छत्तीसगढ़ ।
सक्ती
दलित समर्थकों के नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण छत्तीसगढ़ की जैजैपुर विधानसभा सीट पर पिछले 10 साल से बसपा का कब्जा है। साल 2013 में बसपा के केशव प्रसाद चंद्रा ने भाजपा के कैलाश साहू को हरा कर छत्तीसगढ़ में बसपा का खाता खोला था और 2018 में केशवचंद्र ने एक बार फिर से भाजपा के कैलाश साहू को हराकर सीट पर बसपा का क़ब्ज़ा जमाए रखा है।बसपा का गढ़ भी माने जाने वाले इस विधानसभा क्षेत्र के एससी वोटर अमूमन बसपा के लिये समर्पित हैं, जिसका लाभ बसपा प्रत्याशी को हर चुनाव में मिलता आया है ।
पर क्या बसपा यहाँ हैट्रिक लगा पाएगी, यह प्रश्न यहाँ पर सभी के मन में चल रहा है। इस सीट के मतदाताओं का समीकरण कुछ ऐसा है कि कुल लगभग 2 लाख 40 हजार वोटरों में से
पुरुष वोटर 1 लाख 22 हजार और महिला वोटर 1 लाख 18 हैं। अगर पूरे राज्य के आँकड़ों पर गौर करें तो पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक महिला वोटर इसी विधानसभा में हैं। जातिगत समीकरण के हिसाब से सबसे ज़्यादा वोटर लगभग 50% पिछड़ा वर्ग से हैं जबकि लगभग 30% वोटर एससी वर्ग से हैं। पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या ज़्यादा होने के बाद भी यहाँ एससी वर्ग के वोटरों के बहुत ज़्यादा वोट एक पक्ष में गिरने से चुनाव में जीत हार तय होती आई है।
इन्हीं सब आँकड़ों पर गौर करके सभी दल अपने प्रत्याशी चुनने की क़वायद कर रहे हैं। बसपा ने तो पुराने समीकरण के अनुसार केशवचंद्र को पुनः अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है । पर पिछले दो चुनावों के विजयी बसपा विधायक केशव चंद्रा सामने इस बार कई चुनौतियाँ हैं। जिनमें बैराज व एनीकट प्रभावितों को जमीन का मुआवजा नहीं मिलना और काम के अभाव में दर्जनभर से अधिक गांवों के लोगों का पलायन की बड़ी समस्या है।एक बड़ा मुद्दा मालखरौदा सड़क को लेकर ग्रामीणों की नाराज़गी का भी है। नियम विरुद्ध खदानों व क्रशर को ज़मीन आवंटन, पेयजल की समस्या और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से भी लोग नाराज़ हैं।
राज्य में अपनी सरकार के होने से डबल इंजन की सोच लेकर कांग्रेस में उम्मीदवारों की लंबी लाइन लगी है । पर जिन चार दावेदारों का नाम आगे चल रहा है उसमें बलराम(बल्लु गौंटिया) राजेश लहरें, बालेश्वर साहु, चौलेश्वर चंद्राकार के नाम शामिल हैं। वैसे तो सतही तौर पर यहां कांग्रेस और बसपा की ही टक्कर दिख रही है, पर यदि भाजपा पिछड़ा वर्ग के किसी महिला उम्मीदवार को खड़ा कर दे तो वह तुरुप का इक्का बन सकता है। अभी चर्चा में भाजपा से निर्मल सिन्हा, कृष्णकांत चंद्रा, छोटेलाल भारद्वाज और गगन जयपुरिया के नाम हैं, पर पिछड़ा वर्ग की महिला की उम्मीदवारी पर भी भाजपा में लगातार मंथन चल रहा है।
ग़ौरतलब है कि जैजैपुर विधानसभा क्षेत्र में साहू समाज के बहुत सारे वोटर हैं और राज्य की सबसे ज़्यादा महिला वोटरों वाली इस सीट में इस समाज की की कोई महिला जीत की राह बना सकती है। इस समीकरण में सबसे ज़्यादा जो नाम सुनाई दे रहा है वह है ज़िला महामंत्री महिला मोर्चा, मोहन कुमारी साहू का, जो छत्तीसगढ़ साहू संघ की उपाध्यक्ष हैं। मोहन कुमारी कई सामाजिक कार्यों जैसे नशा मुक्ति अभियान, स्व सहायता समूहों के गठन, और नारी सशक्तिकरण के लिये भी जानी जाती हैं, तथा इनमें उत्कृष्ट कार्य करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुकी हैं।
हालाँकि अब कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार का चयन अंतिम चरण में है। सभी इच्छुक दावेदार जम कर लाबिंग व संपर्क में लग गए हैं। बसपा के केशव चंद्रा हैट्रिक बनाते हैं या कांग्रेस को अपने डबल इंजन की सरकार बनाने का मौक़ा मिलता है या भाजपा का पिछड़ा वर्ग का महिला प्रत्याशी सभी के गणित फेल कर नया इतिहास बनाता है। वैसे नए समीकरण में तो फ़िलहाल इस सीट पर मोहन कुमारी भाजपा के अन्य दावेदारों से आगे निकल कर विजय पताका लहराने की संभावना को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता।
( सक्ती ब्यूरो)
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