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पंचाने नदी को पुनर्जीवित करने हेतु आयोजित की गई पानी पंचायत-जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी की उपस्थिति ने बढ़ाई लोगों में नदी संरक्षण की दृढ़ इच्छाशक्ति ।

बिहार

पावाडीह, राजगीर
27 मई 2023 को खोज यात्रा के सिलाव के पावाडीह पहुंचने पर पंचाने नदी बचाओ समिति नालंदा, बिहार के तत्वाधान में पंचाने नदी पुनर्जीवित करने एवं अन्य जलस्रोतों को पानीदार बनाने हेतु पानी पंचायत का आयोजन किया गया। इस आयोजन में नालंदा के अलावा शेखपुरा और गया के किसान, युवा उपस्थित थे। यहाँ जलपुरुष डॉक्टर राजेंद्र सिंह का राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास दिल्ली के अध्यक्ष नीरज कुमार ने जल कलश देकर स्वागत किया।
पानी पंचायत को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, पंचाने नदी को बिहार में पुनर्जीवित करना आसान है। इसके लिए सबसे पहले नदी की जमीन पर हो रहे अनियमित कब्जों को रोकने के लिए नदी का चिन्हीकरण, सीमांकन और उसका राजपत्रितकरण करने की आवश्यकता है। यह काम सरकार का है। जब यह काम हो जायेगा, तो समाज खुद कब्जा करने वालों को रोकने लगेगा। दूसरा काम समाज को करना होगा। आज समाज धरती के पेट से पानी निकाल रहता है, इसे जल उपयोग दक्षता बढ़ाना होगा। राज और समाज दोनों इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार हैं,जिससे यह काम हो जायेगा।

तिलैया बांध बनाने के कारण नदी का प्राकृतिक प्रवाह रुक गया है। यह दक्षिण बिहार की गंगा माना जाता है। इस नदी पर झारखंड की जमीन में जो बांध बना है, उससे इस नदी का प्रवाह पूर्णतः रुक गया है । अभी जो झारखण्ड और बिहार दोनो राज्यों के समझौते हुए है,यदि नहीं हुए है तो समझौता कर लेना चाहिए। नदी में प्रवाह बहुत आवश्यक है, तभी तिलैया ढाढर परियोजना पूरे साल पानी देने लायक बन जायेगी।

बिहार में जो जल जीवन हरियाली के तहत अच्छे काम हुए है। उसमे पानी के छोटे-छोटे संरचनाओं के निर्माण करने की व्यवस्था है और उसके तहत बड़े बांधों की सप्लीमेंट्री अनुसार, छोटे-छोटे बजट के तहत बन सकते हो ,छोटी-छोटी जल संरचना बनाकर, सिंचाई का दायरा बढ़ाया जा सकता है। बिहार सरकार ने गंगा से बाढ़ का पानी उठाकर, 2 करोड़ लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया है। लेकिन दक्षिण बिहार में पानी का ज्यादा संकट है,जिसे उजड़ा हुआ क्षेत्र दिखता है। यहां यदि लोगों को पानी मिल जाता है तो तीन फसलें आसानी से पैदा की जा सकती है।

इसी दौरान जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने सभ्यता की सूखी सरिता नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि, विश्व की सारी सभ्यता हमारी नदियों से ही जुड़ी हुई है। नदी सूखने से सभ्यता ,संस्कृति नष्ट हो जाती है। जिस प्रकार हमारे नदियों में पानी सूख रहा है ,इससे नदियों के अस्तित्व समाप्त हो रहा है।नदी को बचाने के लिए आज जरूरत एक तंत्र खड़ा करने की है, सिस्टम बनाने की है,तभी नदी को बचा सकते हैं।

कार्यक्रम के संयोजक नीरज कुमार ने कहा कि नालन्दा में यह दूसरा पानी पंचायत आयोजित हुई है और जलपुरुष राजेन्द्र सिंह का आगमन इस धरती पर हुआ है।निश्चित ही हम सभी में जब दृढ़ इच्छा शक्ति जाग जाएगी तो हमारी यह सूखी नदी पंचाने पुनः पानीदार हो जाएगी।
( राजीव खरे राष्ट्रीय उप संपादक)

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