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बस्तर की जनता ने माँगी हाईकोर्ट की खण्डपीठ – की विधानसभा चुनाव में की मांग

छत्तीसगढ़ जगदलपुर

राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपी अपने घोषणा-पत्र तैयार कर रही हैं। दोनों ही पार्टियाँ ऐसे मुद्दे भी ढूँढ रही हैं जो छत्तीसगढ़ के लोगों के हितों से जुड़े हों। इसलिये दोनों ही पार्टियों के नेता पूरे राज्य से फ़ीडबैक ले रहे हैं ताकि प्रासंगिक मुद्दों को घोषणा पत्र में सम्मिलित कर सकें।

बस्तर के लोगों और मीडिया ने जगदलपुर में हाईकोर्ट की खण्डपीठ खोलने का मुददा ज़ोर शोर से उठाया है। बीजेपी घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष विजय बघेल ने रायपुर में पत्रकारों से हुई चर्चा में भी मीडिया के कुछ लोगों का सुझाव था कि सरगुजा और बस्तर संभाग में बीजेपी को हाईकोर्ट की एक खण्डपीठ आरंभ कराने के वादे का उल्लेख घोषणा पत्र में करना चाहिए ।
बस्तर संभाग के अंदरूनी जिले जैसे सुकमा, दंतेवाड़ा नारायणपुर, बीजापुर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर से बहुत दूर हैं। यदि इन ज़िलों से कोई न्याय लेने के लिए बिलासपुर आता है तो कम से कम 500 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है । और ज़िलों के अंतिम ग्राम के रहने वालों के लिये यह दूरी 700 किमी तक हो सकती है। ऐसे में आम लोगों और विशेषकर गाँववासियों को धन और समय दोनों का नुक़सान होता है । ग़ौरतलब है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की राज्य में और कोई खण्डपीठ नही है । इसलिये बस्तर के लोगों की माँग और उन्हें बेहतर न्यायिक सुविधा दिलाने के लिये बस्तर में हाईकोर्ट की एक खण्डपीठ की स्थापना होना चाहिए । हालाँकि बस्तर के लोग यह मांग वर्षों से कर रहे हैं पर अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे महत्व नहीं दिया है।
कमोबेश यही स्थिति सरगुजा की भी है । सरगुजा संभाग में भी हाईकोर्ट की खण्डपीठ बनाई जाने से वहां से लोगों को 300 किलोमीटर के सफर से निजात मिलेगी। हो रही है।
मध्य प्रदेश में भी हाईकोर्ट की खण्डपीठ इंदौर एवं ग्वालियर में हैं । वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ही हाईकोर्ट की खण्डपीठ खोलने का फैसला लेगा पर बीजेपी अपनी ही पार्टी की केन्द्र सरकार के माध्यम से इसके लिये पहल कर ही सकती है । बीजेपी इस सुझाव पर गभीरता से विचार कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस भी आदिवासियों की तकलीफ से जुड़े इस मुददे को लेकर गंभीर हो गई है। देखना है चुनावी वादों की बिसात पर आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा संभागों के इस ज़रूरी मुद्दे को पूरा करने का बीड़ा कौन उठा पाता है।

 

( जगदलपुर ब्यूरो)

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