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ज दी तोर डाक सुने क्यू ना आसे तवे एकला चलो रे

रायपुर

सुधा सोसाइटी फाउंडेशन ,रायपुर ने आमासिवनी गांव में एक वर्ष पूर्व 8 मई 2023 को रवीन्द्र नाथ टैगोर की 162 जयंती पर एक ओपन स्कूल ग़रीब बच्चों के लिए शांति निकेतन की तरह पेड़ के नीचे खोला था, कल दिनांक 8/5/24 को वहाँ संस्था के कार्यकर्ता और कई गणमान्य लोग रवीन्द्र नाथ टैगोर की जयंती मनाने के लिए एकत्र हुए । गोपाल कृष्ण भटनागर , चेयरमैन ने बताया कि रवीन्द्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन की अवधारणा पर ही अमासिवनी रायपुर और गुरुग्राम और अन्य स्थानों में पेड़ के नीचे निःशुल्क ओपन स्कूल चल रहे हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म ८ मई 1861 को कोलकाता में हुआ। टैगोर का प्रभाव विश्व स्तर पर साहित्य, संगीत और कला तक फैला हुआ है ।अपनी प्रमुख रचना गीतांजलि की “बेहद संवेदनशील, ताजा और सुंदर” कविता के लेखन हेतु , वे 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय और पहले गीतकार बने। टैगोर के काव्य गीतों को आध्यात्मिक और भावपूर्ण माना जाता था; वहीं उनका सुरुचिपूर्ण गद्य और जादुई कविता भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से लोकप्रिय थी। उन्होंने हमारे देश का राष्ट्र गान जन गण मन “की रचना की । इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान “ अमर सोनार बांग्ला’,” भी लिखा ।
इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं नृत्य, स्वागत गीत और अन्य गतिविधियों जैसे कार्यक्रम। विजेयता अग्रवाल, अध्यक्ष अग्रवाल समाज, महिला विंग रायपुर और सामाजिक कार्यकर्ता इस समारोह की मुख्य अतिथि एवं मीनाक्षी पटेल ,कला एन शिल्प शिक्षक एन.एच. गोयल स्कूल ,रायपुर सम्माननीय अतिथि थीं । अजीत कुमार एनएच गोयल स्कूल के शिक्षक कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे । सभी अतिथियों ने सोसायटी की ओपन स्कूल गतिविधियों की सराहना की और अपने-अपने स्कूलों में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को पुरस्कार वितरित किए। यह देखा गया कि पिछले वर्ष के प्रदर्शन की तुलना में बच्चों ने ओपन स्कूल शामिल होने के बाद अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। सोसायटी उन बच्चों को मुफ्त शिक्षा कोचिंग प्रदान कर रही है जो सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और सोसायटी के स्वयंसेवकों के माध्यम से उनकी पढ़ाई में सहायता भी कर रही है। फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष जीके भटनागर ने सभी अतिथियों का स्वागत गमले वाले पौधे देकर किया। सुप्रसिद्ध समाज सेविका रीमा आचार्य , नेहा भटनागर और भारती मरावी तथा कुमारी ख़ुशी यादव सभी स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम की सफलता सक्रिय रूप से भाग लिया। । ओपन स्कूल के तीन बच्चों ने समाज के वित्तीय सहयोग से जीवन जीने की कला का अंतर्ज्ञान पाठ्यक्रम पूरा करते समय आंखों पर पट्टी बांधकर चित्र बनाए। रीमा आचार्य ने सभी अतिथियों और शुभचिंतकों को धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

( रायपुर ब्यूरो)

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