चित्रकूट
पुलिस विभाग का सोशल मीडिया इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। चौक चौराहा से लेकर सोशल मीडिया तक में चर्चा का माहौल गर्म है। सारा मामला भरतकूप थाना क्षेत्र के अकबरपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र का है, जहां राम पथ गमन के नक्शे पर बदलाव करने को लेकर पूंजी पत्तियों के द्वारा किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है तो वहीं राजस्व विभाग के अधिकारी और ग्राम प्रधान पति के द्वारा पूंजी पतियों के क्रेशर और उनकी जमीन को बचाने के लिए भरसक कदम उठाए जा रहे हैं। विगत कुछ दिन पहले आदिवासी समुदाय के लोगों के द्वारा अपना आशियाना बचाने के लिए राम पथ गमन परिवर्तन मार्ग में किए जा रहे नशे में बदलाव को लेकर जिला अधिकारी का दरवाजा खटखटाते हुए गुहार लगाई गई की प्रभु श्री राम के नाम से बनने वाले मार्ग को लेकर लोगों में एक नई उम्मीद की ज्योत जगी थी और लोगों में काफी उत्साह था वही अब इस मार्ग में पूंजी पतियों के द्वारा कराए गए नक्शे में फिर बदलाव लोगों के आशियाना को उजाड़ने का काम कर रहा है। शिकायती पत्र में ग्रामीणों ने जिला अधिकारी को अवगत कराया था कि कुछ पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने के लिए नक्शे पर बदलाव किया गया और यह बदलाव अब गरीब आदिवासियों के आशियाना उजाड़ने का काम कर रहा है। एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गरीबों को जुग्गी झोपड़ी की जगह सर पर छत देने का काम कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पूंजी पतियों के दबाव में आकर गरीबों के आशियाना उजड़ने का कार्य कहां तक सही है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्राम प्रधान पति व राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर फर्जी हस्ताक्षर का खेल खेला – आदिवासी समाज एवं ग्रामीणों के द्वारा भरतकूप थाने में एक तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई गई की ग्राम प्रधान पति और कुछ राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से ग्रामीणों के फर्जी हस्ताक्षर को सहमति दिखाकर उनके आशियाना उजाड़ने का कार्य उच्च अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक कर किया जा रहा है। ग्रामीणों ने अपनी शिकायती पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उनके द्वारा किसी तरह की कोई सहमति नहीं दी गई इसके बाद भी फर्जी हस्ताक्षर के माध्यम से ग्रामीणों की सहमति बनाकर अब लगातार पूंजी पतियों के गुर्गों और ग्राम प्रधान पति के द्वारा गरीबों को धमका कर घर खाली करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है वही घर ना खाली करने पर गाली गलौज और मारपीट भी की जा रही है जिसकी शिकायत स्थानी थाना में की गई इसके बाद भी पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई न करते हुए राजस्व विभाग का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया गया है सोशल मीडिया के यूजर्स के द्वारा गरीबों की आवाज बुलंद करने के लिए ट्विटर के माध्यम से गरीबों की आवाज बनकर उठाई गई तो सोशल मीडिया पर भी ऐसा जवाब दिया गया कि सोशल मीडिया यूजर्स के होश उड़ गए सोशल मीडिया में कहा गया कि पुलिस को जो पत्र दिया गया है वह पत्र राजस्व से संबंधित है और राजस्व इसका निराकरण करेगा जबकि ग्रामीणों के द्वारा राजस्व से संबंधित पत्र न देकर बल्कि खुद के साथ दबंग के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की शिकायत की गई है वहीं अब देखने वाली बात यह होगी कि सोशल मीडिया को कब तक पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ऐसे ही मजाक बनाते रहेंगे और लोगों की उम्मीदें टूटती रहेगी।
रिपोर्ट- प्रभुपाल चौहान
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