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दंतेवाड़ा में देश का पहला वन मंदिर, राशि, ग्रह और नक्षत्रों के पौधे बना रहे आकर्षण का केंद्र

दंतेवाड़ा, 
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के आवराभाटा में देश का पहला वन मंदिर बनाया गया है। लगभग 4.5 करोड़ रुपये की लागत से 18 एकड़ भूमि पर निर्मित यह अनोखा मंदिर पर्यावरण, आध्यात्म और पारंपरिक चिकित्सा का संगम प्रस्तुत करता है।
वन मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सात अलग-अलग थीम पर आधारित वन विकसित किए गए हैं, जिनमें राशि, ग्रह और नक्षत्रों से संबंधित पौधों को लगाया गया है। साथ ही गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए औषधीय पौधों और योग अभ्यास के लिए विशेष स्थान तैयार किए गए हैं।
सात थीम पर आधारित वन
वन मंदिर में बनाए गए सात वनों में प्रत्येक की थीम भारतीय संस्कृति और विज्ञान पर आधारित है। इनमें राशि वन, ग्रह वन, नक्षत्र वन, योग और औषधीय वन, आध्यात्मिक वन, आनंद वन और शिक्षा एवं अनुसंधान वन शामिल हैं।
•राशि वन में 12 राशियों से संबंधित पौधे लगाए गए हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।
•ग्रह वन में नौ ग्रहों के अनुरूप पौधों को लगाया गया है, जो ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक माने जाते हैं।
•नक्षत्र वन में 27 नक्षत्रों से जुड़े पौधे लगाए गए हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन को बढ़ावा देते हैं।
•योग और औषधीय वन में गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए हर्बल पौधों को शामिल किया गया है।
पर्यावरण और आध्यात्म का अनोखा संगम
वन मंदिर का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, पारंपरिक चिकित्सा और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना है। यह स्थल पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने का केंद्र भी है।
मंदिर में औषधीय पौधों के अलावा ध्यान और योग के लिए शांतिपूर्ण स्थान विकसित किए गए हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य और शांति के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं।
स्थानीय समुदाय को मिल रहा लाभ
वन मंदिर स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार का एक नया अवसर बनकर उभरा है। पौधों की देखभाल, पर्यटकों को गाइड करना और विभिन्न अभियानों में सहभागिता के माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक विकास के नए रास्ते खुले हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
यह वन मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश और विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आने वाले लोग राशि, ग्रह और नक्षत्रों के पौधों को देखकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर रहे हैं और योग एवं ध्यान के माध्यम से शारीरिक और मानसिक शांति का अनुभव कर रहे हैं।
भारत में एक नई पहल
दंतेवाड़ा का यह वन मंदिर प्रकृति और संस्कृति के समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पहल पर्यावरणीय असंतुलन और मानसिक तनाव के खिलाफ एक सकारात्मक कदम है। इस मंदिर के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर न केवल पर्यावरण बल्कि मानव स्वास्थ्य और सामाजिक संतुलन में भी सुधार लाया जा सकता है।
वन मंदिर ने भारतीय संस्कृति, परंपरा और पर्यावरण संरक्षण को आधुनिक संदर्भ में जोड़कर एक नई मिसाल कायम की है।
( राजीव खरे चीफ ब्यूरो छत्तीसगढ़)

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