इंदौर मध्य प्रदेश
इंदौर,देशभर के तमाम राज्यों से जैन धर्मायतनों पर कब्जों की खबरें आ रही हैं। संपूर्ण जैन समाज स्तब्ध है। इंदौर में गोम्मटगिरी हमारा प्राचीन तीर्थ है। यहां प्रशासन गुर्जर समाज को जमीन देने के लिए जैनियों पर दबाव बना रहा है। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों को देखकर जैन समाज को संरक्षण देने की बात कही है। लेकिन प्रशासन मौन है।
इसी प्रकार भोपाल में हमारे प्राचीन तीर्थ मनुआभान टेकरी पर सरकार ने राजपूत समाज को जमीन आवंटित कर दी।
गुजरात में गिरनार पर्वत को दत्तात्रेय पर्वत करने के षडयंत्र में सरकार ने जो तेजी दिखाई है वह किसी से छुपी नहीं है।
इन सभी में एक चीज कॉमन है। पिछले 7 सालों में चरणबद्ध तरीके से जैन तीर्थों पर कब्जे करने का पैटर्न सामने आया है। सरकार हमसे 500 साल पुराने दस्तावेज मांग रही है। नए दस्तावेजों को नजरअंदाज किया जा रहा है। जैन राजनैतिक चेतना मंच के मिडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू ने बताया कि
जैन समाज द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय को भी इस बारे में सूचित किया गया है लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आ रहा। यह आने वाले समय की चेतावनी है।
28 जुलाई को ग्वालियर में जैन महापंचायत का आयोजन हुआ। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने जैन समाज ने अपनी बात रखी। सुझाव दिया गया कि सरकार संसद में बिल लाकर जैन तीर्थों को संरक्षित करे। लेकिन सिंधिया मोन कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे।
तीर्थों पर कब्जे के ये सारे षडयंत्र बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे हैं। प्रधानमंत्री व क्रेन्द्र,राज्य सरकार की चुप्पी हमारे अंदर बेचैनी बढ़ा रही है। क्या इसे कब्जे की मौन स्वीकृति समझें?
आज तक किसी सरकार ने जैन तीर्थों पर ऐसी कुदृष्टि नहीं डाली। एक या दो नहीं, बल्कि सैकड़ों तीर्थों पर इनकी नजर है। अगर जवाबदेही तय है तो जवाब भी देना होगा। राजेश जैन दद्दू ने कहा कि हमारे तीर्थों की एक इंच जमीन भी हम नहीं देंगे चाहे हमें तीर्थ रक्षा के लिए चाहे हमें प्राण भी देना पड़े तो हम तैयार हैंl
रिपोर्ट अनिल भंडारी
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