नई दिल्ली
अफ़ग़ानिस्तान के तालिबानी आतंकी अब उत्तर कोरिया के सहयोग से छोटे परमाणु बम हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं । अफगानिस्तान के एक पत्रकार समी युसूफजई ने एक ट्वीट करके बताया है कि तालिबान के कछ लोग एक गुप्त दौरे पर उत्तर कोरिया गये थे जिसमें अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी और कंधार का पुलिस प्रमुख भी शामिल थे। इससे पहले भी अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार में खुफिया एजेंसी के प्रमुख रहमतुल्ला नाबिल ने इंडिपेंडेंट अखबार की ओर से यह दावा किया था कि तालिबानी आतंकी परमाणु बम हासिल करना चाहते हैं।
युसूफजई ने कहा है कि बहुत रहस्यमयी ढंग से किये गए इस दौरे के बारे में कोई जानकारी आगे नहीं मिली है और तालिबानी इस दौरे को खारिज भी कर रहे हैं पर पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां इसकी वास्तविकता के संबंध में जांच में लग गई हैं ।
उत्तर कोरिया और तालिबान के बीच यह असामान्य रिश्तों ने पश्चिमी देशों को तनाव में ला दिया है क्योंकि तालिबान के पूर्व शासनकाल में ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकी का राज था और अफगानिस्तान आतंकियों का अड्डा बन गया था।गौरतलब है कि उत्तर कोरिया का मिसाइल और परमाणु तकनीक के तस्करी का पुराना इतिहास है। उत्तर कोरिया ने ही पाकिस्तान को इसके लिये मदद की थी और इसीलिये अब पश्चिमी देश डर रहे हैं और इस खतरे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं । इस बात का भी खतरा बताया जा रहा है कि कहीं आतंकियों के जरिए तालिबान अपने परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसी देश पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा न कर ले।
रिपोर्ट के अनुसार तालिबानी आतंकी ताकत के बल पर अफगानिस्तान में सत्ता में जरूर आ गए हैं पर दुनिया ने अभी तक उन्हें मान्यता नहीं दी है। इससे बौखला कर वे अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए एक परमाणु बम हासिल करने के लिये उत्तर कोरिया, ईरान, चीन और रूस के रास्ते पर आगे बढ़ना और सैन्य ताकत बनना चाहते हैं।
( राजीव खरे अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो)
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