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डाॅ.बी.के.राय ने किया था महिला का आपरेशन बिना पथरी स्टोन निकाले, लगाये थे बारह टांके

टीकमगढ़ मध्य प्रदेश

राय मल्टी स्पेशलिटी हाॅस्पीटल के डाॅक्टर बी.के.राय एवं संचालक के विरूद्ध एक महिला मरीज के परिवाद पर जिला उपभोक्ता आयोग ने सेवा में कमी, मरीज से लिए गये खर्च सहित कुल 85 हजार रूपये मय ब्याज के अदा करने का आदेश जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक महिला श्रीमती रिजवाना खातून पत्नी फिरोज खान ने एडवोकेट रईस अहमद के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग टीकमगढ़ में परिवाद प्रस्तुत किया जिसमें बताया गया कि महिला श्रीमती रिजवाना खातून पेट दर्द की शिकायत लेकर 07 नवम्बर 2019 को डाॅ.बी.के.राय राय मल्टी स्पेशलिटी हाॅस्पीटल गई जहां उनका एक्स-रे कराया गया, एक्स-रे देखकर बी.के. राय ने किडनी में पथरी का बोलकर महिला को भर्ती किया एवं अगले दिन 8 नवम्बर 2019 को बिना अल्ट्रा साउण्ड के आपरेशन कर दिया जिससे महिला को 12 टांके आये, महिला के पति फीरोज खान ने पथरी के बारे में पूंछा तो डाॅ. बी.के.राय ने बताया कि पथरी कागजनुमा थी इसलिए पथरी ब्लड में घुल गई, अगले ही दिन महिला मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया । महिला को लगातार पीठ और कमर में दर्द की शिकायत लेकर पुनः डाॅक्टर बी.के.राय के पास गई उन्होंने दवाएं लिखकर जाने दिया। असहनीय पीड़ा से दुःखी होकर पीड़ित महिला 28 नवम्बर 2019 को डाॅक्टर सी.पी. सिंह सिटी हाॅस्पीटल पहुंची जहां उन्होंने जांच एवं अल्ट्रासाउण्ड करके बताया कि लेफ्ट किडनी में 15.1 एम.एम. एवं गाॅल ब्लेंडर में 10 एम.एम. की पथरी है आपरेशन सही नहीं होने से तिल्ली, बच्चेदानी और गुर्दे में सूजन है पीड़ित महिला को ग्वालियर में इलाज कराने की डाॅ. सी.पी.सिंह द्वारा सलाह दी गई है। तब महिला ने नव जीवन हाॅस्पीटल ग्वालियर में पथरी का आपरेशन कराया। बताया गया है कि डाॅक्टर बी.के. राय ने 12 टांके लगाकर महिला का आपरेशन किया था लेकिन पथरी नहीं निकाली जिसकी शिकायत मेडीकल काउंसिलिंग को भी गई। इस मामले की सुनवाई उपरांत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने आदेश में कहा है कि डाॅ. बी.के. राय एवं संचालक राय मल्टी स्पेशलिटी टीकमगढ़ ने केवल एक्स रे और आईव्हीपी इन्ट्रावीनस की प्रक्रिया से जांच की और बताया कि अल्ट्रा साउण्ड आवश्यक नहीं होता है चूंकि किडनी में स्टोन पाया गया था और पश्चातवर्ती सोनोग्राफी रिपोर्ट से स्पष्ट है कि स्टोन का आकार 15.1 एम.एम. का था ऐसी स्थिति में सर्जरी करने बाले डाॅक्टरों के लिए आवश्यक रहता है कि वह सही जानकारी व किस स्थान पर स्थित है सुनिश्चित करें तभी आपरेशन करना चाहिए। यह तथ्य उल्लेखनीय है कि डाॅ.बी.के. राय सामान्य सर्जन है और आमतौर पर किड़नी की बीमारियों का इलाज यूरोलाजिस्ट द्वारा किया जाता है अतः सामान्य परिस्थितियों में महिला को सलाह दी जा सकती थी कि वह कुशल यूरोलाजी सर्जन से इलाज व आपरेशन कराये यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि किडनी स्टोन का आपरेशन सामान्य दूरबीन प्रक्रिया से यूरोलाजिस्ट द्वारा किया जाता है जिससे मरीज के शरीर पर कम से कम घाव हो पर डाॅ.बी.के. राय सामान्य सर्जन रहे है और उन्होंने ओपिन आपरेशन 12 टांके वाला किया है और वह भी असफल रहा है क्योंकि किडनी स्टोन डाॅक्टर के अनुसार मिला ही नहीं। आयोग ने आदेश में आगे कहा कि किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और स्टोन की स्थिति की जानकारी किये बिना बड़ा आपरेशन करना किसी भी मरीज के लिए उसकी जिंदगी से खिलवाड़ करना है हाॅस्पीटल में कोई रेडियोलाजिस्ट नहीं है अतः स्पष्ट है कि जांचे भी डाॅ.बी.के राय ने ही की है जो रेडियोलाॅजिस्ट नहीं है डाॅ. बी.के. राय ने महिला मरीज को इंट्रावेनस पाइलोग्राम बताया है जो चिकित्सीय उपेक्षा लापरवाही है। आदेश में कहा गया है कि डाॅ. बी.के. राय रेडियोलाॅजिस्ट में अधिकृत चिकित्सा उपाधि धारण न करते हुए किडनी के रोगों के संबंध में कोई विशेषता की डिग्री न धारित करते हुए महिला मरीज रिजवाना खातून का आपरेशन किया है जिससे मरीज के शरीर पर हमेशा के लिए लम्बे घाव बनकर प्रभाव हुआ और आपरेशन कर स्टोन भी नहीं निकाला गया जिससे अगले आपरेशन तक एक महीने तक घोर पीड़ा और दर्द सहन करना पड़ा इसलिए डाॅ. बी.के. राय द्वारा सामान्य सर्जन के रूप में आवश्यक सोनोग्राफी और मानक सिद्धांतों का पालन न करके चिकित्सीय उपेक्षा कारित कर सेवा में कमी कारित की है।
इसलिए परिवादी रिजवाना खातून को सेवा में कमी मद में 50 हजार, उपचार आपरेशन में लिए गये 30 हजार तथा बाद व्यय 5 हजार एक माह अदा करें तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 19.03.2020 से अदायगी दिनांक तक का 8 प्रतिशत वार्षिक व्याज की दर से भी अदा करें। यह फैसला विद्वान न्यायाधीश ऋषभ कुमार सिंघई अध्यक्ष एवं डाॅ. श्रीमती प्रीति परमार सदस्य जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा सुनाया गया । पूर्व में भी शासन के नियमों के विपरित चल रहे राय मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने निरीक्षण करते हुए लायसेंस रद्द कर दिया था।

रिपोर्ट – सालिम खान ब्यूरो टीकमगढ़

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