीति में सुधार लाने की जरूरत है, क्योंकि पड़ोस में आग लगी है और भारत के पास उसे बुझाने के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं, और न इच्छा शक्ति ।
( राजीव खरे अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो)

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