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प्रभारी बीईओ ने शिक्षकों को अटैच कर बनाया कमाई का जरिया

मंडला

शिवराज सरकार की शिक्षा योजना को चौपट करने की तैयारी जिले में शिक्षा व्यवस्था को भ्रष्टाचार तथा शिक्षकों की कमाई का जरिया बनाया जा रहा है। जिले में शिक्षा विभाग में आये दिन मयप्रमाण के भ्रष्टाचार का खुलासा हो रहा है। शिवराज सरकार द्वारा लगातार राज करने में शिक्षा को अहम नींव बनाकर रखा गया है, परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रदेश के मुखिया को खुलेआम चुनौती देने वाले ये कौन हैं? जिन्होंने उनकी कुर्सी को हिलाने का सिलसिला कायम किया है, जो शासकीय योजनाओं में पात्र को आपात्र और आपात्र को पात्र बना रहे है।

मामा के भांजे-भांजियों की स्कूटी चोरी की तैयारी

प्रदेश में शिवराज सरकार ने अपनी कुर्सी मजबूती बनाए रखने के लिए एक रिश्ता कायम किया है और वह रिश्ता है मामा और भाई का जिसके चलते उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता दी है जिसमें निशुल्क साइकिल, निशुल्क गणवेश निशुल्क शिक्षा, भोजन के साथ-साथ बहनों को भी तोहफा दिया है। वहीं बहनों और भाजियों के साथ अब भाजों के लिए एक नया उपहार की शुरुआत की गई है अव्वल अंक प्राप्त करने वाले मेधावी भांजे भाजियों को अग्रिम शिक्षा हेतु स्कूटी की व्यवस्था की व्यवस्था की गा है परन्तु मामा के दुश्मनों ने उनके भांजे- भाजियों से मामा का तोहफा छीनने के हर संभव प्रयास किए हैं। मामला विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी बीजाडांडी अवधेश दुबे का है जो उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जाम में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं और उन्हें विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बीजाडांडी
के पद को लेकर प्रभारी बीईओ की जिम्मेदारी सौंपी गई है परन्तु जिम्मेदारों ने मौका का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जहां जिला शिक्षा अधिकारी कलेक्टर/अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी/जिला परियोजना समन्वयक के चार-चार दायित्वों का निर्वहन करने में व्यस्त है उनके नाक के नीचे योजना को नस्तनबूत करने की तो दूर प्रदेश के मुखिया की योजना की होली खेली गई है।

सरकार की योजनांतर्गत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अव्वल दर्जे में आने वाले एक-एक मेधावी छात्र-छात्राओं को स्कूटी प्रदाय की जावेगी. वहीं किसी विद्यालय में किन्हीं दो-तीन बच्चों के अव्वल अंकों में समानता पाई जाने पर उक्त समस्त मेधावी बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा, परन्तु सरकार की योजनाओं की नियमावली को दरकिनार कर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जमार में पदस्थ प्राचार्य अवधेश दुबे द्वारा लापरवाही एवं निजी स्वार्थ के चलते मनमानी रवैया अपनाकर सीएम के इस योजना को नस्तनाबूत करने तथा मामा के पात्र भाजे भांजियों की सूची में हेर-फेर कर अपने चहेतों-रिश्तेदारों को पात्र करने की तैयारी को गई जिसका खुलासा किया गया। जहां मामले को लेकर प्राचार्य की चोरी पकड़े जाने पर प्राचार्य और बीईओ की कुर्सी एक ही व्यक्ति के पास होने के चलते प्राचार्य द्वारा अपनी लापरवाही एक शिक्षक के मत्ये मड़ दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि बगैर प्राचार्य की सहमति और साठ-गांठ के एक शिक्षक द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही और इस करतूत को कैसे अंजाम दिया जा सकता है।

इस मामले को लेकर दैनिक जग संवाद द्वारा अवधेश दुबे से विस्तृत जानकारी चाही गई तो प्राचार्य एवं प्रभारी बीईओ अवधेश दुबे का कहना है मामले की विस्तृत जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा दी जाएगी जहां भ्रष्टाचार और लापरवाहियों को प्राचार्य एवं बीईओ द्वारा अंजाम दिया जाएगा तो वहां ऐसे करों की जानकारी डीईओ द्वारा कैसे दी जावेगी और ऐसे लापरवाह प्राचार्य को बीईओ का प्रभार सौपा जाना कहाँ तक उचित है??

बीईओ के पद पर आते ही दुबे ने किया मनमानी अटैचमेंट

शिक्षा एक पवित्र धर्म और शिक्षक पवित्रा का पद है। शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। गुरु हर स्तर में शिक्षा देकर इंसान को काबिल बनाते है। शिक्षा व्यवस्था को गति एवं बेहतर बनाने के लिए जिले में बीजांडी अंतर्गतउतर माध्यमिक विद्यालय जमर में पदस्थ प्राचार्य अवधेश दुबे को बीईओ बाकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जहाँ प्रभारी बीईओ श्री दुबे शिक्षा व्यवस्था बनाने को दरकिनार करते हुए अपनी तिजोरियां भरने में सक्षम नजर आए और शिक्षकों को उनकीसुविधानुसार मनमानी रवैया अपनाकर आए दिन अटेचमेंट करके मना कमाई करने लगे और इस तरह लगातार अटैचमेंट का स्तर इतना गया कि दर्ज संख्या अनुसार पदस्थ शिक्षकों के बाद भी शिक्षकों को मनचाहे अटैच किया आने लगा, नतीजा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर निम्न स्तर पर पहुंच गया और अटैच किए गए शिक्षक बीईओ को मोटी रकम देकर घरों में आराम फरमाते नजर आ रहे हैं।

मण्डला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पानी की बेहतर सुविधा और व्यवस्था को लेकर सरकार द्वारा चोटी का जोर लगाया जाता है परन्तु सरकार से दुश्मनी चाहने वाले उनके मन पर पानी फेर देते है। मध्यप्रदेश में कुछ ही समय में विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव सर पर है जहां सरकार अपनी सत्ता की मजबूती बनाए रखने के लिए आये दिन योजनाओं का अंबार लगा रही है और ऐसे में सरकार की योजनाओं के साथ होली खेलना सत्ता में अलट-पलट की स्थिति पैदा कर सकता है और यदि ऐसा हुआ तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा और इसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा. ऐसे में तो सरकार के मुंह से यही बात निकल सकती है कि अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत

अवधेश दुबे प्रभारी बीईओ बीजाडांडी का कहना है-
01- स्कूटी मामले में समस्या हल हो गई है आप परेशान हो रहे हैं और इसकी विस्तृत जानकारी कार्यालय से पता कर सकते हैं।
रिपोर्टर :- फिरदौस खान

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