रायपुर 06 जनवरी 2025
छत्तीसगढ़ सरकार ने नाबालिग चालकों द्वारा सड़कों पर बढ़ते हादसों को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। अब यदि कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे 25 वर्ष की उम्र तक ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। साथ ही, उसके परिजनों को ₹25,000 का जुर्माना और तीन साल तक की जेल हो सकती है।
इस नियम को लागू करने की प्रेरणा देशभर में नाबालिग चालकों द्वारा किए गए गंभीर हादसों से मिली है। उदाहरण के तौर पर, पुणे में एक हाई-एंड पोर्शा कार द्वारा किया गया भयावह हादसा आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। इस मामले में एक नाबालिग ने अपने रसूखदार परिजनों की कार लेकर हाई स्पीड में कुछ लोगों को कुचल दिया।यह हादसा परिजनों की लापरवाही का उदाहरण था, जो बच्चों की गलतियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें महंगी और तेज रफ्तार गाड़ियां सौंप देते हैं।
भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से एक बड़ा प्रतिशत उन हादसों का होता है, जो नाबालिग चालकों के कारण होते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में शामिल कुल वाहनों में 6% से अधिक मामलों में नाबालिग चालक होते हैं। यह आंकड़े चिंताजनक हैं और सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।
नाबालिगों को वाहन चलाने देना परिजनों की लापरवाही और सामाजिक प्रभाव का परिणाम है। अक्सर देखने में आता है कि रसूखदार परिवार अपने बच्चों को महंगी गाड़ियां देते हैं, यह सोचकर कि वे नियमों से ऊपर हैं। यह प्रवृत्ति न केवल बच्चों के जीवन को खतरे में डालती है, बल्कि दूसरों की जान-माल को भी नुकसान पहुंचाती है।
छत्तीसगढ़ सरकार के नए नियमों के अनुसार यदि कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा गया तो उसे 25 साल तक ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलेगा।साथ ही उसके परिजनों को ₹25,000 का जुर्माना और तीन साल तक की जेल होगी।यदि वाहन मालिक यदि अलग व्यक्ति है तो भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सड़क हादसे न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि प्रभावित परिवारों पर मानसिक और आर्थिक बोझ भी डालते हैं। पुणे पोर्शा कार जैसी घटनाएं बताती हैं कि केवल नियम बनाने से काम नहीं चलेगा, उन्हें सख्ती से लागू करना भी जरूरी है।
यह समय है कि परिजन और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान करें। बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि वाहन चलाना एक जिम्मेदारी है, न कि रोमांच का जरिया। सख्त नियम और उनकी अनुपालना ही सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस कदम से न केवल सड़क हादसों में कमी आएगी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा।
( राजीव खरे ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़)
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