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पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रख मनाया महिलाओं ने करवा चौथ

राष्ट्रीय ब्यूरो रायपुर

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पति की लंबी आयु की कामना के साथ महिलाओं ने निर्जला व्रत रख करवा चौथ मनाया।इस व्रत की जड़ें ऐतिहासिक और भावनात्मक हैं । करवा चौथ महिलाओं के बीच प्रेम, भक्ति और एकता का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं और शाम की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है।

 


करवा का अर्थ है ‘करवा’ यानी मिट्टी का बर्तन जिसे भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। भगवान गणेश जल तत्व के कारक हैं और करवा में लगी टोंटी भगवान गणेश की सूंड का प्रतीक है। इस दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना शुभ माना जाता है । इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सफलता की मनोकामना पूरी होने के लिए व्रत रखती हैं, वहीं, अविवाहित युवतियां सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।

 

 

व्रत या उपवास शरीर को डिटाक्स करने का भी काम करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पुरूष शारीरिक श्रम द्वारा अपने शरीर को डिटाक्स कर लेता है वहीं घर में रहने वाली स्त्री उपवास द्वारा अपने शरीर को डिटाक्स करती है। पर आज महिलाऐं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं और उनका श्रम भी पुरुषों से कम नहीं है।

हमारे देश की महिलाएँ बचपन से लेकर बुढ़ापे तक अपने से ज्यादा; पिता, भाई, पति, पुत्र आदि का ध्यान रखतीं हैं। भारत में महिलाएँ हमेशा अपने पति, अपने बच्चों और अपने परिवार की लंबी आयु और ख़ुशहाली के लिये व्रत रखती आई हैं।

 

 

*_औरत के लिए कोई व्रत नहीं रखता,
फिर भी लंबी उम्र जी लेती है!!
प्रेम करती हैं राधा की तरह,
मीरा की तरह विष पी लेती है!!_*

वैसे तो कहा जाता है की पति और पत्नी दोनों एक समान होते हैं, पर विचारणीय यह है कि बहुत से कठिन व्रत हमारे देश में महिलाओं के लिये हैं, पर पुरुष के लिये अपनी पत्नी, माता या बच्चों के लिये व्रत नहीं हैं।

वैसे बात अगर मोहब्बत की है, 
तो जज्बा बराबरी का होना चाहिए ,
जो तुमने कुछ नहीं खाया सुबह से
तो चांद को भी भूखा रहना चाहिए।

और पुरानी परंपराओं को मन में सहेजे हाथों में मेंहदी और माथे पर सिंदूर लगाए अपने पिया के आने की आस में चाँद को छलनी से देखते हुए महिलाएँ अपने पति के हाथों व्रत खोलती हैं। और चाँद तक उनकी चेहरे की चमक के सामने फीका लगने लगता है। इसीलिये शायद मशहूर शायर इफ़्तिख़ार नसीम ने कहा है –

उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा ।

( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)

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