डिंडौरी मध्यप्रदेश
शहपुरा। जनपद पंचायत शहपुरा की ग्राम पंचायत संग्रामपुर के पोषक ग्राम जिमरा में एक दर्दनाक घटना ने किसान आशीष कुमार झारिया की सालभर की मेहनत को पलभर में राख कर दिया। देर रात अज्ञात कारणों से लगी आग ने उनकी करीब 300 बोझा धान की फसल को निगल लिया। जब तक आग पर काबू पाया जा सकता, तब तक उनकी मेहनत का हर अंश जलकर खाक हो चुका था।
किसान आशीष झारिया, जो अपने परिवार के साथ मिलकर इस फसल को तैयार करने में जुटे थे, अब मायूस और असहाय महसूस कर रहे हैं। उनकी आंखों में उम्मीद का एकमात्र सहारा है – मुआवजा। उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है ताकि उन्हें इस संकट से उबरने में सहायता मिल सके।
इस दुखद घटना की जानकारी गाँव के कोटवार ने पटवारी और तहसीलदार को दी है। अब देखना यह है कि प्रशासन किसान के दर्द को कब और कैसे समझता है।
आशीष झारिया की कहानी उन लाखों किसानों का प्रतिनिधित्व करती है, जो हर साल अपनी मेहनत और सपनों के साथ खेतों में पसीना बहाते हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं या अनजान घटनाओं के चलते सब कुछ खो देते हैं। ऐसे वक्त में किसानों को न केवल आर्थिक सहायता की जरूरत होती है, बल्कि समाज और प्रशासन के भरोसे की भी।
फसल जलने की इस घटना ने न केवल आशीष झारिया के जीवन को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे गाँव को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या किसान की मेहनत और उसका हक सुरक्षित है?
रिपोर्ट-अखिलेश झारिया
Leave a comment