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फडणवीस की वापसी: महाराष्ट्र की राजनीति का नया अध्याय

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना न केवल एक चौंकाने वाली घटना है, बल्कि भाजपा की रणनीतिक परिपक्वता और भविष्य की सोच को भी दर्शाता है। तमाम अटकलों और अज्ञात समीकरणों के बावजूद, फडणवीस को राज्य की बागडोर सौंपे जाने का निर्णय उनके राजनीतिक कौशल, मजबूत नेतृत्व क्षमता और पिछले प्रदर्शन के आधार पर लिया गया प्रतीत होता है।

देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक सफर भाजपा की विचारधारा और अनुशासन का एक आदर्श उदाहरण है। नागपुर जैसे राजनीतिक गढ़ से उभरकर, उन्होंने अपने काम के जरिये खुद को एक कुशल प्रशासक और सुलझे हुए नेता के रूप में स्थापित किया। उनका 2014-2019 का कार्यकाल महाराष्ट्र की राजनीति में विकास और स्थिरता का प्रतीक रहा, जिसमें उन्होंने मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर, किसानों के कल्याण और औद्योगिक निवेश को प्राथमिकता दी।

फडणवीस की खासियत यह है कि वे अपने विरोधियों को साधने और जटिल राजनीतिक समीकरणों को हल करने में माहिर माने जाते हैं। उनकी यह क्षमता 2022 में तब और स्पष्ट हुई जब उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी गुट के साथ मिलकर सरकार बनाई।

महाराष्ट्र की राजनीति में दलबदल का खेल 2019 के चुनावों के बाद से अधिक मुखर हो गया। भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलने के बावजूद, मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों में खींचतान बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। हालांकि, यह सरकार अपने पूरे कार्यकाल में अस्थिरता और अंतर्विरोधों से घिरी रही।

2022 में शिवसेना में विभाजन हुआ, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी गुट ने उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराकर भाजपा के साथ गठबंधन किया। फडणवीस ने इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई, जिससे उनकी राजनीतिक सूझबूझ और भाजपा नेतृत्व के प्रति उनकी निष्ठा फिर साबित हुई।

भाजपा ने हाल के वर्षों में राज्यों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति अपनाई है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को लंबे समय तक दरकिनार करने की कोशिश, राजस्थान में अनुभवी नेताओं को प्राथमिकता न देना, और छत्तीसगढ़ में नए नेतृत्व को आगे बढ़ाने के निर्णय ने सवाल खड़े किए हैं।

इन राज्यों में अनुभवहीन मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में सरकारें अक्सर अस्थिर और कमजोर साबित हुईं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और जमीनी समझ का अभाव स्पष्ट दिखा, जिससे न केवल विपक्ष को मौका मिला बल्कि पार्टी के अंदर भी असंतोष बढ़ा।

महाराष्ट्र में फडणवीस की दोबारा ताजपोशी भाजपा की उस सोच को दर्शाती है जिसमें अनुभव और प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जा रही है। पार्टी ने यह संकेत दिया है कि सत्ता का स्थायित्व और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए अनुभवी नेतृत्व अपरिहार्य है।

फडणवीस की वापसी सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। यह भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में अनुभव बनाम नवाचार की बहस को भी नई दिशा दे सकती है। ऐसे समय में जब पार्टी अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है, महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य में फडणवीस का नेतृत्व पार्टी के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

इस निर्णय ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा अब राज्यस्तर पर अपनी रणनीतियों को लचीला बनाकर स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नेतृत्व चयन पर जोर दे रही है। फडणवीस की कुशलता और उनका अनुभव महाराष्ट्र को नई दिशा देने में सहायक हो सकता है, और यह भाजपा की दीर्घकालिक रणनीति को भी मजबूती प्रदान करेगा।

( राजीव खरे चीफ ब्यूरो छत्तीसगढ़)

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