इंदौर मध्य प्रदेश
जावरा / तपस्या से मनुष्य के अंदर छिपी शक्ति जागृत होती है। जैन दर्शन में तप की बड़ी महिमा है तपस्वी की अनुमोदना करना व कराने का समान फल प्राप्त होता है। तपस्या की पूर्णता देव, गुरु और धर्म की कृपा पर आधारित होती है। तप की अनुमोदना करने से जिन शासन की प्रभावना होती है और अनेक लोगों को प्रेरणा मिलती है। उक्त विचार ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार हरण ने
श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भक्त मण्डल जावरा द्वारा जिन शासन रत्न तपस्वी प्रकाशचंद्र पितलिया के 81 उपवास पर तप के अनुमोदनाथ उनके सम्मान में व्यक्त किये । आपने कहा मनुष्य ही तप व तपस्या कर सकते हैं। ये कार्य देवता चाह कर भी नहीं कर सकते हैं। इस अवसर पर मण्डल संस्थापक संजय मेहता ने कहा की जिस प्रकार आकाश अनंत और विशाल है उसी प्रकार इच्छाएं अनंत हैं। इच्छाओं के बीच मानव जीवन यात्रा करता है। मानव ही व्रत नियम और तपस्या कर सकता है।
मेवाड गौरव प्रखर वक्ता प. पू. रविन्द्र मुनि जी म.सा. की निश्रा में जावरा व मालवा क्षेत्र में पहली बार इतनी बड़ी 81 उपवास की तपस्या कर सम्माननीय पीतलिया ने पिछली सभी तपस्याओं के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आप ने ना केवल ताल बल्कि जावरा क्षेत्र को भी गोरवान्वित किया हैं। धन्य है ऐसे बेटी व दामाद प्रिया ओर तपन नाहटा जिन्होंने अपनी अथक सेवा से जन्म जन्मांतर का पुण्यार्जन किया हैं।
ज्ञात रहे पितलिया जी 2011 से ताल, बदनावर, रतलाम आदि शहरों में प्रति वर्ष 51 उपवास की तप आराधना करते आरहे हैं। 2011 में तो 51 उपवास का पारणा कर दूसरे दिन से ही पुनः उपवास प्रारंभ कर 36 उपवास कर टोटल 87 उपवास की कठौर तपस्या पूर्ण की थी। आपकी इकलौती बेटी प्रिया का विवाह जावरा के धर्मिष्ट परिवार में मनोहर लाल जी नाहटा के पुत्र तपन नाहटा के साथ हुवा हैं। निश्चित ही इस तप से नाहटा परिवार भी गोरांवित हुआ है।
इस अवसर पर श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भक्त मण्डल के संजय मेहता, राजकुमार मारवाड़ी, तपन नाहटा, अमित जैन चंद्रावत, प्रदीप बोरदिया, प्रवीण बरमेचा, मनीष सिसोदिया आदि सभी ने तपस्वी रत्न को मोतियों की माला पहनाकर बहुमान किया ओर अनुमोदनार्थ जय जय कार करने के पश्चात नवकार मंत्र का जाप किया। रिपोर्ट अनिल भंडारी 94250 59410
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